अब गोडावण के लिए भी संरक्षित क्षेत्र बनेंगे

जयपुर। बाघ परियोजना क्षेत्रों की तर्ज पर अब राज्य पक्षी गोडावण के लिए संरक्षित क्षेत्र बनेंगे। देशभर में यह संरक्षित क्षेत्र विकसित किए जाएंगे। केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने गोडावण की मौजूदगी वाले राजस्थान सहित सभी राज्यों से इस पक्षी की बहाली के लिए कार्ययोजना आमंत्रित की है जिसमें राज्य सरकारें पांच से दस साल की अवधि में गोडावण की आबादी बढ़ाने के लिए प्रस्ताव तैयारी करेगी। अब राष्ट्रीय स्तर पर गोडावण संरक्षण कार्यक्रम शुरू होगा।

देश में गोडावण की चार प्रजातियों ग्रेट इंडियन, लेजर फ्लोरिकन बस्टर्ड, बंगाल फ्लोरिकन और हाउबरा बस्टर्ड का संरक्षण होगा। केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने राजस्थान, पंजाब,तमिलनाडू,गुजरात और हरियाण सहित सहित कई राज्यों को निर्देश दिए है वह अपने यहां गोडावण के लिए क्रिटिकल जोन घोषित कर वहां इस पक्षी की बहाली की योजना को लागू करें। निर्देशों के मुताबिक हर क्रिटिकल जोन का दायरा तय करने के लिए एक बस्टर्ड कंजर्वेशन कमेटी बनाई जाएगी। यह कमेटी स्थानीय अधिकारियों के सहयोग से सर्वे कराकर रिकवरी प्लान तैयार कर मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक कार्यालय के माध्यम से केन्द्र सरकार को भेजेगी। इसके कार्ययोजना में इस पक्षी के हैबिटैट संरक्षण के लिए क्षेत्र विशेष की चारदीवारी या फैंसिंग कर संरक्षित घोषित करना, उसमें इस पक्षी की हैबिटैट विकसित करने के लिए सेवण घास के चारागाह विकसित करना, शिकार पर रोक और अंडों की सुरक्षा के प्रबंध आदि शामिल है।

राजस्थान वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि प्रदेश में ग्रेट इंडियन बस्टर्ड पाया जाता है और इस दुर्लभ प्रजाति के लगभग 100 पक्षी ही बचे हैं। राज्य सरकार गोडावण के संरक्षण की योजना जल्द ही तैयार कर केन्द्र को भेजेगी। पश्चिमी राजस्थान के जैसलमेर, बाड़मेर और बीकानेर में तथा अजमेर-मालपुरा-शाहपुर-देवगढ़ इलाके में इस पक्षी के संरक्षण के लिए क्रिटिकल जोन घोषित किए जाएंगे।

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