कंप्यूटर एवं संचार क्रांति के जनक राजीव गांधी

डा. जे. के. गर्ग
कुछ लोग ज़मीन पर राज करते हैं और कुछ लोग दिलों पर। स्वर्गीय राजीव गांधी एक ऐसे इंसान थे, जिन्होंने ज़मीन पर ही नहीं, किन्तु जनमानस के ह्रदय पर भी राज किया। स्व. राजीव गांधी ही वो इंसान थे जिन्होंने उन्नीसवीं सदी में इक्कीसवीं सदी के भारत का सपना देखा था। स्वभाव से धीर गंभीर किन्तु आधुनिक सोच एवं तार्किक क्षमता के धनी राजीव ने बीसवी शदी में ही हिन्दुस्तान को 21 वीं शदी का उन्नत राष्ट्र बनाने का सपना संजोया था | अपने इसी सपने को साकार करने के लिए उन्होंने देश में कई क्षेत्रों में नई पहल की, जिनमें संचार क्रांति और कंप्यूटर क्रांति, शिक्षा का प्रसार, 18 साल के युवाओं को मताधिकार, पंचायती राज आदि शामिल हैं। वे देश की कंप्यूटर क्रांति के जनक के रूप में भी जाने जाते हैं। वे युवाओं के लोकप्रिय नेता थे। भारत में कम्प्यूटर व संचार क्रांति के जनक के रूप में राजीव गांधी को सदैव याद किया जाएगा। रेलवे का कम्प्यूटरीकरण करके उन्होंने इस देश के सामने क्रांतिकारी परिवर्तन करके रख दिया।

डा. जे.के.गर्ग
इंदिरा गाँधी एवं फिरोज गाँधी के जयेष्ट पुत्र राजीव का जन्म 20 अगस्त 1944 को बम्बई में हुआ था | राजीव गांधी बचपन में बहुत ही संकोची स्वभाव के थे। जब वे दून स्कूल में पढ़ रहे थे,तब उनके नाना पंडित जवाहरलाल नेहरू पहली बार उनसे मिलने स्कूल पहुंचे तो राजीव बाथरूम की बास्केट में छिप गए थे। राजीव गांधी को हिन्दुस्तानी शास्त्रीय और आधुनिक संगीत पसंद था,उन्हें रेडियो सुनने तथा फोटोग्राफी का भी शौक था। राजीव का विवाह सोनिया गाँधी से हुआ था, इनके पुत्र पुत्री का नाम राहुल और प्रियंका है | राजनीति में आने से पहले राजीव गांधी एयरलाइन में पायलट की नौकरी करते थे। |

40 वर्ष की अल्पआयु में ही में राजीव गांधी विशाल जनादेश के साथ भारत के सबसे कम उम्र के प्रधानमंत्री (नोंवे) बन गये थे | उस चुनाव में कांग्रेस को 508 में से रिकॉर्ड 401 सीटें प्राप्त हुई थी। स्मरणीय रहे कि राजीव गांधी राजनीति में आने अनिच्छुक थे किन्तु परिस्थतीयां ऐसी बनी कि उन्हें राजनीति में जबरन प्रवेश करना पड़ा। राजीव गांधी को सुरक्षाकर्मियों का घेरा बिलकुल पसंद नहीं था। वे अपनी जीप खुद ड्राइव करना पसंद करते थे। राजीव गांधी को अपने नाना से ‘आराम हराम है’ और अपने पिता से ‘अपना काम खुद करो’ की प्रेरणा मिली थी। विकास को पसंद करने वाले युवा राजीव गांधी ने अपने मन में भारत को मजबूत, आत्मनिर्भर और तकनीकी विकास के मार्ग तेज रफ्तार से दौड़ता मुल्क बनाने का सपना संजोये रक्खा । इक्कीसवीं सदी के भारत का निर्माण उनके जीवन का प्रमुख लक्ष्य था |

