सज्जनता सादगी के प्रतिक जननायक शास्त्रीजी की 116 वें जन्मदिन पर जानिये उनके जीवन के प्रेरणादायक क्षण पार्ट 1(ब )

बचपन में हीनन्हें लालबहादुर ने तय कर लिया कि वो कोई ऐसा काम नहीं करेगें जिससे दुसरो को नुकसान नहीं हो

dr. j k garg
छः साल का एक नाटे कद का मासूमलड़का अपने दोस्तों के साथ एक बगीचे में फूल तोड़ने के लिए घुस गया,उसके दोस्तों ने बहुत सारे फूल तोड़कर अपनी अपनी झोलियाँ भर लींवहीं वह लड़का जो सबसे छोटा और कमज़ोर भी था सबसे पिछे रह गया और ज्योंहि उसने फूलतोडना चालू किया उसी वक्त बगीचे का माली आ पहुँचा। मालीको देख कर दूसरे लड़के भाग गये किन्तु छोटा और नाटा बालक माली के हत्थे चढ़ गया।माली ने सारा गुस्सा छः साल के बालक पर निकाला औरउसे बुरी तरह पीट दिया।नन्हे बच्चे नेमाली से कहा – “आप मुझेइसलिए पीट रहे हैं क्योकि मेरे पिता नहीं हैं!” यहसुनकर माली का क्रोध जाता रहा। वह बोला – “बेटे, पिताके न होने पर तो तुम्हारी जिम्मेदारी और अधिक हो जाती है।” मालीकी मार खाने पर तो उस बच्चे ने एक आंसू भी नहीं बहाया था लेकिन यह सुनकर बच्चाबिलखकर रो पड़ा। यह बात उसके दिल में घर कर गई और उसने इसे जीवन भर नहीं भुलाया।उसी दिन से बच्चे ने अपने ह्रदय में यह निश्चय कर लिया कि वह कभी भी ऐसा कोई कामनहीं करेगा जिससे किसी का कोई नुकसान हो। बड़ा होने पर वही बालक भारत केस्वतंत्रता प्राप्ति के आन्दोलन में कूद पड़ा। एक दिन इसी मासूम बालक ने लालबहादुरशास्त्री के नाम से देश के प्रधानमंत्री पद को सुशोभित किया।
प्रस्तुतिकरण—-डा.जे.के.गर्ग

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