‘‘ सुन ले बापू ये पैगाम ‘‘

हेमंत उपाध्याय
सुन ले बापू ये पैगाम , मेरी चिठ्ठी तेरे नाम। इस चिठ्ठी में सबसे पहले लिखता तूझको राम-राम। बालक फिल्म के इस गीत में लताजी ने अपनी मधुर अवाज में गा कर बापू ,आपको भारत के प्रति पुनः चिन्तित कर दिया। मैं जानता हॅू भारत के लिए बापू ,आपने अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया उस देष की चिन्ता भारत के पितृ पुरुष होने से आपको रात दिन लगी रहती है। बापू मैं तेलगी के नहीं सरकार के असली ईमेलवाले षपथपत्र पर पैगाम भेज रहा हॅू।
बापू ,पुलिस,नेता, मंहगाई की मार से षोषित कराहती हुई भारत की जनता ने दुःखी होकर जब -बापू-बापू कह कर तुम्हे पुकारा तो तुम नहीं आए ,परन्तु कई बापू आकर ऊॅचे- ऊॅचे आसनों पर विराजित हो गए। बापू , आप जो तीन बंदर छोड़ गए थे उनका आज राजनैता भरपूर फायदा लेकर आपको खूब याद करते हैं । जो बंदर ऑख बंद किए है, उससे सीख लेकर देष की समस्याओं / मंहगाई को अनदेखा किया जा रहा है । इन नेताओं को सड़क मे जगह-जगह हुए गढ्ढे भी नहीं दिखते क्योंकि हवाई यात्राएॅ इनकी सर्वोच्च प्राथमिकता होती है। हवाई अड्डे से लेकर विश्राम ग्रह तक जाने के रास्ते में मंत्री महोदय के आने की पूर्व सूचना होने से पेचवर्क किया जाता है।
एक बंदर जो कान बंद किये हुए है,वह तो इनके लिए बहुत ही प्रेरणादायी बन गया है । जनता के सामने जाने से पहले ये अपने कानों में रुई ठूंस लेते हैं। ये नेता किसी की सुनते ही नहीं । अपने भाषण बेबाक देते रहते हैं । अपने चेहरे पर छदमीचंद ऐसे भाव लाते हैं जैसे जनता से आत्मसात हो रहे हैं। हॉ बापू आपके गुजरात के नेता आज कल आपको देष -देष जाकर बहुत तहेदिल से याद करते हैं और रेडियो पर मन की बात भी सूनते है।
एक बंदर जो अपना मॅुह बंद किये हुये है ,उससे प्रेरणा लेकर ये कभी अच्छी बात नहीं कहते। अपनी पार्टी के धतकर्मो को कहीं पर नहीं कहते । जहॉ सच्चाई उगलना चाहिए वहॉ ये इस आदर्ष बंदर का सहारा लेकर मूक हो जाते हैं।
बापू ,षासकीय कार्यालयों में सरकारी नोटषीट के पालनार्थ आपकी फोटू पर साल में दो बार माला डाली जाती हैं। आप समझते होंगे वो दिन 2 अक्टूबर और 30 जनवरी होंगे। बिलकुल गलत। आप गफलत में न रहें। 2 अक्टूबर को तो छूट्टी इंजाय की जाती है और तीस जनवरी को जिस समय पर माल्यार्पण कर मौन करना चाहिए तब तक तो कोई कार्यालय आता ही नहीं है। मै आपको बताता हॅू ,वो दो दिन है राष्ट्रीय पर्व 15 अगस्त एवं 26 जनवरी। दोनों ही दिन सबके सामुहिक प्रयासों से कई उतार चढ़ाव के बाद बड़ी मुष्किल से जण गण मण का राष्ट्रीय गान पूरा होता है
आपके नाम पर वोट मॉगने वाली पार्टी स्थाईरुप से आपका नाम लेकर साल में चार फंक्षन करती है। 2 अक्टूबर को आपके नाम पर राज्य व केन्द्र सरकार विकास की प्रदर्षनी लगाती है। जो विकास कागज पर हुआ होता है, उसका ब्यौरा पटल पर लगाती है। 30 जनवरी को देष के कई गॉधी भवनों में आपकी फोटो की माला बदली जाती है। षायद आपको याद होगा इस दिन आपकी पुण्य तिथि मनाई जाती है। हर तीस जनवरी को एक जैसी भीड़ नहीं होती है। जिस वर्ष चुनाव नजदीक होते हैं , उस वर्ष उपस्थिति फोटो खिंचने लायक होती है। षेष वर्षो में बिना उपस्थिति के ही समाचार बनाए जाते हैं। बापू ? आप याद किए जाए न किए जाएं आपको याद करने वाले नेता छपते रहे इसका वो भरसक प्रयास करते हैं। कोई बापू के नाम पर रक्तदान करते हुए अपना फोटो खिचवाते हैं। उसके बदले में वे कितनों का रक्त पीते है,ं इसका कहीं उल्लेख नहीं आने देते।