राजीव गांधी सौम्य एवं निर्मल स्वभाव के दुर्द्रशी राजनेता थे और किसी भी निर्णय में जल्दबाजी नहीं करते थे। उन्होंने जो सोचा वो पुराने ढर्रे की राजनीति से एक दम अलग था। उन्होंने दिल्ली शासन के तंग गलियारों से बाहर निकलकर देश के गांवों में जाकर वहां के निवासीयों से बात करके देश की नब्ज को टटोलना शुरू किया। वे अपने पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ बैठकर व विचार-विमर्श करके ही किसी निर्णय पर पहुंचते थे, शासन में खुद का एकाधिकार उनके स्वभाव नहीं था। राजीव गांधी एक ऐसे प्रधानमंत्री थे, जो जनता से सीधे जुड़े थे और एक ऐसे नेता के रूप में विख्यात थे जिनकी पहुंच देश के आम आदमी के हृदय तक थी। राजीव गांधी ने देश के गरीबों के उत्थान के लिए 1 अप्रैल 1989 को जवाहर रोजगार गारंटी योजना, इंदिरा आवास योजना और 10 लाख कुआं जैसी योजनाएं चालू कीं।

लोग राजीव गांधी को देखने व सुनने के लिए टीवी देखा करते थे। एक ऐसा प्रधानमंत्री जिसने उस दौर में पंजाब की यात्रा की, जब देश की खुफिया एजेंसियों ने ऐसा करने से उनको मना किया था। राजीव गांधी ने पंजाब समस्या के समाधान को प्राथमिकता देते हुए 24 जुलाई, 1985 को अकाली दल के अध्यक्ष संत हरचंद सिंह लोंगोवाल के साथ समझौता करके अशांत पंजाब में शांती और सोहार्द के वातावरण का निर्माण किया |

राजीव गांधी वो इन्सान थे, जो जब यात्रा पर जाते थे तो तय रास्ते से अलग होकर गांवों में जाते और आम आदमी के घरों में जाना और हर व्यक्ति से हाथ मिलाना जैसे उनको अपनी मां और नाना से विरासत में मिला था। नवंबर 1982 में भारत में आयोजित सफल एशियाई खेलों के संचालन में उनकी महत्वपूर्ण एवं सराहनीय भूमिका थी | प्रधानमंत्री के रूप में राजीव गांधी अपनी माता इंदिरा गांधी से अधिक व्यावहारिक और उदार थे | लालफीताशाही पर लगाम लगाकर और नीतिगत बदलाव के जरिये उन्होंने निजी क्षेत्र को औद्योगिक और वाणिज्यिक गतिविधियों के विस्तार की अनुमति दी | कालांतर में यही दिशा 1990 के दशक में व्यापक आर्थिक उदारवाद और मुक्त व्यापार का आधार बनी जिसे नरसिम्हा राव और मनमोहन सिंह ने आगे बढ़ाया |

राजीव ने ही पंचायती राज अधिनियम के माध्यम से केन्द्रीक्र्त सत्ता का विकेंद्रीकरण करके पंचायतों को कई महत्त्वपूर्ण और वित्तीय अधिकार दिये थे | वर्ष 1986 में मिजोरम में लालडेंगा के नेतृत्व में दशकों से चल रहे अलगाववादी हिंसक आंदोलन को मिजोरम समझौते के द्वारा खत्म कर राज्य में लोकतांत्रिक व्यवस्था की पुनर्स्थापना राजीव गांधी की बड़ी सफलता मानी जाती है |असम गणतन्त्र परिषद के साथ असम समझोता उन्होंने ही किया था, समझोते के बाद हुए चुनाव में विपक्ष की जीत और कोग्रेस की हार पर उन्होंने कहा कि भले ही उनकी पार्टी हार गई हो किन्तु प्रजातंत्र जीत गया है |

