गोचर में वृश्चिक राशि का बृहस्‍पति का जनमानस पर प्रभाव

संगीता पुरी
फलित ज्‍योतिष के ग्रंथों के अनुसार बृहस्पति नवग्रहों में सबसे शुभ है। इसलिए माना जाता है कि गोचर में अधिकांश समय बृहस्पति की स्थिति जनसामान्‍य के लिए सुखद ही बनी होती है। ‘गत्‍यात्‍मक ज्‍योतिष’ के अनुसार भी बृहस्‍पति तबतक जातकों को परेशान नहीं करता , जबतक वह गत्‍यात्‍मक शक्ति संपन्‍न होता है। गत्‍यात्‍मक शक्ति बहुत कम हो जाने पर भले ही जातक को बृहस्‍पति के कारण कुछ परेशानी मिल जाती है। वर्षभर तुला राशि में रहने के बाद आज यानी 12 अक्टूबर 2017 को देवगुरु बृहस्पति ने वह राशि छोड दी है। यहां से लेकर 4 नवंबर 2019 तक एक वर्ष से अधिक अवधि मंगल के वृश्चिक राशि में स्थित होंगे । राशिचक्र की यह आठवीं राशि है , जिसका विस्‍तार भचक्र में 211 डिग्री से लेकर 240 डिग्री तक माना गया है।

यूं तो वृश्चिक राशि में बृहस्‍पति की स्थिति अभी से ही लोगों के सुख और दुख दोनो का कारण बनेगी , पर 15 मार्च से ११ अप्रैल तक दिन ब दिन इसकी स्‍थैतिक शक्ति में हो रही वृद्धि कुछ लोगों की मन:स्थिति को सुखद बनाएगी , तो कुछ तनाव झेलने को भी विवश होंगे। इस तरह इस एक महीनें में लोग बृहस्पति के कारण उत्पन्न होनेवाले कार्य में उलझे रहेंगे। चूंकि बृहस्पति धनु और मीन राशि का स्वामी है और इसकी स्थिति वृश्चिक राशि में होगी , इसलिए धनु , मीन और वृश्चिक राशि से संबंधित कार्यों में ही सुख या दुख की अधिक संभावना रहेगी। 60 से 66 वर्ष की उम्र के वृद्ध , जिनका जन्मकालीन बृहस्पति कमजोर है , यानि 1953 के नवम्बर-दिसंबर , 1954 के जनवरी , 1955 के जनवरी-फ़रवरी , 1956 के जनवरी-फ़रवरी-मार्च , 1957 के फ़रवरी-मार्च-अप्रैल , 1958 के मार्च-अप्रैल-मई , 1959 के अप्रैल-मई-जून के आसपास जन्म लेने वालों को बृहस्पति की इस स्थिति से तकलीफ होगी। प्रतिवर्ष इन महीनो से दो चार महीने पहले या बाद में जन्म लेने वाले वृद्धों पर बृहस्पति का शुभ प्रभाव पडेगा।

बृहस्‍पति की इस स्थिति के कारण 1942 के मध्य से 1943 के मध्य तक , 1954 के मध्य से 1955 के मध्य तक , 1966 से 1967 के मध्य तक , 1978 के मध्य से 1979 के मध्य तक , 1989 के मध्य से 1990 के मध्य तक , 2001 के मध्य से 2002 के मध्य तक तथा 2013 के मध्य से 2014 के मध्य तक जन्‍म लेनेवाले उत्साहित होकर कार्य में जुटे रहेंगे। एक महीनें तक कार्य अच्छी तरह होने के पश्चात अप्रैल के दूसरे सप्ताह में किसी न किसी प्रकार के व्यवधान के उपस्थित होने से कार्य की गति कुछ धीमी पड़ जाएगी। जून के दूसरे सप्ताह तक काम लगभग रुका हुआ सा महसूस होगा। उसके बाद ही काम के शुरू किए जाने के लिए आशा की कोई किरण दिखाई दे सकती है। जुलाई के दूसरे सप्ताह में स्थगित कार्य पुन: उसी रुप में या बदले हुए रुप में उपस्थित होकर गतिमान होगा और अगस्त के दूसरे सप्ताह तक अपने निर्णयात्मक मोड़ पर पहुंच जाएगा। बृहस्पति के कारण होनेवाले इस निर्णय से भी इन लोगों को खुशी होगी। किसी खास संदर्भ में सफलता से इनका उत्‍साह बढा रहेगा।