बापू ,तुम्हारी राम राज्य की कल्पना अब चुनाव जीतने का साधन मात्र रह गई है। रामभक्त षिकार हो रहे हैं । राम राज्य आए न आए राम भक्त बच जाए यही आज की आवष्यकता है। बापू , जाग्रति फिल्म का एक गीत आज भी याद आता है ‘‘दे दी हमें आजादी बिना खड़ग बिना ढाल साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल । ‘‘आज आपकी साबरमती में गुरुकुल के बच्चे डूब रहे हैं और सीबीआई जॉच कर रही है। आपके अहिंसा के सिद्धांत को कोई अपनाना नहीं चाहता। बापू ,आपके जाने के बाद एक गीत बहुत लोक प्रिय हुआ – तू हिन्दू बनेगा न मुसलमान बनेगा इंसान की औलाद है इंसान बनेगा, परन्तु इस गीत के भाव को अब समझने वाले दिन प्रतिदिन कम हो रहे हैं। बापू , पहले दीवाली पर पटाखे छूटते थे, अब बारह महीने कहीं न कहीं फूटते ही रहते है। अंग्रेज लोग भागते वक्त जो फूट के बीज बो गए थे अब वो बीज वट वृ़क्ष हो गए है। बापू ,जब मंदिर में बम फूटते हैं तो मुसलमानों पर और जब मस्जिद में बम फूटते हैं तो हिन्दुओं पर षक किया जाता है।
बापू ,आपके जाने के बाद रेल मंत्री ने रेल के तृतीय श्रेणी डिब्बों को समाप्तकर दिया है, परन्तु अब द्वितीय श्रेणी भी उससे गई बीती हो गई है। आरक्षित बोगी में अब 75 बर्थ के डिब्बे में 125 लोग सफर करते हैं।
बापू ,आपकी फोटो वाले नोट हर केष काउन्टर पर षक की निगाह से देखे जाते हैं। आपकी फोटूवाले नोट भारत सरकार से ज्यादा पड़ोसी सरकार एव व्यक्तिगत छापाखानों में छप रहे है किन्तु अंग्रेजी माध्यम के स्कूल ही नहीं हिन्दी के स्कूलों में भी आपकी फोटो बच्चों के लिए अपरिचित है। बापू ,षहरों में जहॉ आपके नाम के खादी भण्डार हुआ करते थे वहॉ सुपर मार्केट व मल्टीप्लेक्स,बीयर बार आदि बन गए हैं ,आपको खुष होना चाहिए कि इन गगन चुम्बी इमारतों के भूतल में आपकी आत्मा कभी निवास करती थी।
बापू ,उपर्युक्त कथा पढ़ कर आपको कई घाव हो गए होंगे ? थोड़ा सा मरहम भी देता हॅू । बापू आपको हरिजनों की बहुत चिंता थी । अब आप इस बात से निष्चिंत हो जाएॅ । हरिजनों के हितार्थ कई दल सक्रिय हैं और हाथियों पर सवार होकर चक्रवर्ती राजा की तरह मान सम्मान पा रहे हैं । अब सिर पर मैला ढोने की प्रथा भी खत्म हो गई है। जगह-जगह सेप्टीटेंक व डेªनेज पर भारतीय खजाने एवं विष्व बैंक का अच्छा धन लगा है। इस क्षेत्र में प्रगति अवष्य दिखती है। सुलभ षौचालाय सभी दूर सुलभ है।
बापू , आपने देष को स्वतंत्रता दिलाई तो आपको नाम मिला । आप अमर हो गए ,किन्तु आपके पिछे जो हजारों अनुयायी स्वतंत्रता के लिए लड़े ,जिनको नाम नहीं मिला उनको दाम दिए जा रहे हैं । उनको स्वतंत्रता सेनानी कहा जाकर पेंषन दी जा रही है। जो आजादी के लिए नहीं लड़ा,परन्तु जिन्होंने आपतकाल लगाने वालों से लड़ाई लडी उन्हें मीसा में बन्दी होना पड़ा उसका हर्जना उन्हें पेंषन के रुप में दिया जा रहा हैं। बापू अभी अभी समाचार मिला है कि आपके साथ लड़नेवालों की पेंषन बढ़ा दी गई है ।
