जानिए आज 1 सितंबर-2016 को भारत में अदृश्य सूर्य ग्रहण के बारे में

पंडित दयानन्द शास्त्री
पंडित दयानन्द शास्त्री
आज भाद्रपद अमावस्या (गुरुवार,दिनांक 1 सितम्बर 2016 ई.) को ग्रहण होगा। इस ग्रहण का प्रभाव अफ्रीका, मडागास्कर, अटलांटिक महासागर और भारतीय महासागर,अफ्रीका महाद्वीप, हिन्द महासागर एंव आस्ट्रेलिया के पूर्वी तटवर्ती भू-भाग, अण्टाकार्टिका में दृश्य होगा। यह ग्रहण सिंह राशि और पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र में हो रहा है। यह ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा अतः यहाँ कोई नियम लागू नहीं रहेगा न सूतक का और न ही कोई जाप या दान पूण्य का || इस ग्रहण के दौरान थोड़ी सी सावधानी आपको बेहतर सेहत और किस्मत का वरदान दे सकती है| सूर्य ग्रहण का असर राशियों पर भी पड़ता है|
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ग्रहण का स्पर्श, मोक्षादि इस प्रकार है —
ग्रहण स्पर्श-मध्यान्ह 12 बजकर 48 मि. पर होगा।
ग्रहण मध्य-अपरान्ह 2 बजकर 48 मि. पर होगा।
ग्रहण मोक्ष-सांय 4 बजकर 24 मि.पर होगा।
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भारतीय समयानुसार ग्रहण का समय-
सूतक लगेगा: 11:43 बजे
पूर्ण ग्रहण शुरू होगा: 12:47 बजे
ग्रहण चरम पर: 14:31 बजे
पूर्ण ग्रहण समाप्त होगा: 16:25 बजे
सूतक समाप्त होगा: 17:30 बजे
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इस सूर्य ग्रहण का प्रभाव–
1 सितम्बर 2016 गुरूवार को खग्रास सूर्य ग्रहण के समय ग्रह योगों की स्थिति बहुत खराब दिख रही है। ग्रहों की इस स्थिति से विश्व की समस्यायें बढ़ेगी। इस ग्रहण का सर्वाधिक प्रभाव अफ्रीकी देशों पर पड़ेगा। इन अनेक देशों में अशान्ति व सत्ता संघर्ष रहेगा। पूर्वी एशिया के देशों मौसम तथा तूफान, भूकम्प से लोगों को पीड़ा हो सकती है। भारत में इस ग्रहण के बाद नेताओं के आचरण में कुछ सुधार आने की उम्मीद है।पूर्ण ग्रहण के समय पृथ्वी पर सूर्य का प्रकाश पूर्णत अवरुद्ध हो जाता है। ग्रहण को धार्मिक दृष्टि से अशुभ माना जाता है। भारतीय ज्योतिष में ग्रहण का बहुत महत्व है क्योंकि उनका सीधा प्रभाव मानव जीवन पर होता है। सामान्यता ग्रहण काल को जीवों हेतु शुभ नहीं माना जाता है। ज्योतिषशास्त्र के दार्शनिक खंड के अनुसार खगोलीय ग्रहण के दौरान समस्त जीवों पर इसका शुभाशुभ प्रभाव पड़ता है।
इस ग्रहण का प्रभाव सिंह राशि और पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र वालों पर होगा ।
दक्षिणी-पूर्वी समुद्रतटीय क्षेत्रों में तूफान, भूकम्प व चक्रवात आने की आशंका रहेगी। मैदानी भागों में अचानक मौसम बिगड़ने से लोगों को कष्ट होगा। विश्व की अर्थव्यस्था सुधारने के लिए आपस में द्विपक्षीय और बहुपक्षीय वार्तायें होगी लेकिन आपस में सहमति न हो पाने से संकट बना रहेगा। इस सूर्य ग्रहण के कारण भारत और पाकिस्तान में कशमीर मुद्दे को लेकर तनातनी का महौल बना रहेगा। ऐसे संकेत भी नजर आ रहे है कि कारगिल जैसी घटना फिर से घटित हो सकती है।
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जानिए क्या होता है सूर्य ग्रहण ???

