ब्रेस्ट कैंसर के एडवांस स्टेज में पहुँच चुकी मरीजों के लिए नेक्स्ट जेनरेशन ट्रीटमेंट के विकल्प

जयपुर : भारत में महिलाओं को प्रभावित करने वाले कैंसर का सबसे आम रूप ब्रेस्ट कैंसर (स्तन कैंसर) है। महिलाओं में सभी तरह के कैंसर में ब्रेस्ट कैंसर का अनुपात 14 प्रतिशत है। अनुमान है कि हर 29 में से 1 महिला को ब्रेस्ट कैंसर होता है। इनमें से 40% से ज्यादा महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का पता उसके उन्नत अवस्था (स्टेज 3 या 4) में जाकर होता है। मौजूदा महामारी के कारण अनेक बाधाएँ उत्पन्न हो गई हैं। इससे निदान में देरी हो रही है और उपचार के पालन में कमी आ रही है। नतीजतन, ग्रामीण और शहरी इलाकों में सीमित जाँच और स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही जैसी चुनौतियाँ बढ़ गई हैं। साथ ही, सामाजिक कलंक, कैंसर का पता चलने या परिवार में इसकी चर्चा करने का डर, स्तन की जाँच में शर्म होना और वैकल्पिक प्राथमिकतायें आदि अन्य चुनौतियाँ हैं जिनके कारण महिलाएँ अपनी सेहत की उपेक्षा करती हैं और जाँच तथा देखभाल में देरी होती है। इन सभी कारणों से रोग के उन्नत चरण में मरीज के जीवित बचने की दर कम हो जाती है।
जोखिम के कारकों के प्रति जागरूकता स्वयं स्तन की जाँच करने के लिए मरीजों को प्रेरित करती है। इसके अलावा जाँच कराने से समय पर इस बीमारी का पता चल जाता है। जोखिम के कारकों में अधिक उम्र, स्तन कैंसर का पारिवारिक इतिहास, कतिपय जीन्स का विरासत में प्राप्त होना शामिल है। जिन महिलाओ में रजोस्राव पहले (12 साल की उम्र से पहले) शुरू हो जाता है और जिन महिलाओं की रजोनिवत्ति देर से होती है (55 साल के बाद) उनमें स्तन कैंसर का खतरा ज्यादा होता है। इसके अलावा जोखिम के अन्य कारकों में धूम्रपान करना, ज्यादा शराब का सेवन करना, मोटापा, शारीरिक गतिविधियों में कमी और रजोनिवृत्ति के बाद हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी कराना शामिल है।
महिलाओं में 30 से 50 साल तक की उम्र काफी प्रॉडक्टिव मानी जाती है। इस समय उन्हें स्तन कैंसर होने का भी काफी खतरा होता है। युवतियों में इस तरह के मामलों में बढ़ोतरी होने लगी है। 25 वर्ष से कम उम्र की भी अनेक महिलाएँ स्तन कैंसर से प्रभावित हो रही हैं।
जयपुर के एचसीजी अस्पताल में मेडिकल ऑन्कोलॉजी डॉ. नरेश सोमानी, डीएम ने कहा कि, “स्तन कैंसर जयपुर में महिलाओं को होने वाला सबसे आम कैंसर है। जाँच से स्तन कैंसर की आसानी से पहचान हो जाती है, लेकिन दुर्भाग्य से 50% मामलों में इस बीमारी की पहचान तब होती है, जब रोग एडवांस या तीसरे और चौथे स्टेज में पहुँच चुका होता है। स्तन कैंसर के मामले उम्र के साथ बढ़ते हैं। खासतौर पर रजोनिवृत्ति से पहले शारीरिक रूप से होने वाले बदलाव के अंतिम चरण में या रजोनिवृत्ति की शुरुआत पर यह समस्या होती है। हालांकि 25 साल की कई महिलाओं को भी अपनी जाँच कराने पर स्तन कैंसर का पता चला है। यह मामले ज्यादातर आनुवांशिकता से संबंधित है। महिलाएँ कैंसर की जाँच कराने में अक्सर देरी करती हैं। लक्षणों को देखने के बावजूद महिलाएँ सामाजिक कलंक और झिझक के कारण किसी से मदद माँगने में संकोच करती हैं। महामारी के प्रकोप से कई मरीजों को कैंसर की जाँच कराने में देरी हुई है। कैंसर की जल्दी पहचान के लिए लोगों में जागरूकता का बढ़ना बहुत जरूरी है। 