दूसरों का भला सोचने वाला ही ज्ञानी-आचार्य सुकुमालनंदी

sukumlanandijiभीलवाड़ा- हर व्यक्ति स्वार्थी होता है लेकिन सच्चा विधार्थी वही है जो दूसरो का हित सोचे। दूसरे बच्चों की भलाई के बारे मे सोचने वाला ही सच्चा इंसान है सच्चा ज्ञानी है। पढ़ने लिखने वाला बच्चा ही आगे बढ़ता है। सिर्फ रटू प्रवृत्ति करने वाला बच्चा सफल नही होता है। मनोयोग पुर्वक पढ़ना और दुसरो का भला करना यही सच्चे विधार्थी का लक्षणहै। अपना ध्यान सिर्फ पढ़ाई में लगाना चाहिए। बीड़ी, सिगरेट,गूटका,दारू,शराब, मांस,मछली अण्डा आदि का सेवन नही करना चाहिए। जुआ नहीं खेलना चाहिए,और अच्छी आदतें रखनी चाहिए। हमेशा बड़ों के प्रति विनयवान व आस्थावान रहना चाहिए। मानवता व नैतिकता का पाठ सदैव स्मरण में रखना चाहिए।
उक्त उद्गार आचार्य सुकुमालनंदीजी गुरूदेव ने स्कूल के विधार्थियों को संम्बोधित करते हुए कहा। सभी बच्चों को देश व मानव सेवा का संकल्प दिलाया व बूरी आदतों का त्याग दिलवाया। धर्मसभा का संचालन पदम् चन्द काला ने किया। -मूलचंद पेसवानी

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