बापू के151वे जन्मदिन पर याद कीजिये उनके जीवन कुछ अविस्मरणीय घटनायें पार्ट 2 (A)

बचपन में ही पितृ भक्ति और सत्यनिष्टा को अपनाने का सकंल्प लिया

dr. j k garg
बचपन में अपने पिता की किताब “श्रवण-पितृभक्तिनाटक” को पढ़ा | उन्हीं दिनों शीशे मे चित्र दिखाने वाले भी घर-घर आते थे। उनके पास भी श्रवण का वह दृश्यभी देखा, जिसमें वह अपने माता-पिता को कांवर में बैठाकर यात्रा पर ले जाता हैं। इस चित्र को उन्होंने बार बार देखा और श्रवण के चरित्र का उन पर अत्याधिक प्रभाव पढ़ा | बापू कहते थे कि इन दोनों चीजों का मुझ पर गहरा प्रभाव पड़ा। मन में इच्छा होती कि मुझे भी श्रवण के समान बनना चाहिए। इन्हीं दिनों कोई नाटक कंपनी आयी थी और उसका नाटक देखने की इजाजत मुझे मिली थी। उस नाटक को देखते हुए मैं थकता ही न था। सत्यवादी हरिशचन्द के जीवन से गांधीजी प्रभावित हुए और वो कहते थे कि मन ही मन मैने उस उस नाटक को सैंकड़ो बार खेला होगा। उन्होंने इस सच्चाई को जान लिया कि सत्यवादी को अनेकों विपत्तियां का सामना करना पड़ेगा | वास्तविकता में सत्‍यादी हरिश्‍चंद्र के सच बोलने की प्रेरणा और माता-पिता के प्रति श्रवणकुमार की प्रगाढ़ श्रद्धा ने गांधी जी को पूरे जीवन भर प्रभावित किये रखा और उन्‍हें पूरी दुनिया में महामानव बना दिया।

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