स्वर्गीय श्री रामनिवास मिर्धा को आज जयंती पर शत शत नमन

सौम्यता उनके चेहरे का नूर थी….उनकी आँखें एक विजन लिए थी… उनकी आवाज पर तंत्र झुक जाया करते थे..राजनीति और ईमानदारी किसी नदी के दो किनारे जैसे नजर आते है। किसी शख्स से यदि राजनीति में ईमानदारी की मिसाल ढूंढने को कहा जाए तो शायद इसमें मुश्किल होगी, मगर स्वर्गीय रामनिवास जी मिर्धा का नाम दिमाग में तैरते ही इस सवाल का जवाब आसानी से मिल जाता है। यही वे शख्सियत है जिनका नाम सादगी,व्यवहार कुशलता और कर्मठता का जिक्र होते ही ram nivas mirdhaखुद ब खुद जुबां पर आ जाता है…. उन्होंने सत्ता के विकेंद्रीकरण का सपना देखा उन्होंने राज्य में पंचायती राज लागू करने की पुरजोर वकालत की थी… जातिवाद जैसी संकीर्णता से दूर रहने वाले रामनिवास जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे…जमीन से जुड़े थे…राजस्थान प्रशासनिक सेवा से त्यागपत्र दे राजनीती में उतरे मिर्धा जी सदैव अपने नेतिक मूल्यों पर चले…. वे बड़े बड़े ओहदों पर रहे लेकिन जमीन से जुड़ाव बरक़रार रहा……… अपने पुत्र का आंतकवादियों द्वारा अपहरण कर लिए जाने पर अपने नैतिक मूल्यों के लिए और लोकतंत्रीय ऊँचे ओहदे पद पर होते हुए भी फिरौती देने से इनकार कर देना….यह कार्य बिरले ही कर सकते है……. जीवन पर्यन्त वह किसान, गरीब, कमजोर और पिछडे वर्ग के हितों के लिये प्रयत्नशील रहे। वह कला एवं संस्कृति की समृद्धि के लिये भी समर्पित रहे। मिर्धा को देश प्रदेश की प्रगति और विकास में उनके अमूल्य योगदान के लिए सदैव याद किया जाता रहेगा……. रामनिवास जी मिर्धा के पूर्ण आर्थिक सहयोग से नागौर की मादी बाई गर्ल्स कॉलेज उनके प्रयासों की कहानी खुद बयां कर रही है शिक्षा के हिमायती, महान आत्मा स्वर्गीय श्री रामनिवास मिर्धा को आज जयंती पर शत शत नमन l
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