तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा पार्ट 5

dr. j k garg
23 अगस्त 1945 को टोकियो रेडियो ने बताया कि सैगोन में नेताजी एक बड़े बमवर्षक विमान से आ रहे थे कि 18 अगस्त को ताइहोकू हवाई अड्डे के पास उनका विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया। विमान में उनके साथ सवार जापानी जनरल शोदेई, पाइलेट तथा कुछ अन्य लोग मारे गये। नेताजी गम्भीर रूप से जल गये थे। उन्हें ताइहोकू सैनिक अस्पताल ले जाया गया जहाँ उन्होंने दम तोड़ दिया। सितम्बर के मध्य में उनकी अस्थियाँ संचित करके जापान की

राजधानी टोकियो के रैंकोजी मन्दिर में रख दी गयीं भारतीय राष्ट्रीय अभिलेखागार से प्राप्त दस्तावेज़ के अनुसार नेताजी की मृत्यु 18 अगस्त 1945 को ताइहोकू के सैनिक अस्पताल में रात्रि ग्यारह बजे हुई थी। आजाद हिन्द फौज के माध्यम से भारत को अंग्रेजों के चंगुल से आजाद करने का नेताजी का प्रयास प्रत्यक्ष रूप में सफल नहीं हो सका किन्तु उसका दूरगामी परिणाम हुआ। सन् 1946 के नौसेना विद्रोह इसका उदाहरण है। नौसेना विद्रोह के बाद ही ब्रिटेन को विश्वास हो गया कि अब भारतीय सेना के बल पर भारत में शासन नहीं किया जा सकता और भारत को स्वतन्त्र करने के अलावा उनके पास कोई दूसरा विकल्प नहीं बचा।

आजाद हिन्द फौज को छोड़कर विश्व-इतिहास में ऐसा कोई भी दृष्टांत नहीं मिलता जहाँ तीस-पैंतीस हजार युद्धबन्दियों ने संगठित होकर अपने देश की आजादी के लिए ऐसा प्रबल संघर्ष छेड़ा हो।

सुभाषचंद्र बोस के उनके संघर्षों और देश सेवा के जज्बे के कारण ही महात्मा गांधी ने उन्हें देशभक्तों का देशभक्त कहा था | सुभाष बाबू ने कहा था “याद रखिए सबसे बड़ा अपराध अन्याय सहना और गलत के साथ समझौता करना है |नेताजी कहा करते थे कि एक सैनिक के रूप में उनको आपको हमेशा सच्चाई, कर्तव्य और बलिदान जेसे तीन आदर्शों को संजोना और उन पर जीना होगा | जो सिपाही हमेशा अपने देश के प्रति वफादार रहता है, जो हमेशा अपना जीवन बलिदान करने को तैयार रहता है, वो अजेय है | अगर तुम भी अजेय बनना चाहते हो तो इन तीन आदर्शों को अपने ह्रदय में समाहित कर लो | नेताजी मानते थे कि जिस व्यक्ति के अंदर ‘सनक’ नहीं होती वो कभी महान नहीं बन सकता | लेकिन उसके अंदर, इसके आलावा भी कुछ और होना चाहिए |

आजाद हिंद सरकार के 75 साल पूर्ण होने पर इतिहास मे पहली बार साल 2018 मे पहली बार किसी प्रधानमंत्री ने 15 अगस्त के अलावा लाल किले पर तिरंगा फहराया। जन जन के दुलारे नेताजी के 23 जनवरी 2020 को समूचा राष्ट्र उनके 123 वें जन्म दिन पर उनके श्री चरणों में श्रद्धा सुमन अर्पित करता है |

संकलनकर्ता एवं प्रस्तुतिकरण डा. जे. के. गर्ग
सन्दर्भ—विभिन्न पुस्तकें, समाचार पत्र आदि

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