हाय उदासी !!हाय हताशा !! कैसे पाये इनसे छुटकारा

डा. जे.के.गर्ग
हर किसी के जीवन के अंदर कभी न कभी ऐसे मोके आते ही हैं जब वह उदास या हताश हो जाता हैं। सर्वे से मालूम हुआ है कि उदासी उत्पन्न होने के पिछे कुछ कारण हो सकते हैं, जिनकी तरफ हम अक्सर ध्यान नहीं देते या उनकी अनदेखी कर देते हैं, इसीलिए उदासी अथवा हताशा से मुक्ति पाने के लिये उनसे दूर रहना चाहिये |
जीवन में उदासी उत्पन्न करने वाले कारणों में एक प्रमुख कारण दूसरे लोगों को अपने जिंदगी के महत्वपूर्ण निर्णय लेने का अधिकार देना होता है इसीलिए कहा जाता है कि “ सुनों सबकी किन्तु करो मन की “ यानि जबकभी कोई समस्या या उलझन आये तब स्वजनों, मित्रोँ या सहकर्मीयों से सुझाव अथवा सलाह लें उन पर शांत मन से विचार करें और अन्तिम निर्णय स्वयं के विवेक से ही लें | निर्णय लेने के बाद उसे पुरी तत्परता से पूरा करें | अपने हर सफर के मालिक खुद बनना सीखिए। जीवन में जो आपने अपने लिये लक्ष्य निर्धारित किया है उसे पूरा करने के लिये अपनी पूरी क्षमता से कोशिश करें और मन में सोचें कि में इसे पूरा कर सकता हूं और जरुर पूरा करूगां।
उदासी उत्पन्न होने के अन्य कारकों में से एक कारण यह भी हो सकता है कि आदमी हमेशा खुद की जिंदगी के अलावा, दूसरों के जीवन के बारे में लगातार सोचते रहता रहते है, और खुद को इग्नोर करते हैं, इसीलिए अन्य लोगों की सुख सुविधाओं के बारे सोचें जरुर कितु अपने स्वास्थ्य, मानसिक शांती को बनाये रखें | अपनी सीमाओं का भी ध्यान रक्खें, दूसरों की उलझनों अनावश्यक रूप से नहीं उलझें | बिना मतलब दूसरों के मामलों में अपनी टागं नहीं फसायें |

जीवन में समस्यायें आयेगीं ही इनमें कुछ तो समय के साथ सुलझ भी जायेगीं | ऐसा देखा जाता है कि कुछ लोग छोटी से छोटी समस्या पर फोकस करते हैं और उनके बारे में चिंता करते रहते है इसीलिए छोटी मोटी बातोँ तजरीह नहीं दें, उन्हें इग्नोर करें | अपना फोकस केवल जरूरी और महत्वपूर्ण बातों पर रक्खें |
उदासी उत्पन्न करने वाले कारणों में एक वजह परस्पर एक दूसरे की तुलना करना भी है | याद रक्खें हर आदमी में कुछ विशेषता या गुण होते हैं वहीं कुछ कमजोरियां भी होती है | आपस में तुलना करने से जहाँ आप में हिनता की भावना पनप सकती है और पारस्परिक मधुर सम्बन्धों में दरार पैदा हो सकती जो आपके जीवन में उदासी का कारण बन सकता है इसीलिए तुलना और आलोचना करने की जगह दूसरों की उपलब्धीयों और गुणों की प्रशंसा करें, उनकी सराहना भी करें | अत: दूसरे लोगों की तुलना में ज्यादा सही बनने की लगातार कोशिश करते रहने से बचें और सिर्फ अपने कामों को समय सीमा के अन्दर पूरा करने पर फोकस करें |

सामाजिक बन्धनों, सामाजिक मान्यताओं अथवा परम्पराओं के कारण हम उन लोगों का भी साथ छोड़ नहीं पाते हैं जो हमें बार बार दुःख, दर्द और पीड़ा देते रहते है | आपको पीड़ा-कष्ट देने वालों में स्वजन,परिजन, तथाकथित दोस्त, सह्कर्मी, पड़ोसी भी हो सकते हैं, ऐसे लोगों का सामिप्य आपकी उदासी और हताशा का कारण बन सकता है इसीलिए अपनी उदासी से छुटकारा पाने के लिये ऐसे सभी लोगों से सम्पर्क नहीं रक्खें और उनसे दूरी रक्खें, उन्हें अपने नजदीक नहीं आने दें |

उदासी हताशा का एक प्रमुख कारण यह सोच भी है कि मैं तो यह काम भी नहीं कर सकता हूँ अथवा इस काम को कम्प्लीट नहीं कर सकता हूं | अपनी उदासी से मुक्त होने के लिये आपको अपनी नकारात्मक सोच को तिलांजलि देनी होगी | अपने मन में बार बार दोरायें कि में भी अन्यों की भांति मुझे सोपें गये सारे काम पूरे करने की क्षमता रखता हूं और में इन्हें जरुर पूरा करूगां | हतोत्साहित होने की जगह पूरे उत्साह और उल्लास के साथ अपने कामों को पूरा करें |

उदासी से मुक्ति पाने के लिये निरंतर रिस्क लेना सीखे | तेरना सीखने के लिये पानी से डरने के बजाय पानी के अंदर छंलाग लगानी ही होगी | जिंदगी जिस दिशा में बढ़ रही है आप भी उसी दिशा में आगे बढ़ते जाएं। उल्टा रास्ता लेने की कोई जरूरत नहीं है |

उदासी का एक कारण यह भी है कि हम दूसरों ( स्वजन, परिजन, मित्र,सहकर्मी,चिरपरिचित आदी ) से कुछ अपेक्षाएँ रखते हैं और जब वे पूरी नहीं होती है तो निराशा और उदासी ही हाथ लगती है, इसीलिए अपना हाथ, जगन्नाथ पर विश्वास रक्खे | स्वयं के प्रति आत्म विश्वास को मजबूत रक्खे और आत्मविश्वासीं बनें |

आपके सम्पर्क में आने वाले हर व्यक्ति का अभिवादन मुस्कराहट के साथ करें | खुद हंसे और अन्यों को भी हंसाये | आप जिस भी व्यक्ति से मिलते हैं उसे यथासम्भव खुश रखने का प्रयास करें |
जो बीत गया गया | पुरानी बातों को याद नहीं रक्खें | फोरगिव एन्ड फॉरगेट की निति को अपनाये | पुरानी चीज़ों को अलविदा कहिए, जिससे नई चीजों का जीवन में स्वागत कर सकें।
चुनौतियों को परेशानी की बजाय आगे बढ़ने के लिए छोटे कदम समझिए।

प्रस्तुतिकरण —–डा.जे. के.गर्ग ( visit our blog—-gargjugalvinod. blogspot.in )

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