बापू ,आप घबराए नहीं भारत की स्थिति चिंताजनक,किन्तु नियंत्रण में है । सबको क्षमतानुसार नियमित भुगतान हो रहे हैं ।
बापू ,हिन्दू मुस्लिम आपके लिए दो हाथों की तरह थे या दो पुत्रों की तरह थे यह आप सबसे ज्यादा जानते है। आप चिंता न करें इन दोनों के हितार्थ बहुत सारे दल दिन रात लगे रहते हैं और अच्छा दोहन कर लाभान्वित हो रहे हैं ।
बापू ,पहले एक कहावत थी ‘‘उल्टा चोर कोतवाल को डाटे । आज यह थाने की दिनचरिया हो गई है । नेता लोग चोरों को साथ लेकर आते हैं और थानेदार व ईमानदार खड़े रहते हैं ओर चोर थानेदार की खिंचाई करते हैं और थानेदार उसका बदला ईमानदारों से निकालते हैं । दुर्घटना में मरना अत्यन्त दुखदाई है । बरसों दोड़ने व खर्च करने के बाद भी पोस्टमार्टम रिपोर्ट नहीं मिलती। भ्रष्ट अधिकारियों का हिन्दी में एक ही सूत्र चलता है ‘‘ न कानून न कायदा, जो देने का करे वायदा , उसी का करो फायदा।‘‘ अंग्रेजी जानने वालों का सूत्र होता है रुल्स फार फूल्स ( नियम बेकूफों के लिए होते हैं )।
बापू,आज तेरे देष में एक ईमानदार 9बेईमानों को बे-इमान नही कह सकता , किन्तु ये 9बेईमान एक ईमानदार पर अपने आरोप लगा कर उसे दण्ड दिला सकते हैं। आज तेरे देष में हर फैसला बहुमत से होता है । श्रेष्ठमत की कोई कदर नहीं है।
बापू , आज चौराहों पर हजारों लोगों की भीड़ में हत्या करने वाले किसी को भी बरसों पुलिस प्रत्यक्षदर्षी के अभाव में ढॅूढ नहीं पाती । सजा दिलाना तो दूर । बमों के धमाकों से सैकड़ों लोग मरते हैं , कोई नहीं पकड़ा जाता। साम्प्रदायिक दंगे आगजनी, भारत बंद, प्रदेष बंद,प्रतिदिन नए इतिहास के पन्नों में जा रहे है। धार्मिक विवाद को अच्छी हवा मिल रही है । फिर भी आप चिंता न करें पुलिस मुख्यालय से प्राप्त ताजा रिपोर्ट के अनुसार स्थिति नियंत्रण में है।
बापू ,आज भी 15 अगस्त एवं छब्बीस जनवरी को बच्चे यह गीत ‘‘ नन्हा मुन्न राही हॅू देष का सिपाही हॅू गाते समय अपने आपको भारत का रक्षक समझकर सीना तान कर गौरान्वित होते हैं। वो यह नहीं जानते कि सैनिकों को मिलने वाले हथियार में भी कमिषन बाजी होती है और मरने के बाद भी ताबूतों पर भी कमीषन खाया जाता है। बापू , जाग्रति फिल्म में तुम पर फिल्माया यह गीत मुझे बार-बार याद आता है ‘‘ हम लाए है,ं तूफान से कष्ती निकाल कर मेरे देष को रखना मेरे बच्चों सम्हाल कर।‘‘काष इस गीत से बडे राजनेता कुछ सीख लेते और दलगत राजनीति से उपर उठकर देष हित को सर्वोपरि मान कर देष की आजादी को सम्हाल रखने के लिए सजग होते प्रतिबद्ध होते तो आज भी भारत सोने की चिड़िया ही होता और हम यह गीत हीं बार-बार गाते कि जहॉ डाल -डाल पर सोनी की चिड़िया करती है बसेरा वह भारत देष है मेरा,और बापू आप स्वर्ग में चिंतित होने के बजाय स्वर्गानन्द लेते ।

हेमंत उपाध्याय
साहित्य कुटीर ,पं0रामनारायण उपाध्याय वार्ड, खण्डवा म0प्र0 9425086246/9424949839 9425086246@9424949839 [email protected]@gmail.com

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