पहला नवरात्रा बालिकाओं को, दूसरा नवरात्रा युवतियों तथा तीसरा नवरात्रा महिलाओं के चरणों में समर्पित है | देवी अम्बा उर्जा (प्राक्रतिक शक्तियों) की प्रतीक है | नवरात्री के चोथे, पांचवें एवं छठे दिन माता लक्ष्मी यानि सुख-सम्पन्नता,शांति एवं वैभव के दिन है | जीवन में धन-दोलत एक सीमा तक आवश्यक और महत्वपूर्ण होती है किन्तु इसके साथ जीवन में ज्ञानार्जन भी बहुत जरूरी है | पाचवें दिन बुद्धी-ज्ञान की देवी माता सरस्वती की पूजा की जाती है क्योंकि बुद्धी-ज्ञान के अभाव में धन-सम्पदा का सदुपयोग सम्भव नहीं होता है इसीलिये नवरात्री में लक्ष्मी एवं सरस्वती की पूजा-अर्चना साथ की जाती है |
नवरात्रि —-महिला शक्ति की आराधना का उत्सव
हम सभी जानते हैं कि माता पार्वती, लक्ष्मी और सरस्वती के विभिन्न नौ स्वरूपों को नवदुर्गा के नाम से जाना जाता है। नवरात्रों में हम पहले तीन दिन पार्वती के तीन स्वरूपों की पूजा-आराधना करते हैं वहीं अगले तीन दिन में लक्ष्मी माता के तीन स्वरूपों और आखरी के तीन दिन में माता सरस्वती के तीन स्वरूपों की पूजा-अर्चना की जाती हैं। इसी सन्दर्भ में उल्लेखनीय है कि धार्मिक ग्रन्थों में दुर्गा सप्तशती के अन्तर्गत देव दानव युद्ध का विस्तृत वर्णन किया गया है जिसमे बताया गया है कि देवी भगवती और मां पार्वती ने किस प्रकार से देवताओं के साम्राज्य को स्थापित करने हेतु तीनों लोकों में उत्पात मचाने वाले बलशाली दानवों से लोहा लिया था, इसी वजह से आज सम्पूर्ण देश में हजारों की संख्याओं में दुर्गा यानि नवदुर्गाओं के मन्दिर स्थपित हैं।
डा. जे.के.गर्ग, सन्दर्भ— मेरी डायरी के पन्ने, विभिन्न पत्रिकाएँ, भारत ज्ञान कोष, संतों के प्रवचन,जनसरोकार, आदि
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