40 साल की उम्र के बाद नियमित रूप से चेकअप कराने चाहिए। अगर किसी मरीज के परिवार में स्तन कैंसर का इतिहास रहा हो तो उसे 40 साल की उम्र से पहले सतर्क हो जाना चाहिए। मैमोग्राफी, बयोप्सी और एमआरआई से भी संदेह की पुष्टि हो जाती है।”
डॉ. सोमानी ने आगे कहा कि, “जिन महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर की पहचान एडवांस स्टेज में या बहुत देर से होती है, उनका इलाज प्राथमिकता के आधार पर किया जाता है। मरीजों को जाँच और इलाज में होने वाली किसी भी शंका या सवाल के लिए काउंसिंलिंग सेशन बेहद महत्वपूर्ण है, जिससे मरीजों और परिजनों को बीमारी के बारे में अच्छी तरह पता हो सके और वह उसका बेहतर ढंग से प्रबधन कर सकें। मरीजो के इलाज के लिए हार्मोन थेरेपी, कीमोथेरेपी और स्थानीय रेडियो थेरेपी के विकल्प हैं। प्रधानमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना और चिरंजीवी योजना जैसी कई योजनाओं से लाभ उठाकर अन्य मरीज भी इलाज का लाभ उठा सकती हैं। समय के साथ-साथ अब एडवांस स्टेज वाली मरीजों का बेहतर और तेजी से इलाज हो रहा है। इससे उनकी जीवन प्रत्याशा के साथ उनके जीवन स्तर में भी सुधार आया है। लक्षित ट्रीटमेंट और मॉलिक्यूलर थेरेपी से हालात में काफी अंतर आया है। इससे बिना किसी साइड इफेक्ट के एडवांस स्टेज वाली मरीजों को अपनी बीमारी का बेहतर तरीके से प्रबंधन में मदद मिलती है। इन सर्विसेज के उपलब्ध होने की वजह से महिलाओं का इस बीमारी और इसके इलाज के प्रति नजरिया बदल गया है। नए इलाज से जीवन प्रत्याशा मे औसत रूप से 3 से 5 साल तक का सुधार आया है। यह कीमोथेरेपी जैसे इलाज की तुलना में काफी लाभदायक है। कीमोथेरेपी के कई शारीरिक और सामाजिक या मनोवैज्ञानिक प्रभाव होते हैं।”
कई मरीजों और उनके परिवारों का मानना है कि स्तन कैंसर की एडवांस स्टेज जीवन के अंत का संकेत होता है। कई भारतीय महिलाएँ और उनकी देखभाल करने वाले परिजन मरीजों के बेहतर इलाज पर खर्च करने की जगह परिवार के भविष्य के लिए पैसे जोड़ने में विश्वास रखते हैं।
इस अक्टूबर में स्तन कैंसर जागरूकता माह मनाया जा रहा है। अब मरीजों और उनकी देखभाल करने वाले परिजनों को एडवांस स्टेज में उपलब्ध स्तन कैंसर के इलाज की जानकारी देने की काफी जरूरत महसूस की जा रही है।
अगर आप बेस्ट कैंसर के एडवांस स्टेज की मरीज हैं तो अपनी बीमारी का बेहतर ढग से प्रबंधन करने के लिए अपने कैंसर विशेषज्ञ डॉक्टर से संपर्क करें, जिससे आप परेशानी पैदा करने वाले लक्षणों को कम कर बेहतर जीवन स्तर और देखभाल की सुविधा हासिल कर सकती हैं।

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