नस्ल सुधार कार्यक्रम में निजी क्षैत्रों की भागीदारी को बढ़ावा दें -मुख्यमंत्री

जयपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अधिकारियों को निर्देश दिये हैं कि प्रदेश में नस्ल सुधार कार्यक्रम के तहत उन्नत पशु प्रजनन सुविधा मुहैया कराने के लिए निजी क्षेत्रा की भागीदारी को बढ़ावा दिया जाये। मुख्यमंत्री आज यहां मुख्यमंत्राी कार्यालय में ग्रामीण क्षेत्रों में उन्नत पशु प्रजनन सुविधा मुहैया कराने तथा कृत्रिम गर्भाधान केन्द्रों के विस्तार के संबंध में आयोजित बैठक की समीक्षा कर रहे थे। श्री गहलोत ने कहा कि राज्य सरकार एवं निजी संस्थाओं के माध्यम से ऐसे क्षेत्रा जहां कि उन्नत प्रजनन सुविधा नहीं है, उन क्षेत्रों में यह सुविधा उपलब्ध करायी जानी आवश्यक है ताकि आने वाली पशु सन्तति और अधिक उत्पादन दे सके। प्रदेश में विश्व प्रसिद्ध उन्नत किस्म के पशु विद्यमान हैं। प्रति पशु उत्पादकता बढ़ाने के लिये पशु स्वास्थ्य सेवायें एवं उन्नत पशु प्रजनन सुविधायें प्रदत्त किये जाने के लिए निजी क्षेत्रा की भागीदारी आवश्यक है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में पहले से निजी क्षेत्रा द्वारा चलाये जा रहे नस्ल सुधार कार्यक्रम में जो कमियां रही हैं उनके निराकरण के लिए योजनाओं का प्रभावी ढंग से क्रियान्वयन किया जाये । बैठक में बताया गया कि प्रदेश में एक से सवा करोड़ प्रजनन योग्य पशु उपलब्ध हैं। मुख्यमंत्राी ने कहा कि नस्ल सुधार कार्यक्रम का महत्त्व भी मुख्यमंत्राी निःशुल्क पशु दवा योजना से कम नहीं है जिसका बेहतर क्रियान्वयन आवश्यक है । मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने पशुओं के उपचार के लिये प्रत्येक तहसील में एक-एक मोबाइल
वैटनरी यूनिट की सुविधा उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है। इस यूनिट से पशुपालकों को उनके द्वार पर
पशुओं के उपचार की सुविधा उपलब्ध हो सकेगी। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि इस इकाई के शीघ्र जयपुर से लोकार्पित करने की तिथि निर्धारित की जाये। उन्होंने कहा कि मोबाइल वैटनरी यूनिट में आवश्यक औषधियों, उपकरणों और वाहनों की व्यवस्था सुनिश्चित हो। ’मुख्यमंत्राी निःशुल्क पशु दवा योजना’ की समीक्षा करते हुए श्री गहलोत ने कहा कि मुख्यमंत्राी निःशुल्क दवा योजना की भांति पशुधन की दवाइयों की निरन्तर आपूर्ति हो और इसकी प्रभावी मॉनीटरिंग की जाये। उन्होंने कहा कि पशुपालकों को दवाई आपूर्ति में किसी प्रकार की कोई कोताही नहीं बरती जाये। बैठक में बताया गया कि पशुओं को पहले 41 प्रकार की दवाइयां दी जा रही थीं, जिनकी संख्या बढ़कर अब 74 हो चुकी हैं। भविष्य में ये दवाइयां और बढ़ाई जायेंगी। बैठक में बताया गया कि वर्ष 2013-14 में राज्य योजना, देवनारायण योजना तथा आदिवासी विकास योजना के तहत 2600 कृत्रिम गर्भाधान केन्द्र स्थापित किये जायेंगे। इनकी संख्या बढ़ाने के लिये निजी क्षेत्रा का भी सहयोग लिया जायेगा। मुख्यमंत्राी ने पशु चिकित्सकों एवं पशुधन सहायकों के पदों पर शीघ्र भर्ती करने के भी निर्देश दिये। बैठक में पशुपालन मंत्राी श्री हरजीराम बुरड़क, मुख्य सचिव श्री सी.के.मैथ्यू, मुख्यमंत्राी के प्रमुख सचिव श्री श्रीमत पाण्डेय, प्रमुख शासन सचिव वित्त डॉ. गोविन्द शर्मा, प्रमुख शासन सचिव पशुपालन श्री मुकेश शर्मा, मुख्यमंत्राी के सचिव श्री रजत मिश्र, निदेशक, कार्यक्रम क्रियान्वयन डॉ. राजेश शर्मा भी उपस्थित थे।

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