विज्ञानं की दृष्टि से जब सूर्य व पृथ्वी के बीच में चन्द्रमा आ जाता है तो चन्द्रमा के पीछे सूर्य का बिम्ब कुछ समय के लिए ढ़क जाता है, उसी घटना को सूर्य ग्रहण कहा जाता है। पृथ्वी सूरज की परिक्रमा करती है और चाँद पृथ्वी की। कभी-कभी चाँद, सूरज और धरती के बीच आ जाता है। फिर वह सूरज की कुछ या सारी रोशनी रोक लेता है जिससे धरती पर अँधेरा फैल जाता है। इस घटना को सूर्य ग्रहण कहा जाता है।
जो ग्रह जिस देश या राज्य में दिखाई नहीं देता वहां सूतक मान्य नही होता है||

सूर्य ग्रहण के समय हमारे ऋषि-मुनियों के कथन—
हमारे ऋषि-मुनियों ने सूर्य ग्रहण लगने के समय भोजन के लिए मना किया है, क्योंकि उनकी मान्यता थी कि ग्रहण के समय में कीटाणु बहुलता से फैल जाते हैं। खाद्य वस्तु, जल आदि में सूक्ष्म जीवाणु एकत्रित होकर उसे दूषित कर देते हैं। इसलिए ऋषियों ने पात्रों के कुश डालने को कहा है, ताकि सब कीटाणु कुश में एकत्रित हो जाएं और उन्हें ग्रहण के बाद फेंका जा सके।
पात्रों में अग्नि डालकर उन्हें पवित्र बनाया जाता है ताकि कीटाणु मर जाएं। ग्रहण के बाद स्नान करने का विधान इसलिए बनाया गया ताकि स्नान के दौरान शरीर के अंदर ऊष्मा का प्रवाह बढ़े, भीतर-बाहर के कीटाणु नष्ट हो जाएं और धुल कर बह जाएं।
पुराणों की मान्यता के अनुसार राहु चंद्रमा को तथा केतु सूर्य को ग्रसता है। ये दोनों ही छाया की संतान हैं। चंद्रमा और सूर्य की छाया के साथ-साथ चलते हैं।
चंद्र ग्रहण के समय कफ की प्रधानता बढ़ती है और मन की शक्ति क्षीण होती है,
जबकि सूर्य ग्रहण के समय जठराग्नि, नेत्र तथा पित्त की शक्ति कमज़ोर पड़ती है।
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ग्रहण में क्या करें-क्या न करे ???

ग्रहण की अवधि में तेल लगाना, भोजन करना, जल पीना, मल-मूत्र त्याग करना, केश विन्यास बनाना, रति-क्रीड़ा करना, मंजन करना वर्जित किए गए हैं।
ग्रहण काल या सूतक में बालक , वृद्ध और रोगी भोजन में कुश या तुलसी का पत्ता डाल कर भोजन ले सकते है।
ग्रहण काल या सूतक के समय किसी भी प्रतिष्ठित मूर्ति को नहीं स्पर्श करना चाहिए।
ग्रहण काल में खासकर गर्भवती महिलाओं को किसी भी सब्जी को नहीं काटना चाहिए और न ही भोजन को पकाना चाहिए।
गर्भवती स्त्री को सूर्य-चंद्र ग्रहण नहीं देखने चाहिए, क्योंकि उसके दुष्प्रभाव से शिशु अंगहीन होकर विकलांग बन सकता है, गर्भपात की संभावना बढ़ जाती है।
इसके लिए गर्भवती के उदर भाग में गोबर और तुलसी का लेप लगा दिया जाता है, जिससे कि राहु-केतु उसका स्पर्श न करें।
ग्रहण काल में सोने से बचना चाहिए अर्थात निद्रा का त्याग करना चाहिए।
ग्रहण काल या सूतक में कामुकता का त्याग करना चाहिए।
ग्रहण काल या सूतक के समय भोजन व पीने के पानी में कुश या तुलसी के पत्ते डाल कर रखें ।
ग्रहण काल या सूतक के बाद घर गंगा जल से शुद्धि एवं स्नान करने के पश्चात मंदिर में दर्शन अवश्य करने चाहिए।
ग्रहण के समय गायों को घास, पक्षियों को अन्न, जरुरतमंदों को वस्त्र दान से अनेक गुना पुण्य प्राप्त होता है।
‘देवी भागवत’ में आता है कि भूकंप एवं ग्रहण के अवसर पृथ्वी को खोदना नहीं चाहिये
जैसा की हमारे धर्म शास्त्रों में लिखा है ग्रहण काल में अपने इष्टदेव का ध्यान और जप करने से कई गुना अधिक पुण्य मिलता है।
ग्रहण के समय में अपने इष्ट देव के मंत्रों का जाप करने से सिद्धि प्राप्त होती है।कुछ लोग ग्रहण के दौरान भी स्नान करते हैं। ग्रहण समाप्त हो जाने पर स्नान करके ब्राह्‌मण को दान देने का विधान है
ग्रहण काल में जिनकी कुंडली में सूर्य देव तुला राशि में है ऐसे लोग सूर्य मंत्र का जाप करे और ग्रहण के उपरांत सूर्य को अर्घ देवे।
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जानिए आज (गुरुवार,1 स‌ितंबर 2016 को) होने वाले इस सूर्य ग्रहण के द्वादश राशियों पर होने वाले प्रभाव को —
मेष: नौकरी पेशे में परेशानी रहेगी। निजी जीवन अशांत रहेगा। भ्रम पैदा होगा। कार्यक्षेत्र में बदलाव आएगा।

