इस पर असंतुष्ट देवनानी ने सदन में बोलते हुए कहा कि राज्य सरकार की उदासीनता और अनदेखी के कारण अजमेर का विज्ञान पार्क आज भी कागजों से बाहर नहीं निकल पाया है। सरकार द्वारा पहले तो पार्क हेतु निशुल्क भूमि आवंटन में लंबा समय लगा दिया और उसके बाद अपने हिस्से की राशि आवंटित करने में चार साल निकाल दिए। राज्य सरकार की ओर से राशि आवंटित किए भी ढाई साल से ज्यादा समय निकल गया है, लेकिन आज तक एमओयू इत्यादि प्रक्रिया पूरी नहीं की जा सकी।
यूडीएच मंत्री धारीवाल द्वारा निर्माण कार्य शीघ्र शुरू करने व पदों की भर्ती एवं पदोन्नति किए जाने की जिम्मेदारी विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग पर डाली, तो देवनानी ने कहा कि क्या विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग राज्य सरकार का नहीं है? पार्क निर्माण एवं उसके संभालने का काम मंत्रिमंडल का संयुक्त उत्तरदायित्व है। पार्क को लेकर धारीवाल ने केवल स्मार्ट सिटी से जुड़ा उत्तर दिया, उसमें भी निर्माण कब प्रारंभ करेंगे, से जुड़े प्रश्न का जवाब वे नहीं दे सके, जबकि वे कहते रहे कि पार्क का विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग से भी संबंधि है। निर्माण कराना यूडीएच विभाग का काम है, जबकि संबंधित पदों की भर्तियों एवं पदोन्नति का मामला विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग का है। भर्ती से जुड़ा मामला विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग का है, यह कहकर सरकार के मंत्री जवाब देने से बच नहीं सकते।
देवनानी ने कहा कि प्रोजेक्ट की घोषणा के सात साल बाद भी पार्क का निर्माण शुरू नहीं होने का खामियाजा अजमेर क्षेत्र और बालकों को उठाना पड़ रहा है। अब तक निर्माण के नाम पर एक भी ईंट नहीं लगी। आखिर कब तक इसका लाभ अजमेर और बच्चों को मिलेगा, इसका जवाब सरकार के मंत्रियों को देना चाहिए, जो नहीं दे पाए। जुलाई-2021 में मंत्रिमंडल ने पार्क के लिए पदों की भर्ती एवं नियुक्तियां करने संबंधित सेवा नियम जारी कर दिए गए, लेकिन आठ माह बाद भी भर्तियां एवं पदोन्नतियां करने की दिशा में कारगर कदम नहीं उठाया गया। जयपुर, जोधपुर, झालावाड़ व झुंझुनंू में बने साइंस पार्क की भी यही स्थिति है, जहां अब तक भी भर्तियां एवं पदोन्नतियां करना शेष है। देवनानी ने यूडीएच मंत्री से गोलमाल जवाब देने की बजाए अजमेर में शीघ्र विज्ञान पार्क का निर्माण कार्य प्रारंभ करने एवं विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की ओर से शीघ्र संबंधित पदों की भर्तियां एवं पदोन्नतियां करने की मांग की।