भारत में कंप्यूटर क्रांति के जनक राजीव गांधी

डा. जे.के.गर्ग
स्व: अटलबिहारी वाजपेयी ने एक साक्षात्कार में बतलाया था कि” श्री राजीव गांधी को कहीं से मालूम पड़ गया था कि में किडनी के रोग से ग्रसित हूँ तब उन्होंने मुझे बुलाया और कहा कि में आपको सयुक्त राष्ट्र संघ में जाने वाले भारत के प्रतिमंडल में शामिल कर रहा हूँ, आप अमेरिका जाकर अपना इलाज करवायें इसके लिये मेने अपने अमेरिका स्थित राजदूत को आपको सारी सुविधायें उपलब्ध कराने का आदेश दे दिया है | श्री वाजपेयीजी ने तब यह भी कहा था कि में आज श्री राजीव गांधीजी की वजह से ही जिन्दा हूँ | राजीव गांधीजी की सह्रदयता और मानवीयता का यह प्रत्यक्ष प्रमाण हैं | युवकों को 18 वर्ष की उम्र में ही मताधिकार का अधिकार देने वाले राजीव गाँधी ही थे |

40 वर्ष की उम्र में राजीव गांधी भारत के सबसे कम उम्र के प्रधानमंत्री थे | राजीवगांधी को भारत के इतिहास में सबसे बड़ा जनादेश प्राप्त हुआ था। 1984 के चुनाव में कांग्रेस को 542 में से रिकॉर्ड 401 सीटें प्राप्त हुई थी। स्मरणीय रहे कि राजीव गांधी राजनीति में आने अनिच्छुक थे किन्तु परिस्थतीयां ऐसी बनी कि उन्हें राजनीति में जबरन प्रवेश करना पड़ा। नवंबर 1982 में भारत में आयोजित एशियाई खेलों के संचालन में उनकी महत्वपूर्ण एवं सराहनीय भूमिका थी |प्रधानमंत्री के रूप में राजीव गांधी अपनी माता इंदिरा गांधी से अधिक व्यावहारिक और उदार थे| राजीव गांधी ने पंजाब समस्या के समाधान को प्राथमिकता देते हुए 24 जुलाई, 1985 को अकाली दल के अध्यक्ष संत हरचंद सिंह लोंगोवाल के साथ एक अहम समझौता किया |लालफीताशाही पर लगाम लगाकर और नीतिगत बदलाव के जरिये उन्होंने निजी क्षेत्र को औद्योगिक और वाणिज्यिक गतिविधियों के विस्तार की अनुमति दी | कालांतर में यही दिशा 1990 के दशक में व्यापक आर्थिक उदारवाद और मुक्त व्यापार का आधार बनी जिसे स्व.राव एवं मनमोहनसिंह ने आगे बढ़ाया पंचायती राज अधिनियम के द्वारा राजीव गांधी सरकार ने पंचायतों को महत्वपूर्ण वित्तीय और राजनीतिक अधिकार देकर सत्ता के विकेंद्रीकरण तथा ग्रामीण प्रशासन में लोगों की भागीदारी सुनिश्चित करने की दिशा में महत्वपूर्ण पहल की थी | वर्ष 1986 में मिजोरम में लालडेंगा के नेतृत्व में दशकों से चल रहे अलगाववादी हिंसक आंदोलन को मिजोरम समझौते के द्वारा खत्म कर राज्य में लोकतांत्रिक व्यवस्था की बहाली राजीव गांधी की बड़ी सफलता मानी जाती है | वर्ष 1991 में राजीव गांधी तमिल विद्रोहियों के एक गिरोह द्वारा किये गये आत्मघाती हमले में मारे गये थे | वे भी अपनी माँ इंदिराजी के जैसे आतंकवाद के शिकार बनें | नवंबर 1982 में भारत में आयोजित एशियाई खेलों के संचालन में उनकी महत्वपूर्ण एवं सराहनीय भूमिका थी |

