14 वर्षों से भवन विहीन है संस्कृत विद्यालय

DSC06024DSC06027DSC06029-मूलचंद पेसवानी– मांडल / मांडल उपखंड क्षैत्र में एकमात्र संस्कृत विद्यालय भी भवन विहिन होकर प्राथमिक विद्यालय के एसएसए के मद से निर्मित दो कमरो के भवन में संचालित किया जा रहा है। संस्कृत विद्यालय की कक्षा 1 से 10 तक के बच्चो को किचनशेड सहित दो कमरो में अध्यापक पढाने को मजबुर है। मांडल में संस्कृत शिक्षा विभाग के द्वारा संचालित राजकिय प्रवेशिका संस्कृत विद्यालय वर्ष 1999 से ही संचालित है। लेकिन इन 14 वर्षो में विभाग अथवा जनप्रतिनिधि में से किसी भी ने भी भवन के लिए अब तक पहल नही की। इन वर्षो में अध्यापको के द्वारा मेजा रोड पर स्थित प्राथमिक विद्यालय के लिए एसएसए की मद से बने दो कमरो में शरणार्थी की भांति पढाने की मजबुरी उठा रहे है। राज्य सरकार के आदेशानुसार इस सत्र में संस्कृत की कक्षा 1 से 5 तक का अल्लग से संचालन किया जा रहा है। अध्यापको की मजबुरी यह है कि कौनसी कक्षा को पढाए अथवा कौनसी को नही पढाए।  अध्यापक एक ही कमरे के बीच में अलमारी की दीवार खडी करके दो कक्षाओं को पढा रहे है।  वही किचनशेड के बाहर व अंदर नाममात्र की जगह पर कक्षाएं संचालित की जा रही है।
इनका कहना है कि 
हमने संस्कृत शिक्षा विभाग को भवन बनाने के लिए प्रबंध समिति की बैठक में प्रस्ताव लेकर भेज रखे है। लेकिन अभी तक कोई भी जवाब नही आया है।
-रामपाल शर्मा, प्रधानाध्यापक
राजकिय प्रवेशिका संस्कृत विद्यालय, मांडल

संस्कृत विद्यालय की समिति की बैठक आयोजित 

मांडल/ राजकिय प्रवेशिका संस्कृत माध्यमिक विद्यालय के विकास एंव प्रबंध समिति की बैठक गुरूवार को आयोजित की गई। प्रधानाध्यापक एंव समिति अध्यक्ष रामपाल शर्मा की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में मुख्य अतिथि उपसरपंच गोपेश भट्ट व विशिष्ट अतिथि बालकृष्ण आचार्य थे। बैठक में विद्यालय का प्रर्याप्त भवन नही होने से बालको को पढाने में आ रही समस्या पर विचार विमर्श किया गया। विद्यालय के लिए भवन बनाने हेतु सांसद अथवा स्थानीय विधायक मद से राशि आवंटित कराने पर भी विचार कर प्रस्ताव लिए गए। बैठक में आरएमएसए से प्राप्त राशि व्यय करने पर प्रस्ताव लिया गया।

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