किन्तु तुला राशि में बृहस्पति की इस विशेष स्थिति से 1940 के मध्य से 1941 के मध्य तक, 1952 के मध्य से 1953 के मध्य तक , 1964 के मध्य से 1965 के मध्य तक, 1976 के मध्य से 1977 के मध्य तक, 1988 के मध्य से 1989 के मध्य तक, 1999 के मध्य से 2000 के मध्य तक, 2011 से 2012 के मध्य तक जन्‍म लेनेवाले लोगों , खासकर इन वर्षों में जनवरी-फ़रवरी–जुलाई-अगस्त में जन्म लेने वालों को कष्‍ट या तकलीफ भी होगी। वे पूरी अवधी में निराशाजनक वातावरण में कार्य करने को बाध्य होंगे। अप्रैल के दूसरे सप्ताह के बाद कार्य के असफल होने से उन्हें तनाव का सामना करना पड सकता है। जून के दूसरे सप्ताह तक उनके समक्ष किकर्तब्‍यविमूढावस्‍था की स्थिति बनी रहेगी। अगस्त के दूसरे सप्ताह में निराशाजनक वातावरण में ही स्थगित कार्य पुन: उसी रुप में या बदले हुए रुप में उपस्थित होकर गतिमान होगा और सितम्बर के दूसरे सप्ताह तक अपने निर्णयात्मक मोड़ पर पहुंच जाएगा। बृहस्पति के कारण होनेवाले इस निर्णय से भी इन लोगों को कष्‍ट पहुंचेगा। किसी खास मुद्दे को लेकर मार्च से सितम्बर तक इनकी परेशानी बनी रह सकती है।

इसके अलावे गोचर के इस बृहस्‍पति के कारण मिथुन राशि वाले शुभ प्रभाव तथा मेष राशि वाले बुरा प्रभाव महसूस करेंगे। काफी हद तक वृश्चिक राशि वाले पर भी बृहस्‍पति के इस चाल का अच्‍छा प्रभाव पडेगा। कुछ हद तक जून-जुलाई माह में जन्‍म लेनेवालों के लिए बृहस्‍पति की यह स्थिति शुभ प्रभाव देने वाली होगी , जबकि अप्रैल-मई माह में जन्‍म लेनेवाले इसके बुरे प्रभाव से युक्‍त हो सकते हैं। यदि ऊपर मौजूद तिथियों या राशि कोई जातक एक साथ बृहस्‍पति के अच्‍छे और बुरे दोनो प्रभाव में आते हों , तो उनपर बृहसपति का मिश्रित प्रभाव पडेगा , यानि कोई कठिनाई आएगी तो उसके समाधान के रास्‍ते भी दिखेंगे।

बृहस्‍पति के इस खास चाल के कारण ऊपर मौजूद तिथियों या राशि में जन्‍म लेनेवाले विभिन्‍न लग्‍नवाले भिन्‍न भिन्न प्रकार के सुख या दुख से खुद को संयुक्‍त पाएंगे। मेष लग्‍नवाले भाग्‍य , धर्म , खर्च या बाहरी संदर्भों से संबंधित, वृष लग्‍नवाले हर प्रकार के लाभ के मामले , रूटीन और जीवनशैली से संबंधित , मिथुन लग्‍नवाले घर गृहस्‍थी , पिता पक्ष , सामाजिक पक्ष , कैरियर से संबंधित , कर्क लग्‍नवाले धर्म , भाग्‍य ,प्रभाव से संबंधित , सिंह लग्‍नवाले अपनी या संतान पक्ष की पढाई लिखाई , रूटीन या जीवनशैली से संबंधित , कन्‍या लग्‍नवाले माता पक्ष , छोटी या बडी संपत्ति , घर गृहस्‍थी से संबंधित , तुला लग्‍नवाले भाई , बहन या अन्‍य बंधु , खर्च और बाहरी संदर्भ से संबंधित , वृश्चिक लग्‍नवाले धन , कोष , अपनी या संतान पक्ष की पढाई लिखाई से संबंधित , धनु लग्‍नवाले स्‍वास्‍थ्‍य , माता पक्ष , किसी प्रकार की छोटी या बडी संपत्ति से संबंधित , मकर लग्‍नवाले भाई , बहन या अन्‍य बंधु खर्च और बाहरी संदर्भ से संबंधित , कुंभ लग्‍नवाले धन , कोष , लाभ या लक्ष्‍य से संबंधित , मीन लग्‍नवाले स्‍वास्‍थ्‍य , पिता पक्ष , सामाजिक पक्ष , कैरियर प्रकार की छोटी या बडी संपत्ति से संबंधित मामलों की मजबूती या कमजोरी से खुद को सुखी या दुखी महसूस करेंगे।
संगीता पुरी
sangeetapuri.blogspot.com

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