आई नीड साईं द्वारा गुरु पूर्णिमा पर होगा साईं के अध्भुत लाइव दर्शन

Ineedsai.org_उज्जैन / जब भी मानवता की बात होती है सर्वधर्म सम्मान सद्भव्ना अपनापन
अहिंसा की बात होती है साईं राम का नाम अपने आप जुबान पर आ जाता है. सबका
मालिक एक है’…यह गूढ़ मंत्र देने वाले शिर्डी के साँई बाबा ने 1918 में
समाध‍ि ग्रहण किये थे भारतवर्ष में गुरु, योगी और फकीर के रूप में हिंदू
व मुस्लिम सहित विभिन्न धर्मो के श्रद्धालुओं के बीच बेहद सम्माननीय हैं।
कुछ हिंदू श्रद्धालुओं का विश्वास है कि साँई बाबा शिव या दत्तात्रेय
भगवान के अवतार हैं। उन्हें सतगुरु का सम्मान भी मिला और कबीर का अवतार
भी माना गया।
लोगों की ये भी मान्यता है कि वे जीवनभर एक मस्जिद में रहे और उनकी
मृत्यु के पश्चात उनका अंतिम संस्कार एक मंदिर में हुआ था। उन्होंने
हिंदू व मुस्लिम, दोनों ही परंपराओं को नया रूप दिया। इस तीर्थस्थान का
मूल नारा ‘अल्लाह मालिक’ है।
‘साँई बाबा’ नाम फारसी और भारतीय से लिया गया है, ‘साँई’ एक फारसी शब्द
है, जिसका अर्थ है पवित्र या संत, जबकि भारतीय भाषाओं में ‘बाबा’ शब्द का
प्रयोग पिता के लिए किया जाता है। इस तरह से साँई बाबा का अभिप्राय
पवित्र पिता से है।
जन्म से लेकर सोलह वर्ष तक की आयु का उनका जीवन परिचय अस्पष्ट है, इसलिए
उनके प्रारंभिक जीवन से जुड़े कई सारे अनुमान व अनुश्रुतियाँ सुनने को
मिलती हैं। अपने जीवनकाल में उन्होंने हिंदू व इस्लाम धर्मों की एकता पर
बल दिया है।
साँई बाबा ने प्रेम, दया, सहिष्णुता, क्षमा, शांति और भक्ति जैसे
सिद्धांतों का पाठ पढ़ाया। वे अद्वैतवाद दर्शन के अनुयायी थे और उन्होंने
भक्ति व इस्लाम, दोनों ही धाराओं में शिक्षाएँ दीं। महाराष्ट्र, दक्षिणी
गुजरात और आंध्रप्रदेश में इनकी लोकप्रियता अपरम्पार है, मगर उनके मूल को
लेकर आज भी विवाद है।
शिर्डी में साँई बाबा से जुड़े सभी महत्वपूर्ण स्थान आसपास ही स्थित हैं,
जिनमें साँई बाबा का ‘समाधि’ मंदिर, संत स्थान ‘गुरुस्थान’, मस्जिद
‘द्वारकामाई’, चावड़ी, लेंडीबाग, संग्रहालय तथा खंडोबा मंदिर। यहाँ पर
तीन प्रमुख त्योहार श्री रामनवमी, गुरुपूर्णिमा तथा विजयादशमी महोत्सव के
रूप में मनाए जाते हैं।
ऐसे ही सच्चे साईं के बारे में दुनिया को जानकारी देने के साथ ही साथ दूर
दराज में विद्धमान लाखो करोडो भक्तों को बाबा के बारे में जानकारी सहित
लाइव दर्शन की सुविधा भी उपलब्ध करवा रहे पुणे महाराष्ट्र के साईं भक्त
वेदांत गोयल ने एक ऐसी वेबसाइट (www.ineedsai.org) का निर्माण किया है
जिसमे साईं बाबा के बारे में प्रमुख पर्व के साथ ही स्थानीय दर्शन एवं
वहाँ की मान्यताओ के बारे में जानकारी का समावेश किया गया है.
साईं भक्त वेदांत गोयल बताते है की दूर शहरों में रहने वाले विभिन्न
भाषाओ के साईं भक्त जब शिर्डी साईं मंदिर जाते है तो उन्हें वह की मराठी
या हिंदी न आने के कारन बहुत ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ता है एवं