वृष: माता का स्वास्थ्य बिगड़ेगा। पारिवारिक खुशहाली रहेगी। संतान से लाभ होगा। शिक्षा में सुधार होगा।

मिथुन: भाई-बहन से संबंधों में तनाव रहेगा। प्रॉपर्टी की खरीदारी संभव है। वाहन सुख में वृद्धि होगी।

कर्क: धन हानि के योग हैं। फालतू खर्च बढ़ेगा। कला में रुचि बढ़ेगी। प्रतियोगिता में सफलता मिलेगी।

सिंह: मानसिक अवसाद रहेगा। स्वास्थ्य बिगड़ेगा। दांपत्य में विवाद के योग हैं। प्रबल धन लाभ के योग हैं।

कन्या: पराक्रम में वृद्धि होगी। सेहत में सुधार आएगा। खर्चे में बढ़ौत्तरी होगी। नए कपड़े व आभूषण खरीदेंगे।

तुला: नौकरी में प्रमोशन मिलेगा। रुका धन मिलेगा। बिजनैस में लाभ होगा। व्यवसयिक लंबी यात्रा के योग हैं।

वृश्चिक: बंधु और मित्रों से सुख मिलेगा। प्रबल धन लाभ के योग हैं। अकस्मात व्यापारिक तेजी-मंदी रहेगी।

धनु: व्यवसायिक लाभ होगा। नौकरी में सफलता मिलेगी। संतान पर खर्च बढेगा। मानसिक चिंता परेशान करेगी।

मकर: धर्मस्थल की यात्रा करेंगे। भग्यौदय होगा। सेहत चिंतित करेगी। पिता पक्ष से बड़े लाभ के योग हैं।

कुंभ: रुका हुआ धन प्राप्त होगा। प्रमोशन के प्रबल योग हैं। अकस्मात दांपत्य में उतार-चढ़ाव आएगा।

मीन: व्यापार में लाभ के योग हैं। बिगड़ी सेहत में सुधार होगा। शत्रु परास्त होंगे। यात्रा पर खर्च बढ़ेगा।
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ध्यान रखें की 16 – 17 सितंबर-2016 को होने वाला चंद्र ग्रहण यह ग्रहण एश‍िया, ऑस्ट्रेलिया और पूर्वी अफ्रीका में दिखाई देगा। आंश‍िक रूप से यूरोप, दक्ष‍िण अमेरिका, अटलांटिक और अंटार्कटिका में दिखेगा।
16 सितंबर 2016 को भारतीय समयानुसार ग्रहण का समय-
सूतक लगेगा: 22:24 बजे
ग्रहण चरम पर: 00:24 बजे
और सूतक समाप्त होगा: 02:23 बजे
–शुभम भवतु ||| कल्याण हो ||

पंडित “विशाल” दयानन्द शास्त्री,(ज्योतिष-वास्तु सलाहकार)

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