सज्जनता सादगी के प्रतिक जननायक शास्त्रीजी की 116 वें जन्मदिन पर जानिये उनके जीवन के प्रेरणादायक क्षण पार्ट 1(अ )

dr. j k garg
जय जवान जय किसान के नारे को अमली जामा मनाने वाले शास्त्रीजी ने मात्र 6 वर्ष की अल्पायु में ही तय कर लिया था कि वो कोई ऐसा काम नहीं करेगें जिससे दुसरो को नुकसान हो | नाटेकद के हमारे प्रधानमंत्री सही मायनों में आत्मसम्मान के धनी और आजादी के दिवाने भीथे | आज के राज नेताओं की आत्म वंचना बडबोलेपन सुर्खियों में बने रहने की आदत केउल्ट शास्त्रीजी नहीं चाहते थे कि उनका नाम अख़बारों में छपे और लोग उनकी प्रशंसाकरें उन्होंने अपने जीवन में कभी भी कायदेकानून की अवेहलना नहीं होने दी थी | उन्हें ना कोई लालचऔर ना ही पद का अभिमान था वे वो इंसान थे जिसने नैतिकता के आधार पर पर अपना मंत्रीपद छोड़ दिया था | उनकी सहनशीलता में महानता सन्निहित होती थी | लालबहादुरजी ने नाकभी क्रोध किया और ना ही कभी कोइ शिकायत कीथी | उनका मानना था कि “ अगर हम भष्टाचारको गम्भीरता से लें तो हम जरुर अपने कर्तव्यों का निर्वाह कर सकेंगें |उन्होंने कहा था कि लोगों को सच्चा लोकतंत्र और स्वराज कभी भीहिंसा और असत्य से प्राप्त नहीं हो सकता है |2अक्तूबर 2020 को जननायक शाष्त्रीजी के 116 वें जन्म दिन पर 132 करोड़ भारतियों काउनके श्री चरणों में नमन करके उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करते है |

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