बीकानेर में शैक्षणिक विकास की अपार संभावनाएं

सतत एवं सामूहिक प्रयासों की जरूरत-उच्च शिक्षा राज्य मंत्री
एसकेआरएयू में ‘बीकानेर है एज्यूकेशन हब’ विषयक सम्मेलन आयोजित

बीकानेर, 22 फरवरी। ‘बीकानेर है एज्यूकेशन हब’ विषयक एक दिवसीय शिक्षा सम्मेलन शनिवार को कृषि व्यवसाय प्रबंधन संस्थान के सभागार में आयोजित हुआ। संवित सोमगिरि महाराज के सान्निध्य में आयोजित उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि उच्च शिक्षा राज्यमंत्री श्री भंवरसिंह भाटी थे। उन्होंने कहा कि शिक्षा के बिना कुछ भी संभव नहीं है। समाज को आगे बढ़ाने में शिक्षा की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि बीकानेर में पांच विश्वविद्यालय और अनेक स्तरीय संस्थान हैं। यहां के विद्यार्थी चिकित्सा, इंजीनियरिंग, विधि और अन्य सेवाओं में आगे बढ़ रहे हैं। इन्हें उचित मार्गदर्शन मिले तो और बड़ी सफलता प्राप्त हो सकती है। उन्होंने कहा कि यहां शै़क्षणिक विकास की अपार संभावनाएं हैं। इसके लिए प्रत्येक व्यक्ति को सतत एवं सामूहिक प्रयास करने होंगे।
श्री भाटी ने कहा कि आज का युग डिजीटल युग है। अधिकांश युवा इस तकनीक का भरपूर उपयोग करते हैं। इसके मद्देनजर राज्य के प्रत्येक राजकीय विश्वविद्यालय और महाविद्यालय को क्रमबद्ध रूप से डिजीटल लाइब्रेरिज से जोड़ा जाएगा। उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षण संस्थाओं का सर्वांगीण विकास राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। इसी क्रम में महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय में नए विभाग एवं पद स्वीकृत किए गए हैं। राजकीय विधि महाविद्यालय में नियुक्तियां कर दी गई हैं।
उच्च शिक्षा मंत्री ने कहा कि गत वर्ष पहली बार राजकीय डूंगर काॅलेज को पीटीइटी परीक्षा के लिए नोडल एजेंसी नियुक्त किया गया। महाविद्यालय द्वारा इसका सफलतापूर्वक आयोजन किया गया और 7 लाख युवाओं ने यह परीक्षा दी। इस वर्ष लगातार दूसरी बार डूंगर काॅलेज को यह जिम्मेदारी दी है। इससे महाविद्यालय की आय बढ़ेगी, जो संस्थान के विकास में सहायक रहेगी। उन्होंने कहा कि आवश्यकता अनुरूप नए काॅलेज खुलवाना भी उनकी प्राथमिकता रहेगी।
श्री भाटी ने कहा कि विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास में शिक्षकों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। शिक्षक अपने अधिकारों के साथ दायित्वों को भी समझें और समाज को आगे बढ़ाने में सहयोग दें। जिले को एज्यूकेशन हब बनाने में प्रत्येक वर्ग के लोगों को जोड़ेंगे, तो अधिक सफलता मिलेगी।
उच्च शिक्षा मंत्री ने कहा कि मातृ भाषा हमें अपनी संस्कृति से जोड़ती है। ऐसे में जरूरी है कि हम अपनी मातृभाषा का सम्मान करें। इसके मद्देनजर पहली बार राज्य के लगभग 250 सरकारी महाविद्यालयों में 20 फरवरी को मातृभाषा दिवस के रूप में मनाया गया। इस दौरान राजस्थानी से संबंधित अनेक प्रतियोगिताएं आयोजित की गई। विद्यार्थियों ने भी इसे सकारात्मकता से लिया।
पूर्व मंत्री श्री वीरेन्द्र बेनीवाल ने कहा कि जिले में शैक्षणिक परिदृश्य में विकास की अनेक संभावनाएं हैं। पिछले कुछ समय में यह क्रम चला है। इस दिशा में आगे भी काम होगा। उन्हांेने विकास को सतत प्रक्रिया बताया और कहा कि आइजीएनपी आने से यहां लोगों का जीवन स्तर सुधरा। इससे शैक्षणिक माहौल में भी बदलाव आया। आज हमारे छोटे-छोटे गांवों मंे अनेक प्रतिभाएं हैं। इनको तराशकर आगे बढ़ाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि ऐसे सम्मेलनों में शिक्षाविदों के विचारों का आदान-प्रदान होगा।
पूर्व विधायक आर. के. दास गुप्ता ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा शैक्षणिक संस्थाओं की एजुकेशनल आॅडिट करवाई जानी चाहिए। इससे आशा के अनुरूप फल मिलेंगे। डीआरडीओ के पूर्व निदेशक डाॅ. एच. पी. व्यास ने कहा कि प्रतिस्पर्धा ने शिक्षा प्रणाली को जटिल बना दिया है। आज आवश्यकता है शिक्षक और विद्यार्थी के बीच वैचारिक संबंध बने। डाॅ. विनोद बिहाणी ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर की तर्ज पर शैक्षणिक संस्थानों की रैंकिंग करवाई जाए। वरिष्ठ साहित्यकार मालचंद तिवाड़ी ने जिले में योग विश्वविद्यालय की आवश्यकता जताई। अजय गुप्ता ने कहा कि जिला एजुकेशन हब बनने की ओर तेजी से बढ़ रहा है। इस उन्नति को सही दिशा देनी जरूरी है। कार्यक्रम संयोजक हेम शर्मा ने लोकपरम्पराओं और संयुक्त परिवार की प्रासंगिकता पर विचार रखे। उन्होंने कार्यक्रम की आवश्यकता के बारे मे बताया। इससे पहले अतिथियों ने दीप प्रज्वलित कर सम्मेलन की शुरूआत की। डाॅ. शुक्ला बाला पुरोहित ने आभार जताया। कार्यक्रम का संचालन गजेन्द्र सिंह सांखला ने किया। पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के डाॅ. राकेश राव एवं एसकेआरएयू के अनुसंधान निदेशक डाॅ. प्रकाश सिंह शेखावत भी बतौर अतिथि मौजूद रहे।
इस अवसर पर डाॅ. अम्बिका ढाका, एसकेआरएयू के विशेषाधिकारी डाॅ. राजेश शर्मा, डाॅ. आई पी सिह, एमजीएसयू के उप कुलसचिव डाॅ. बिट्ठल बिस्सा, अरविंद मिढ्ढा, डाॅ. चंद्रशेखर श्रीमाली, डाॅ. राजेश धूड़िया, आइएबीएम निदेशक डाॅ. मधु शर्मा, डूंगर काॅलेज प्राचार्य डाॅ. सतीश कौशिक, डाॅ. दीवान सिंह, अविनाश जोशी, शरतचंद्र मेहता, कमल किशोर चैधरी, डाॅ. संगीता सक्सेना, डाॅ. बी. के. बिनावरा सहित अनेक गणमान्य नागरिक मौजूद रहे।

error: Content is protected !!