नववर्ष 2019

त्रिवेन्द्र पाठक
क्या बदला और क्या बदलेगा,
देखिये हुजुर ये साल बदलेगा,
तुम न बदले, हम न बदले,
सदी की इस अदल बदल में, क्या इन्सान बदलेगा?
देखते हम थे कि बदल रहा है सभी कुछ,
क्या अच्छा बदला, और क्या बुरा बदलेगा,
क्या बदलेंगे वो भी, जो बदल गए थे कभी,
क्या बदलेंगे हम भी, जो नहीं बदले कभी,
वो जो शमा था अब बदल गया शायद,
वो नया साल मनाने का तरीका बदल गया शायद,
वो दौर की नए साल पर जाते थे घुमने,
की आज कल नए साल से पहले ही लगते हैं झूमने,
बहुत कुछ बदला पर नहीं बदला हमारा दिल,
आज भी वही जो की कल था धडकता हुआ सा दिल,
“पाठक” आज भी वही बात की बदलेगी सिर्फ तारीख,
बदलना चाहिए बहुत कुछ, बात बड़ी बारीक….

त्रिवेन्द्र कुमार “पाठक”
अजमेर

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