सज्जनता सादगी के प्रतिक जननायक शास्त्रीजी की 116 वें जन्मदिन पर जानिये उनके जीवन के प्रेरणादायक क्षण पार्ट 2 (B))

dr. j k garg
शास्त्रीजीनहीं चाहते थे कि उनका नाम अख़बारों में छपे और लोग उनकी प्रशंसा करें लाला लाजपत राय से लोक सेवामंडल के सदस्य की दीक्षा लेने के बाद लाला लाजपत राय ने उनसे कहा “लालबहादुर ताजमहल में दो तरह के पत्थर लगे हैं यथा सफेद सगंमरमर और नीव में लगाये गयेसाधारण पत्थर, संगमरमर के पत्थरों को दुनिया देखती है और उनकी प्रसंसा भी करती हैवहीं दूसरे तरह के पत्थर नीव में लगे जिनके जीवन में सिर्फ अँधेरा-अँधेरा ही हैलेकिन ताजमहल को उन्होंने खड़ा रक्खा हुआ है, इसलिएतुम नीव के पत्थर बनने की कोशिश करना”| शास्त्रीजीने कहा मुझे लालाजी के वो शब्द आज भी याद है इसीलिए में नीव का पत्थर बना रहनाचाहता हूँ | इसीलिए शास्त्रीजी जीवन पर्यन्त नीवं का मजबूत पत्थर काम करते रहेऔर कभी भी नहीं चाह कि उनका नाम अख़बारों की सुर्खियाँ बने और लोग उनकी प्रशंसाकरें | प्रस्तुतिकरण—-डा.जे.के.गर्ग

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