ओम पुरी कोई यूं नहीं हो जाता

om-puri-1-निरंजन परिहार-
मुंबई की उस जगमगाती रात की उस शानदार पार्टी में भारतीय सिनेमा के परम ज्ञानी किस्म के कुछ नामी लेखक, सम्मानित कलाकार और जाने माने निर्माता अपने अवाक कर देने वाले अंदाज में उपस्थित थे। वर्सोवा में त्रिशूल अपार्टमेंट के उके पेंट हाउस में महफिल अपने आकाशीय उभार पर थी। हंसी का भी दौर था। और उस मधुर माहौल में संगीत की स्वर लहरियों पर एक रस घोल देनेवाली क्लासिकल आवाज में बड़े बड़े स्पीकर पर भजन बज रहे थे। माहौल की मिसाल को मुकाम बख्शने के अंदाज में एक आदमी अपनी दमदार आवाज में बोला – ‘वाह क्या शानदार आवाज है, भीमसेन जोशी की!’ बस, इतना सुनना था कि आंके तरेर कर करीब करीब चीखते हुए अंदाज में उस आदमी की पत्नी ने सार्वजिनक रूप से डपटने के साथ अपनी किस्मत को कोसते हुए कहा – ‘पता नहीं मैंने भी किस जाहिल और गंवार से शादी कर ली… जिसे यह तक पता नहीं कि इस तरह की गायकी भीमसेन जोशी की हैं या कुमार गंधर्व की।’ सबके सामने पत्नी के हाथों अपनी इज्जत का तमाशा बनता देख उस आदमी ने खुद को जेहन तक जलील महसूस किया। फिर वह उठा और भीतर चला गया। उसके पत्रकार मित्र आलोक तोमर ने कमरे में झांककर देखा तो वह आदमी फूट फूट बच्चों की तरह रो रहा था। उन दिनों ‘कौन बनेगा करोड़पति’ सीरियल लिख रहे तोमर ने उन्हें चुप कराया। फिर कुछ वक्त बाद ठीक वैसे ही जैसे, कैमरे के सामने खड़े होकर अभिनय किया जाता है, वह आदमी सारी बेइज्जती भुलाकर बाहर आने के बाद के महफिल के मूड में शामिल हो गया।

पति को सार्वजनिक रूप से बेइज्जत करनेवाली वह महिला अलौकिक आभा और सात्विक सौंदर्य की मल्लिका सीमा कपूर थी और अपने सांस्कृतिक संगीत के अल्पज्ञान के कारण सबके सामने अपनी भद्द पिटवानेवाले पति थे ओम पुरी। सीमा के उन दिनों के पति। ओम पुरी बेचारे भले और भोले थे, जिनकी शास्त्रीय संगीत में कोई खास रूचि कभी रही नहीं और सीमा कपूर ठहरी मार्क्स, लनिन, सार्त्र, कामू और काफ्का को पढ़ने वाली प्रगतिशील और आला दर्जे की बुद्धिजीवी महिला। बाद की जिंदगी में भी इसी तरह की अनेक वजहों से ओम पुरी और सीमा कपूर के बीच ढेर सरी खटपट और अनबन टलती रही, और सिर्फ डेढ़ साल की गृहस्थी के बाद ही अपने अपने अलग रास्तों के राही हो गए। सीमा अंताक्षरीवाले अन्नू कपूर की बहन हैं और अपनी अदभुत आदतों की वजह से अब भी अकेलेपन की शिकार है। और ओम पुरी सीमा के बाद पत्रकार नंदिता के पति बने, जो कोलकाता से ओम पुरी का इंटरव्यू करने आई थीं और उनकी पत्नी बनकर उनके साथ मुंबई में ही बस गई। बाद में तो खैर, नंदिता ने भी ओम पुरी के जीवन के अंतरंग प्रसंगों को उनकी जीवनी वाली पुस्तक में उतारा और उसी की वजह से दोनों के बीच अनबन हुई। और मामला तलाक के दरवाजे पर पहुंचा। मगर, अब उस तलाक के फैसले का कोई अर्थ नहीं है, क्योंकि नंदिदा को जिनसे तलाक लेना था, उन ओम पुरी ने जिंदगी को तलाक देकर अनंत की राह अख्तियर कर ली है। साल 2017 अभी आया ही है, और 6 जनवरी का दिन ओम पुरी के लिए सुबह सुबह दिल का दौरा ले आया। जिंदगी भर दुनिया का दिल जीतनेवाले और हर किसी को अपना दिल दे देने के शौकीन रहे ओमपुरी दिल के इस दौरे को भी अपना दिल दे बैठे। अब वे फिर कभी नहीं आएंगे। और हमें ओम पुरी के बिना जीने की आदत डालनी होगी।

निरंजन परिहार
निरंजन परिहार
ओम पुरी ने अभिनय के जिस अकथ व्याकरण को अपने अंदाज से साधा और इस्तेमाल भी किया, वह जितना प्रामाणि था, उतना ही असरकारक भी है। उनके अभिनय का यह असर आनेवाली पीढ़ियों के काम आता रहेगा और जमाने को सिखाता रहेगा, कि अभिनय तो ओम पुरी के अंदाज में हुआ करता था। उनकी आक्रोश और अर्धसत्य ही नहीं हर फिल्म अभिनय के प्रति उनकी अगाध प्रतिबद्धता की प्रचायक हैं। अब जब बहुत कुछ पुराने ज़मानों की बातों जैसा लगने लगा हा फिर भी पता नहीं क्यों ओम पुरी जैसे कलाकार का होना बिल्कुल नया लगता। ऐसा शायद इसलिए है क्योंकि बहुत तेजी से बदलती दुनिया में बहुत कुछ चुपचाप भी बदल रहा है, लेकिन ओम पुरी बिल्कुल नहीं बदले थे। वे बेहतरीन कलाकार तो खैर थे ही, अदभुत अभिनेता भी थे, और शानदार इंसान भी थे। जिंदगी में बहुत कुछ झेला, बहुत कुछ देखा और जो कुछ अपने पास था, वह दुनिया को दिया भी। अपने अभिनय में जान डाल कर ओम पुरी ने दुनिया को जो दिया, वह बहुत कम लोग दे पाते हैं। इसीलिए वे बड़े कलाकार थे। यूं ही कोई ओम पुरी थोड़े ही हो जाता है। ओम पुरी पर फिलहाल तो जल्दी जल्दी में, बस इतना ही। उनकी जिंदगी के अदभुत अंदाज, उनकी फिल्मों और इसके अलावा भी बहुत सारे पहलुओं पर बहुत सारी बेबाक बातें और कभी।

error: Content is protected !!