स्वतंत्रता संग्राम के गुमनाम नायकों को याद किया

एएएचएल अपने हवाइअड्डों के माध्यम से मना रहा है आजादी का अमृत महोत्सव
जयपुर, 24 मई 2022 : अल्लुरी सीताराम राजू आज घर-घर में जाना-पहचाना नाम बन चुका है। इसका श्रेय एसएस राजमौली के शानदार सुपरहिट फिल्म आरआरआर को दिया जाना चाहिए। आजादी के लिए संघर्ष करने वाले इस क्रांतिकारी के असाधारण योगदान को अब पहचान लिया गया है। वह अब राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास का चिर-परिचित हिस्सा बन चुके हैं। 10 मई को इस स्वतंत्रता सेनानी की पुण्यतिथि थी, जिन्होंने मौजूदा दौर के आंध्रप्रदेश और तेलंगाना के अधिकारों के लिए संघर्ष करते हुए अपनी जिंदगी का बलिदान दे दिया। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद काफी लंबा समय गुजरने और कई पीढ़ियां बदलने के बाद बदकिस्मती से राजू की तरह सैकड़ों स्वतंत्रता संग्राम सेनानी का नाम गुमनामी के अंधेरे में खोकर धूमिल पड़ गया, जबकि स्वतंत्रता संघर्ष में कुछ लोगों के बलिदान की कहानी कभी सामने ही नहीं आई। यह देखकर हैरत होती है कि अत्याचारी और निरंकुश शासकों से नजर से नजर मिलाने वाले और उनके सामने भारत की स्वतंत्रता के साथ नारे लगाने वाले वीर सवतंत्रता सेनानी गुमनाम कैसे रह गए।

अगर हम प्रमुख स्वतंत्रता सेनानियों के नाम और उपलब्धियों से ही परिचित हैं तो हम अपने राष्ट्र की विरासत पर उचित ढंग से गर्व नही कर सकते। मौजूदा और भविष्य की पीढ़ी को हमारे भूले-बिसरे स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की बहादुरी से परिचित कराने और उनमें स्वंतत्रता हासिल करने के जुनून और देश पर मर मिटने की भावना को जागरूक करने के लिए अदाणी एयरपोर्ट्स होल्डिंग लिमिटेड (एएएचएल) सहयोग दे रहा है। अदाणी एयरपोर्ट्स होल्डिंग लिमिटेड देश के लिए जान न्योछावर करने वाले उन स्वतंत्रता सेनानियों को याद कर रहा है, जिनका नाम स्वतंत्रता संग्राम के लोकप्रिय इतिहास में दर्ज नहीं हो पाया है।

यह अभियान आजादी के अमृत महोत्सव का हिस्सा है, जिसे भारत की आजादी की 75वीं वर्षगांठ और इसके स्वर्णिम इतिहास का जश्न मनाने के लिए भारत सरकार की पहल पर मनाया जा रहा है। 15 अगस्त 2021 को अमृत महोत्सव की शुरुआत हुई थी। यह इस साल भारत के 75वें स्वतंत्रता दिवस पर समाप्त होगा। इस महोत्सव से स्वतंत्रता संग्राम के 200 बरसों के इतिहास और 1947 की मध्यरात्रि को मिली आजादी का महत्व लोगों को समझ में आया है और भारतीयों में बेहतर जिंदगी और आजादी के अधिकार के प्रति जागरूकता बढ़ी है।

हां, यह कोई स्वतंत्रता दिवस या गणतंत्र दिवस नहीं है और न ही कोई यादगार दिन है। पर आज और हर दिन देश की आजादी में हमें उन स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान और कुर्बानी देने वाले गुमनाम नायकों को जरूर याद करना चाहिए, जिन्होंने हमें स्वतंत्र भारत प्रदान करने के लिए अपने जान की बाजी लगा दी। आजादी के अमृत महोत्सव के तहत यह हमारे पास नई और पुरानी पीढ़ी को न सिर्फ स्वतंत्रता सेनानियों, बल्कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम से परिचित कराने का सुनहरा मौका है

एएएचएल देश में 7 हवाईअड्डों का प्रबंधन करता है। इनमें मुंबई, अहमदाबाद, लखनऊ, मेंगलुरु, जयपुर, गुवाहाटी और तिरुवनंतपुरम आदि हवाईअड्डे शामिल हैं। एएएचएल यात्रियों को इन हवाईअड्डों पर स्वतंत्रता संग्राम के गुमनाम सेनानियों उपलब्धियों और योगदान, भूले-बिसरे आंदोलनों और महत्वपूर्ण लोगों से परिचित कराने के लिए सार्वजनिक उद्घोषणा व्यवस्था का उपयोग कर रहा है। फ्लाइट के संबंध में सूचना देने वाली डिस्प्ले स्क्रीन पर इन गुमनाम स्वतंत्रता सेनानियों की उपलब्धियों को पेश कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की जा रही है।

हर महीने की शुरुआत पर केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्रालय के निर्देशों के अनुसार सभी भारतीय एयरपोर्ट गुमनाम स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में पीए या एफआईडी सिस्टम से प्री-रेकार्डेड मैसेज चलाएंगे। यह संदेश इन स्वतंत्रता सेनानियों की जयंती और पुण्यतिथि पर चलाए जाएंगे या ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण तारीखों पर यह संदेश चलाया जाएगा।

मई का महीना भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में काफी महत्वपूर्ण है। यह भारत में बड़े पैमाने पर हुए पहले स्वतंत्रता आंदोलन के 165 वर्ष पूरे होने का प्रतीक है। इसे 1857 की क्रांति भी कहा जाता है। इस महीने एएएचएल 6 क्रांतिकारियों, पुरुषोत्तम काकोदकर, प्रीति लता वाड्डेदार, अलूरी सीताराम राजू दुर्गाबाई देशमुख, करतार सिंह सरभ और बिश्‍नी देवी शाह के भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में योगदान के संबंध में जागरूकता फैलाएगा।

यह अभियान लोगों में देश प्रेम की भावना को और मजबूत करने में काफी सफल रहा है। यात्रियों ने इस अभियान की सराहना की है और वह देशप्रेम से भरकर गर्व महसूस कर रहे हैं। लखनऊ एयरपोर्ट पर हाल ही में किए गए सर्वे में 80 प्रतिशत से अधिक लोगों ने इस अभियान को शानदार रेटिंग दी। सर्वे मे भाग लेने वाले लोगों ने दिल खोलकर अपनी भावनाओं के बारे में बताया। उन्होंने इसे अच्छी पहल बताया। सर्वे में एक व्यक्ति ने कहा, “…इससे हमारी युवा पीढ़ी के लोग इतिहास में दर्ज होने से रह गए गुमनाम स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान से परिचित होंगे।” वहीं अन्य सर्वे में शामिल एक अन्य व्यक्ति ने कहा, “….एक शानदार कदम उठाया गया। ….इससे भारतीयों की स्वतंत्रता संग्राम के संबंध में जानकारी बढ़ेगी।”

इस अभियान की पहुंच बढ़ाने के लिए, एएएचएल ने इस कैंपेन को लोकप्रिय सोशल मीडिया चैनलों, फेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर ऑनलाइन चलाया है। एएएचएल को इस पोस्ट से काफी शानदार रेस्पॉन्स मिला। इन पोस्ट पर लोग 9 फीसदी तक ज्यादा आए। यह पोस्ट हजारों लोगों तक पहुंच चुकी है।

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