नेहरु जी को 52वीं पूण्यतिथि पर उनके योगदान को याद कर उनको श्रद्धा सुमन ( भाग 2)

डा. जे. के. गर्ग
डा. जे. के. गर्ग
उच्च तकनीकी शिक्षा के लिये—-आईआईटी स्थापित किये गये। इसी तरह,प्रबंधन के गुर सिखाने केलिए आईआईएम खोले गए। इन उच्चकोटि के संस्थानों के साथ-साथ संपूर्ण देश के पचासों छोटे-बड़े शहरों में इंजीनियरिंग कालेज व देशवासियों के स्वास्थ्य की देखभाल करने के लिये मेडिकल कालेज स्थापित किये गये।
वैज्ञानिक सोच रखने के साथ नेहरूजी प्रगति के प्रेरणा स्रोत एवं खेल प्रेमी थे— वैज्ञानिक सोच को बड़ावा देने एवं युवाओं में विज्ञान के अध्ययन की रुची जाग्रत करने हेतु नेहरू ने ‘भारतीय विज्ञान कांग्रेस’ की स्थापना की। उन्होंने अनेको बार भारतीय विज्ञान कांग्रेस में अध्यक्षीय भाषण दिया। भारत के विभिन्न भागों में स्थापित वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद के अनेक केंद्र इस क्षेत्र में उनकी दूरदर्शिता के स्पष्ट प्रतीक हैं।
खेलों में नेहरू की व्यक्तिगत रुचि थी। उन्होंने खेलों को मनुष्य के शारीरिक एवं मानसिक विकास के लिए आवश्यक बताया। एक देश का दूसरे देश से मधुर सम्बन्ध क़ायम करने के लिए 1951 में उन्होंने दिल्ली में प्रथम एशियाई खेलों का आयोजन करवाया |
योजनाबद्ध विकास हेतु पंचवर्षीय योजना की परिकल्पना——
चूँकि अंग्रेजों के शासन के दौरान देश की अर्थव्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई थी इसलिये उसे वापस पटरी पर लाने के लिये अनेक बुनियादी कदम उठाये गये। उनमें सर्वाधिक महत्वपूर्ण था देश का योजनाबद्ध विकास। इसके लिये योजना आयोग की स्थापना की गई। स्वयं नेहरू जी योजना आयोग के अध्यक्ष बने। योजना आयोग ने देश के चहुंमुखी विकास के लिये पंचवर्षीय योजनाएं बनाईं। उस समय पंचवर्षीय योजनाएं सोवियत संघ सहित अन्य समाजवादी देशों में लागू थीं परंतु पंचवर्षीय योजना का ढांचा एक ऐसे देश में लागू करना नेहरूजी के ही बूते का था जो पूरी तरह से समाजवादी नहीं था।
गुटनिरपेक्षता के पक्षधर
दूसरे महायुद्ध के बाद विश्व दो गुटो में विभाजित हो गया था। जहाँ एक गुट का नेतृत्व अमरीका कर रहा था वहींर दूसरे गुट का सोवियत संघ। भारत ने यह फैसला किया कि वह दोनों में से किसी गुट में शामिल नहीं होगा।
इसी निर्णय के अन्तर्गत उन्होंने अपनी विदेशी नीति का आधार गुटनिरपेक्षता को बनाया। भारत द्वारा की गई इस पहल को भारी समर्थन मिला और अनेक नव-स्वाधीन देशों ने गुटनिरपेक्षता को अपनाया। गुटनिरपेक्षता की नीति की अमेरिका द्वारा सख्त निंदा की गई। हमारे देश के अंदर भी कुछ लोगों नें भारत की गुटनिरपेक्षता की नीति की आलोचना की और कहा कि हम समाजवादी देशों के पिछलग्गू बन गये हैं। परंतु हमारी गुटनिरपेक्षता की नीति के कारण सारी दुनिया में भारत की प्रतिष्ठा बढ़ी और जवाहरलाल नेहरू गुटनिरपेक्ष देशों के सर्वाधिक शक्तिशाली नेता बन गये।
राज्यों का पुनर्गठन
