नवरात्रि –नारी सशक्तिकरण की पूजा अर्चना आराधना का पर्व Part 2

dr. j k garg
कष्टों, मुसीबतों, विपदाओं (काल) के हरण के प्रतीक में हम ” देवी कालरात्री” की आराधना करते हैं |
शांति का संदेश वाहक सफेद रंग से सुशोभित माता “महागोरी”, “ देवी सिद्धिदात्री” ( जो जीव मात्र की सुरक्षा,देखभाल करती है वह कल्याणकारी भी है) सभी सिद्धियों को संपुष्ट करने वाली हैं |

पहला नवरात्रा बालिकाओं को, दूसरानवरात्रा युवतियों तथा तीसरा नवरात्रा महिलाओं के चरणों में समर्पित है | देवीअम्बा उर्जा (प्राक्रतिक शक्तियों) की प्रतीक है | नवरात्रीके चोथे, पांचवें एवं छठे दिन माता लक्ष्मी यानिसुख-सम्पन्नता,शांति एवंवैभव के दिन है | जीवनमें धन-दोलत एक सीमा तक आवश्यक और महत्वपूर्ण होतीहै किन्तु इसके साथ जीवन में ज्ञानार्जन भी बहुत जरूरी है | पाचवेंदिन बुद्धी-ज्ञान की देवी माता सरस्वती की पूजा की जाती है क्योंकि बुद्धी-ज्ञानके अभाव में धन-सम्पदा का सदुपयोग सम्भव नहीं होता है इसीलिये नवरात्री मेंलक्ष्मी एवं सरस्वती की पूजा-अर्चना साथ की जाती है |

डा. जे.के.गर्ग, सन्दर्भ— मेरी डायरी के पन्ने, विभिन्न पत्रिकाएँ, भारत ज्ञान कोष, संतों के प्रवचन,जनसरोकार, आदि visit my Blog—-gargjugalvinod.blogspot.in

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