मेलनर्स अजय शर्मा ने किया नवाचार, अब काम में लेते है ऑर्गैनिक सब्जियां
शाहपुरा-(मूलचन्द पेसवानी) / अपने मकान में सीमेंट कंक्रीट की छत भी सब्जियां पैदा कर सकती है। इस पर यकीन करना आसान नहीं है। मगर भीलवाड़ा जिले के शाहपुरा में रामनगर के वाशिंदे सेटेलाइट चिकित्सालय में मेलनर्स अजय शर्मा ने यह कमाल कर दिखाया है। उन्होंने अपने छत को ही बागवानी का रूप देकर सब्जी पैदा की है।
शहर की रामनगर कालोनी में ये इमारत भी अन्य भवनों की तरह ही है, लेकिन इसे एक खूबी दूसरी इमारतों से अलग करती है। इस मकान की छत में पिछले दो वर्षों से सब्जी की फसल लहलहा रही है। इसके लिए छत पर बागवानी एरिया बनाया गया है। इसमें घर के बेकार बड़े बर्तनों, प्लास्टिक के टब, कूलर की ट्रे के अलावा थर्माकोल के बड़े गमले तैयार किये है।
शुरू में उन्होंने लौकी, बैंगन, टमाटर, मूली जैसी सब्जियाँ ही उगाई। कुछ ही समय में छत पर टमाटर, बैगन, बंदगोभी, मटर, लौकी, ककड़ी, मैथी, धनिया समेत तमाम सब्जी लहलहाने लगी। यहां बोई जाने वाली सब्जियों में जैविक खाद का प्रयोग किया जाता है। अभी करीब दो दर्जन सब्जियां है। बिना किसी कीटनाशक और रासायनिक खाद रहित इन सब्जियों का स्वाद उनके घरवालों को बहुत भाया। उनके मुताबिक इन सब्जियों को गलने और पकने में समय भी कम लगता है। ऐसी जैविक फसलों में आम तरीके से उगाई जाने वाली फसल के मुकाबले ज्यादा पोषक तत्व होते हैं क्योंकि ये अधिक उपजाऊ होती हैं। मौसम के अनुसार ही वह सब्जियाँ बोते और उगाते हैं जिससे ये प्राकृतिक रूप से बढ़े और फले। पिछले 2 सालों में उन्होंने बाजार से न के बराबर ही सब्जियाँ ही खरीदी हैं। इस काम में, अजय शर्मा का साथ उनके पिता सेवानिवृत जमनालाल शर्मा व परिवार के अन्य सदस्य भी देते है।
अजय शर्मा ने बताया कि “ऑर्गैनिक तरीके से उपजाए जाने वाली सब्जियों में ज्यादा ऐंटि-ऑक्सिडेंट्स भी होते हैं क्योंकि इनमें पेस्टिसाइड्स नहीं होते इसलिए ऐसे पोषक तत्व बरकरार रहते हैं जो सेहत के लिए अच्छे हैं और आपको बीमारियों से बचाते हैं।” इस कारण लाॅकडाउन हो सब्जी मंडी की हड़ताल पर अजय शर्मा के परिवार में सब्जियों के बढ़ते दाम का कोई असर नहीं होता, जानते हैं क्यूँ? क्योंकि वह अपने घर की छत पर ही 20 से ज्यादा तरह की हरी सब्जियां उगा रहे हैं। पेस्टिसाइड्स और केमिकल खाद से पोषित कर उगाई हुई सब्जियाँ खाते वक्त हमारे मन में भी ख्याल आता है की काश थोड़ी सी जमीन होती तो खुद की सब्जियां बोते। इस सपने को हकीकत किया है, अजय शर्मा ने।
अजय शर्मा ने बताया कि “घर मे सब्जियाँ उगाने में कोई विशेष तकनीक नहीं इस्तेमाल की गई है, कोई भी अपने घर पर इस तरह का प्रयोग कर छत पर ही किचन गार्डन बना सकता है। छत पर किचन गार्डन होने का एक और फायदा ये भी है कि घर का निचला हिस्सा गर्मियों में भी ठंडा रहता है। सीमेंट की छत गर्मियों में तपने लगती हैं, लेकिन अब हमें दिन रात एसी कूलर नहीं चलानी पड़ती, जिससे बिजली की भी बचत होती है और आस पास की हवा भी शुद्ध रहती है।”शुद्ध सब्जियाँ और फल खाने के कई और फायदे भी हैं। इसके सेवन से बच्चे कम बीमार पड़ते हैं क्योंकि सब्जियाँ सेहत के लिए काफी फायदेमंद होती हैं। इनमें पौष्टिक तत्व और विटमिन, मिनरल्स, प्रोटीन, कैल्शियम और आयरन भी प्रचुर मात्रा में होते हैं। इनमें मौजूद न्यूट्रिशंस, दिल की बीमारी के साथ-साथ माइग्रेन, ब्लड प्रेशर, डायबीटीज और कैंसर जैसी बिमारियों से भी बचाते हैं। अजय शर्मा की तरह अगर हम भी अपनी आवश्यकता और सहूलियत के अनुसार किचन गार्डन लगाएं तो हम खुद की और पर्यारण की सेहत की रक्षा कर सकते हैं।
अजय शर्मा के मुताबिक छत पर सब्जियों की खेती से वह औसतन प्रति माह 2000 रुपये बचा लेते हैं। वह खुद जैविक सब्जियां खाते हैं। अजय शर्मा बताते है कि केमिकल वाली सब्जियां उनका स्वाद बिगाड़ देती थीं। कोई हल नहीं मिल पा रहा था, इसलिए उन्होंने अपने घर की छत को ही किचन गार्डन बना डाला। अजय शर्मा कहते हैं, “खाना और सेहत, सभी के लिए महत्वपूर्ण हैं। इन दिनों सब्जियों पर इतने कीटनाशक छिड़के जा रहे कि जिससे सेहत बनती कम, बिगाड़ती ज्यादा हैं। शुरुआत में मैंने केमिकल मुक्त सब्जियों के लिए कुछ पौधे लगाए थे, लेकिन उनका स्वाद चखने के बाद पूरे छत को मैनें बगीचा बना दिया।”