मिली भगत व लापरवाही की पोल खूलने का सता रहा डर,सूचना देने से कतरा रहे अधिकारी

उदयपुर। सूचना का अधिकार कानून यानी आम आदमी के साथ किसी भी सरकारी संस्था के कार्यों की पारदर्शिता। परंतु वल्लभनगर और भीण्डर के बिजली विभाग में यह पारदर्शिता नहीं है। सूचना के अधिकार कानून के तहत कुछ बिन्दुओं पर मांगी जानकारी का जबाव देने में विभाग ने नियम ताक पर रख दिए। मिली भगत व लापरवाही की पोल खूलने की आशंका के कारण निर्धारित समयावधी गूजरने पर भी सूचना उपल्ब्ध कराने की बजाय टालमटोल व एक दो दिन में देने की बात कर रहे हैं।
बिजली विभाग के अफसरों व कर्मियों पर आए दिन अवैध वसूली के आरोप लगते रहते हैं। विभाग के कर्मियों पर साठगांठ कर बाहरी लोग भी विभागीय कर्मी बनकर वसूली की आड में चेकिंग करने से लेकर अवैध वसूली की शिकायतें आती हैं। उपभोक्ताओं का कहना है कि क्षेत्र में वसूली के नाम पर चेकिंग व अवैध वसूली का खेल बड़े पैमाने पर हुआ है। अब यहां एक नया कारनामा और सामने आया है। वल्लभनगर उपखंड निवासी एक व्यक्ती द्वारा वल्लभनगर सहायक अभियंता कार्यालय व अधीशासी अभियंता,भीण्डर के लोक सूचना अधिकारी से अलग-अलग आवेदन कर अलग-अलग बिंदुओं पर आरटीआइ के तहत जानकारी मांगी गई थी। इनमें दस हजार से ज्यादा बकाया उपभोक्ता की जानकारी, बकाया जमा नहीं कराने पर किन-किन के कनेक्शन काटन,े बकाया होने पर भी किस नियम व किस आदेश व किस कारण से किन-किन उपभोक्ताओं का कनेक्शन नहीं काटने,अधिकारियों के मकान के बिल की प्रति,वसूली के लिए किस गाडी का उपयोग करने व गाडी विभाग द्वारा लगाई गई तो किस नियम,किस आदेश के तहत व गाडी लगाने की विज्ञप्ती किस अखबार में किस दिनांक को प्रकाशित करने की जानकारी,विद्युत पोलो से अवेध कनेक्शन,बकाया वसूली का नोटिस जारी करने के संबंध में डिस्पेच रजिस्टर की संख्या के साथ ही ट्रांसफार्मरों में ऑयल भरने संबंधित जानकारी मांगा जाना शामिल था। लेकिन विभाग द्वारा कोई सूचना उपलब्ध नहीं करवाई गई। संपर्क करने कभी काम का भार अधिक होने तो कभी मीटिंग में होना बताकर दो चार दिन में सूचना उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया जा रहा हैं। प्रार्थी का कहना हैं कि सूचना देने से विभाग के अधिकारियो,कार्मिको की मिलीभगत व चहेतों को लाभ पंहुचाते हुए वसूली की आड में अपने आकाओं और सरकार को खुश करने के लिए गरीब उपभोक्ताओं के कनेक्शन काटे हैं। जबकि कई उपभोक्ताओं की राशी बकाया हैं,उनकी चोखट पर अधिकारी व कर्मचारी जाते तक नहीं हैं और कभी-कभार चले भी जाए तो चाय की चुस्की लेकर चुपचाप निकल पडते हैं। सूचना उपलब्ध कराने पर इनकी पोल खूल जाएगी। इसलिए टलमटोल कर बहाने बनाए जा रहे हैं। यदि सूचना उपलब्ध नहीं होती हैं तो सुचना आयोग का दरवाजा खटखटाया जाऐगा।

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