जब राजीव ने भारत में कम्प्युटर क्रांति का सूत्रपात किया था तब तत्कालीन विपक्षी पार्टी एवं वर्तमान शासक दल के नेताओं उनका मखोल उड़ाया और उन्हें नोसिखिया कहा | 80 के शतक के युवा सम्राट राजीव गांधी ने सही कहा था कि “ कोइ भी साम्प्रदायिक अथवा धार्मिक संस्था जो धर्म निरपेक्षता का विरोध करती हो, या कोइ भी राजनीतिक ताकत जो साम्प्रदायिक या धार्मिक हितों का आसरा लेती, उसे किसी भी सूरत मै राष्ट्र को कमजोर बनाने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए” | समय ने प्रमाणित कर दिया कि राजीव दूरदर्शी नेता थे | ईगो की भावना से राजीव मुक्त थे उन्होंने कभी नहीं कहा कि मैने यह किया मैने वो किया किन्तु वे कहा करते थे कि हमें ऐसा या हमें वैसा करना है |

राजीव शालीनता की प्रतिमूर्ति थे उन्होंने कभी भी अपने किसी भी राजनेतिक विरोधिके प्रति अनर्गल एवं कर्कश शब्दों का प्रयोग नहीं किया | राजीव के राजनेतिक विरोधी श्री अटलबिहारी वाजपेयीजी ने कहा था कि अगर वे आज जिन्दा है तो इसकी वजह राजीव ही है | लोग उनका भाषण सुनने के लिए लोग घंटों इंतज़ार किया करते थे। उन्‍होंने अपने प्रधानमंत्री के अल्प कार्यकाल में कई ऐसे महत्वपूर्ण फ़ैसले लिए, जिसका असर आज देश के विकास में देखने को मिल रहा है। राजीव ने राजनीती में भी नेतिकता को सर्वोच्च स्थान दिया, बोफोर्स कांड के आरोपों के बीच संसद भंग कर नये चुनाव करवाने का जज्बा उन्हीं में था | बोफोर्स कांड की कई वर्षों तक उनके विरोधीयों दुवारा करवाई गई जाँच में उनके विरुद्ध कोई साक्ष्य नहीं मिले थे | 1989 में हुये लोकसभा चुनाव में 195 सीटे जितने और सबसे बड़े दल के नेता होने के बावजूद उन्होंने कहा कि जनादेश कांग्रेस के खिलाफ है इसलिए उन्होंने विरोधी पक्ष में बेठने का फेसला करके स्वस्थ लोकतान्त्रिक परम्परा स्थापित की थी | वहीं आज येनकेन प्रकारेण सत्ता प्राप्त का निर्लज्ज प्रदर्शन हो रहा है |

राजीव ने ही भारत को विश्व के साथ कदम से कदम मिलाकर चलना सिखाया था। उन्होंने दक्षिण एशिया में शांति के प्रयास किए और इस देश में भाषा के आधार पर हो रहे बिखराव को भी रोका। इसी का परिणाम था कि राजीव गांधी ने श्रीलंका में शांति प्रयासों के लिए भारतीय सैन्य टुकड़ियों को भेजा लेकिन इसके नतीजे में वे खुद लिट्‌टे के निशाने पर आ गए और उनकी बेरहमी से हत्या कर दी गई। 21 मई 1991 को तमिलनाडु के श्री पेरुंबुदूर में चुनाव प्रचार के दौरान लिट्टे के आत्मघाती हमलावरों ने बम हमले में उनकी हत्या कर दी थी। इसी कारण से 21 मई, राजीव गांधी बलिदान दिवस को आतंकवाद वि‍‍रोधी दि‍वस के रूप में भी मनाया जाता है। राजीव भी भी अपनी माँ इंदिराजी के जैसे आतंकवाद के शिकार बनें | समूचा राष्ट्र राजीव गांधी को उनके 75 वें जन्म दिन पर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करता है

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