नेहरू के समय में एक और अहम फ़ैसला भाषाई आधार पर राज्यों के पुनर्गठन का था। इसके लिए राज्य पुनर्गठन क़ानून (1956)पास किया गया। आज़ादी के बाद भारत में राज्यों की सीमाओं में हुआ यह सबसे बड़ा बदलाव था। इसके तहत 14राज्यों और छह केंद्र शासित प्रदेशों की स्थापना हुई। इसी क़ानून के तहत केरल और बॉम्बे को राज्य का दर्जा मिला। संविधान में एक नया अनुच्छेद जोड़ा गया जिसके तहत भाषाई अल्पसंख्यकों को उनकी मातृभाषा में शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार मिला |
पंचशील के जनक—-जवाहरलाल नेहरू ने भारत को तत्कालीन विश्व की दो महान शक्तियों का पिछलग्गू न बनाकर तटस्थता की नीति का पालन किया। नेहरूजी ने निर्गुटता एवं पंचशील जैसे सिद्धान्तों का पालन कर विश्व बन्धुत्व एवं विश्वशांति को प्रोत्साहन दिया।
नेहरुजी नेकई पुस्तकें लिखी जिनमें प्रमुख निम्न हैं——–भारत कीखोज (डिस्कवरी ऑफ़ इंडिया—1946 ), आत्मकथा (एन ऑटोबायोग्राफी—1938 ), ग्लिम्प्सेस ऑफ़ वर्ल्डहिस्ट्री—1934,पुत्री के नाम पिता के पत्र (लेटर्स फ़्रोम ए फादर टू हिज डॉटर—1929 )
मुख्यमंत्रीयों के नाम पत्र —1947 से 1964:—– नेहरूजी हर पखवाड़े(15 दिन ) मुख्यमंत्रीयों को पत्र लिखा करते थे
हमेशा बच्चों की तरह हमेशा तरोताज़ा दिखते थे चाचा नेहरू—–
देशभर में जवाहरलाल नेहरू का जन्म दिन 14नवंबर को बाल दिवसके रूप में मनाया जाता है। नेहरू बच्चों से बेहद प्यार करते थे और यही कारण था कि बच्चें उन्हें प्यार से चाचा नेहरू कहकर बुलाते थे। एक बार चाचा नेहरू से मिलने एक सज्जन आए। बातचीत के दौरान उन्होंने नेहरू जी से पूछा, “पंडित जी,आप सत्तर साल के हो गये हैं,लेकिन फिर भी हमेशा बच्चों की तरह तरोताज़ा दिखते हैं इसका राज क्या है?नेहरू जी ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया,इसके तीन कारण हैं।
बच्चों को बहुत प्यार करता हूँ। उनके साथ खेलने की कोशिश करता हूँ,इससे मैं अपने आपको उनको जैसा ही महसूस करता हूँ।
मैं प्रकृति प्रेमी हूँ,और पेड़-पौधों,पक्षी,पहाड़,नदी,झरनों,चाँद,सितारों से बहुत प्यार करता हूँ। मैं इनके साथ में जीता हूँ,जिससे यहमुझे तरोताज़ा रखते हैं।
(3 )अधिकांश लोग सदैव छोटी-छोटी बातों में उलझे रहते हैं और उसके बारे में सोच-सोचकर दिमाग़ ख़राब करते हैं। मेरा नज़रिया अलग है और मुझ पर छोटी-छोटी बातों का कोई असर नहीं होता।” यह कहकर नेहरू जी बच्चों की तरह खिलखिलाकर हंस पड़े।
इस तरह कहा जा सकता है कि आजाद भारत में जहाँ सरदार पटेल ने अपनी सूझबूझ से सभी राजे-रजवाड़ों का भारत में विलय करवाकर एक संघटित राष्ट्र का स्वरूप दिया वहीं नेहरू ने भारत को एक शक्तिशाली आर्थिक नींव देने के लिए आवश्यक योजनायें बनाईं और उनके क्रियान्वयन के लिये उपयुक्त वातावरण भी। नेहरूजी ने अंतर्राष्ट्रीय जगत में भारत के सम्मान को शिखर तक पहुंचाया एवं उनकी नीतियों की वजह से ही देश के भीतर एक ऐसा राजनीतिक-आर्थिक एवं सामाजिक आधार निर्मित किया गया जिससे भारत की एकता,अखण्डता व प्रजातंत्र को कोई ताकत खत्म नहीं कर सकी।
निसंदेह आधुनिक भारत के निर्माण में पटेल और नेहरू दोनों का महत्वपूर्ण योगदान है।
नेहरूजी की 52वीं पूण्यतिथि पर औपचारिकतावश याद करने के बजाय भारत के नवनिर्माण के महान शिल्पकार के रूप में श्रद्दाजलीं अर्पित कर उन्हें नमन करें
जे.के गर्ग
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