पचास साल पुरानी यादों में खो गए 1962 बैच के डॉक्टर्स

जयपुर। सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज के 1962 बैच के डॉक्टर्स शनिवार को यहां अपनी पचास साल पुरानी यादों में खो गए। मौका था इस बैच की गोल्डन जुबली का जो यहां सवाई मानसिंह अस्पताल परिसर स्थित जयपुर मेडिकल एसोसिएशन के हॉल में आयोजित की गई।
इस दौरान डॉक्टर्स ने अपने विद्यार्थी जीवन की यादों को ताजा करते हुए कहा कि उस समय रेगिंग होती थी लेकिन वह सम्मानजनक तरीके से। इसमें सीनियर डॉक्टर्स के पैर छूकर उन्हें मम्मी या डैड के नाम से संबोधित किया जाता था। उस समय कोई अत्याचार नहीं होते थे। उन्होंने अपने बैच की दो छात्राओं व एक छात्र के कंकाल देखने पर बेहोश होने का किस्सा सुनाकर डॉक्टर्स को हंसा दिया। इसी संदर्भ में डाक्टर्स के हास्टल से लड़कियों के हास्टल तक बैंड बाजे के साथ बारात ले जाने तथा फिल्मी गीतों पर डांस करने के किस्से भी सुनाए। डाक्टर्स ने गोविंद देव मंदिर एवं चांदपोल वाले हनुमानजी के मंदिर में जाने की यादों को भी ताजा किया। इस अवसर पर इस बैच को पढ़ाने वाले सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज के वरिष्ठ प्रोफेसरों ने बैच के विद्यार्थियों क्री उपलब्यियां एवं शरारतों के किस्से सुनाते हुए उनके द्वारा किए गए उल्लेखनीय कार्यों पर गर्व जताया। प्रोफेसरों ने बताया कि 1962 के बैच में 118 विद्यार्थी थेए जिनमें से चालीस से अधिक डॉक्टरों ने इस गोल्डन जुबली कार्यक्रम में परिवार सहित भाग लिया। इनमें से कई डॉक्टर्स अमेरिकाए इंग्लैंड सहित विभिन्न देशों एवं भारत के विभिन्न राज्यों से आए हैं। डाक्टर्स ने बताया कि 1962 का बैच मेरिट के आधार पर चयनित किया गया थाए इसके बाद मेडिकल एंट्रेंस टेस्ट होने लग गए थे।
गोल्डन जुबली कार्यक्रम में सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डाण् सुभाष नेपालियाए एसएमएस अस्पताल के अधीक्षक डाण् वीरेंद्रसिंह ने विशेष रूप से भाग लिया। गोल्डन जुबली आयोजन समिति के सचिव डाण् कुणाल कोठारी ने बताया कि कार्यक्रम में वरिष्ठ प्रोफेसरों का सम्मान किया गयाए जिनमें डा पी सी डांडिया डा के सी कोटिया डा एन के पाटनी डा के सी जैन डा एल के कोठारी डा पी एन नाग डा जे एस माथुर डा डी एल कंवर डा प्रकाश छबलानी डा सतीश सी गुप्ता डा टीपी जैन आदि शामिल हैं। कार्यक्रम में बोलते हुए डा नेपालिया ने कहा कि हमें इस बात का गर्व है कि यहां पर तीन पीढिय़ों के शामिल होकर पुरानी यादें ताजा करते हुए डाक्टरी के नोबेल पेशे को आगे बढ़ाने में सहयोग दे रहे हैं। इस मौके पर गोल्डन जुबली रीयूनियन बैच 62 नामक पुस्तिका का विमोचन डाण् नेपालियाए डाण् वीरेंद्रसिंह सहित अतिथियों ने किया।
निशुल्क दवा योजना में सहयोग की सराहना
इस मौके पर डा राकेश ने डा कुणाल कोठारी एवं डा कासलीवाल के उस सहयोग को सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण बताया जिसके जरिए मुख्यमंत्री निशुल्क दवा योजना शुरू हो सकी और आज पूरे प्रदेश में सफलता से चल रही है और जिसके तहत रोजाना दो लाख से ज्यादा मरीजों को निशुल्क दवाएं मुहैया कराई जा रही हैं।
इंग्लैंड से भेजते हैं भारत में राशि
इंग्लैंड से आए डा हीरानंद कपूर ने बताया कि 1962 में विदेशी छात्र के रूप में उन्होंने जयपुर के एसएमएस मेडिकल कॉलेज में प्रवेश लेकर पढ़ाई। उस समय के जीवन की बहुत सी यादें हैं। उन्होंने बताया कि वे हर साल पोलियो व नेत्र शिविर के लिए इंग्लैंड में बसे करीब 70 भारतीय डॉक्टरों से राशि एकत्र कर भारत भेजते हैं।
-कल्याणसिंह कोठारी
मीडिया सलाहकार
फोन . 94140 47744

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