कुछ लोग ज़मीन पर राज करते हैं और कुछ लोग दिलों पर। स्वर्गीय राजीव गांधी एक ऐसे इंसान थे, जिन्होंने ज़मीन पर ही नहीं, किन्तु जनमानस के ह्रदय पर भी राज किया। स्व. राजीव गांधी ही वो इंसान थे जिन्होंने उन्नीसवीं सदी में इक्कीसवीं सदी के भारत का सपना देखा था।स्वभाव से धीर- गंभीर लेकिन आधुनिक सोच और निर्णय लेने की अद्भुत क्षमता वाले स्व. राजीव गांधी देश को विज्ञानं-उच्च तकनीक में दुनियाँ का अग्रिम देश बनाना चाहते थे । वे बार-बार कहते थे कि भारत की एकता और अखंडता को बनाए रखने के साथ ही उनका लक्ष्य इक्कीसवीं सदी के भारत का निर्माण है। अपने इसी सपने को साकार करने के लिए उन्होंने देश में कई क्षेत्रों में नई पहल की, जिनमें संचार क्रांति और कंप्यूटर क्रांति, शिक्षा का प्रसार, 18 साल के युवाओं को मताधिकार, पंचायती राज आदि शामिल हैं। वे देश की कंप्यूटर क्रांति के जनक के रूप में भी जाने जाते हैं। वे युवाओं के लोकप्रिय नेता थे। जब राजीव ने भारत में कम्प्युटर क्रांति का सूत्रपात किया था तब तत्कालीन विपक्षी पार्टी एवं वर्तमान शासक दल के नेताओं उनका मखोल उड़ाया और उन्हें नोसिखिया कहा | समय ने प्रमाणित कर दिया कि राजीव दूरदर्शी नेता थे | ईगो की भावना से राजीव मुक्त थे उन्होंने कभी नहीं कहा कि मैने यह किया मैने वो किया किन्तु वे कहा करते थे कि हमें ऐसा या वैसा करना है | राजीव शालीनता की प्रतिमुर्ती थे उन्होंने कभी भी अपने घोर विरोधियों के प्रति अनर्गल एवं कर्कश शब्दों का प्रयोग नहीं किया | लोग उनका भाषण सुनने के लिए लोग घंटों इंतज़ार किया करते थे। उन्‍होंने अपने प्रधानमंत्री कार्यकाल में कई ऐसे महत्वपूर्ण फ़ैसले लिए, जिसका असर आज देश के विकास में देखने को मिल रहा है। आज हर हाथ में दिखने वाला मोबाइल उन्हीं फ़ैसलों का नतीजा है। राजीव ने राजनीती में भी नेतिकता को सर्वोच्च स्थान दिया, बोफोर्स कांड के आरोपों के बीच संसद भंग कर नये चुनाव करवाने का जज्बा उन्हीं में था | 1989 के आम चुनावों मे 195 लोकसभा की सीटें जीतने के बावजूद राजीव गांधी ने जोड़ तोड़ कर सरकार बनाने के बजाय विपक्ष में बैठने का निर्णय लेकर स्वस्थ लोकतान्त्रिक परम्परा स्थापित करने का साहसिक निर्णय लिया था | स्व: अटलबिहारी वाजपेयी ने एक साक्षात्कार में बतलाया था कि” श्री राजीव गांधी को कहीं से मालूम पड़ गया था कि में किडनी के रोग से ग्रसित हूँ तब उन्होंने मुझे बुलाया और कहा कि में आपको सयुक्त राष्ट्र संघ में जाने वाले भारत के प्रतिमंडल में शामिल कर रहा हूँ, आप अमेरिका जाकर अपना इलाज करवायें इसके लिये मेने अपने अमेरिका स्थित राजदूत को आपको सारी सुविधायें उपलब्ध कराने का आदेश दे दिया है | श्री वाजपेयीजी ने तब यह भी कहा था कि में आज श्री राजीव गांधीजी की वजह से ही जिन्दा हूँ | राजीव गांधीजी की सह्रदयता और मानवीयता का यह प्रत्यक्ष प्रमाण हैं | राजीव गांधी की कथनी और करणी में कोई अंतर नहीं था | राष्ट्र राजीवगांधी के 74वें जन्म दिन पर उन्हें नमन करता है |

डा. जे.के. गर्ग
सन्दर्भ—–विभिन्न पत्र-पत्रिकाएँ, मेरी डायरी के पन्ने आदि

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