कई बार तो उनको ठग भी लिया जाता है ऐसा ही अनुभव मेरे साथ भी हुआ है
इसलिए मेने आय नीड साईं नामक इस वेबसाइट के माध्यम से उन सभी साईं भक्तों
को सम्पूर्ण जानकारी उपलब्ध करवाने का प्रयास कर रहा हूँ जिससे साईं
भक्तों को शिर्डी साईं यात्रा के दौरान किसी प्रकार की समस्या का सामना
ना करना पड़े एवं साथ ही साईं भक्त प्रतिदिन साईं बाबा के लाइव दर्शन
अपने घर कार्यालय या दुकान पर बैठे हुए भी कर सके इसलिए साईं बाबा के
लाइव दर्शन की भी व्यवस्था किया गया है
शिर्डी साँई बाबा मंदिर :- आम दिनों में भी साँई मंदिर व समाधि स्थल के
दर्शन हेतु भक्तों की लंबी कतारें लगती है परंतु गुरुवार, दशहरा व अन्य
त्योहारों पर यहाँ बाबा के दर्शन हेतु भक्तों का हुजूम उमड़ता है। अत:
बेहतर होगा कि आप इन दिनों को छोड़कर आम दिनों में बाबा के दर्शन का लाभ
ले ता‍कि आपका शांति से बाबा के दर्शन करने का उद्देश्य पूरा हो जाए।
हालाँकि हमने बुधवार(होली के दिन) बाबा के दर्शन किए परंतु उस दिन भी
हमें दर्शन की कतार में खड़े-खड़े लगभग एक घंटे से भी अधिक का समय लगा।
कतारों हेतु बनाया गया चक्करदार रास्ता हमारी बाबा के दर्शनों की
उत्सुकता को ओर अधिक बढ़ा रहा था। अंतत: जब हमें बाबा के दर्शन हुए, वो
पल एक अविस्मरणीय पल था। सोने के सिंहासन पर विराजित बाबा की चमत्कारी
प्रतिमा का तेज देखते ही बनता था। ऐसा लग रहा था मानो वो मूर्ति अभी बोल
पड़ेगी। सौभाग्य से हमें 15 मिनट तक लगातार बाबा की प्रतिमा को निहारने
का मौका मिला। साँई प्रसादालय :- शिर्डी में साँई मंदिर ट्रस्ट द्वारा
बनाई गई भोजनशाला सांप्रदायिक सद्भाव की बेहतर मिसाल है। यहाँ किसी भी
प्रकार के भेदभाव के बगैर हजारों भक्त एकसाथ बैठकर भोजन ग्रहण करते हैं।
यह भोजनशाला साँई बाबा मंदिर से कुछ ही दूरी पर स्थित है। आपको यह जानकर
आश्चर्य होगा कि महज 5 रुपए के टोकन पर आप भरपेट भोजन कर सकते हैं। यहाँ
की सफाई व्यवस्था, विशाल भोजन कक्ष, पांडाल व मेजबानी देखते ही बनती है।
जाति-धर्म का भेद भुलाकर बड़े ही प्रेम से भक्तजन यहाँ साँई के
प्रसादस्वरूप भोजन ग्रहण करते हैं। शिर्डी से शनि शिगनापुर का सफर :-
शिर्डी साँई बाबा के दर्शन के बाद हमारा अगला पड़ाव था ‘शनि शिगनापुर’,
जोकि शिर्डी से लगभग 90 किमी की दूरी पर है। दो घंटे की यात्रा के बाद हम
शिर्डी से शिगनापुर पहुँच गए। यहाँ भगवान शनिदेव का विश्वप्रसिद्ध
चमत्कारी मंदिर है। इस मंदिर की खासियत यह है कि यहाँ शनिदेव की विशाल
पाषाण प्रतिमा बगैर किसी छत्र के विराजित हैं। शिगनापुर के शनिदेव के
दर्शन करके हमने दोपहर में 3 बजे इंदौर का रूख किया और मार्ग में शाम को
5 बजे शिर्डी भी आया। रात को लगभग 1 बजे हम इंदौर पहुँचकर हमने अपनी
यादगार यात्रा समाप्त की।

वेदांत गोयल
पुणे
9981966140

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