रामायण सनातन परम्परा की वाहक

(गंगा सिंह विश्वविद्यालय में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी संपन्न)
बीकानेर 18 जनवरी। महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग एवम् मदन मोहन मालवीय मूल्य शिक्षा केन्द्र के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित रामायण पुनरावलोकन विषयक दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी सम्पन्न हुई। अध्यक्षता कुलपति प्रो. भगीरथ सिंह ने की।
मुख्य अतिथि संवित सोमगिरी जी महाराज ने अपने उद्बोधन में कहा कि राम और लक्ष्मण के दर्शन आज भी विभिन्न रूपों में होते रहते हैं। उन्होंने महिलाओं को सीता के चरित्र को अपनाने की नसीहत दी।
विशिष्ट अतिथि इन्द्रप्रस्थ विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. अनूप बेनीवाल ने रामायण को कक्षा-कक्ष अध्ययन हेतु उपमा के रूप में प्रयोग किये जाने के सम्बद्ध विभिन्न तकनीक की जानकारी दी।
राष्ट्रीय संगोष्ठी की रिपोर्ट संगोष्ठी निदेशक प्रो. एस. के. अग्रवाल ने प्रस्तुत की।
इससे पूर्व तकनीकी सत्र् का आयोजन हुआ। इसमें डॉ. अतुल गोस्वामी, डॉ. बृजरतन जोशी, प्रो. अनिल कुमार छँगाणी, प्रो. नारायण सिंह राव, सुनयना र्पाँडे, जोधपुर विश्वविद्यालय की अंग्रेजी विभागध्यक्ष प्रो. कल्पना पुरोहित, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्याल के बी.एल. भादानी, प्रो. मदन सैनी एवम् डॉ. गौरव बिस्सा ने पत्र वाचन किया।
डूंगर कॉलेज के सह आचार्य डॉ. राजेन्द्र पुरोहित, डॉ. बबीता जैन एवं डॉ. चित्रा दाधीच ने भी अपने विचार प्रकट किये।
समारोह के अन्त में विश्वविद्यालय की सह आचार्य डॉ. प्रगति सोबती ने सभी आगन्तुकों एवं अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित किया।

प्रो. एस. के. अग्रवाल
निदेशक संगोष्ठी

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