श्रावण पूर्णिमा व्रत आज

सिर्फ इस एक व्रत से ही मिल जाता है वर्ष भर के व्रतों का फल
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राजेन्द्र गुप्ता
श्रावण मास में आने वाली पूर्णिमा को श्रावण पूर्णिमा कहा जाता है। इस बार श्रावण पूर्णिमा 21 अगस्त 2021 को 19:02 बजे से प्रारंभ होकर 22 अगस्त 2021 के दिन सायंकाल 17:33 बजे तक रहेगी। शिव भक्तों के लिए ये दिन बहुत खास होता है, क्योंकि ये सावन का आखिरी दिन होता है। मध्यभारत और उत्तर भारत में इस दिन कजरी पूर्णिमा भी मनाई जाती है। इस दिन लोग व्रत भी रखते हैं। वैसे तो पूर्णिमा का व्रत हर माह रखा जाता है। लेकिन श्रावण पूर्णिमा के व्रत का खास महत्व है। सावन महीने की पूर्णिमा का दिन शुभ व पवित्र माना जाता है। इस दिन किए गए तप और दान से विशेष फल की प्राप्ति होती है। श्रावण पूर्णिमा व्रत वैदिक कार्यों को पूर्ण करने वाला माना जाता है।
श्रावण पूर्णिमा का महत्व
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श्रावण पूर्णिमा पूरे भारत में अलग-अलग धार्मिक मान्यताओं के साथ मनाई जाती है। उत्तर भारत में जहां इस दिन रक्षाबंधन मनाया जाता है। वहीं दक्षिण भारत में इस दिन नारियली पूर्णिमा और अवनी अवित्तम मनाई जाती है। मध्य भारत में इसे कजरी पूनम तो गुजरात में पवित्रोपना के रूप में मनाया जाता है। यह मान्यता है कि वर्ष भर के व्रतों के समान फल एक श्रावण पूर्णिमा के व्रत से प्राप्त हो जाता है।

श्रावण पूर्णिमा व्रत विधि
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श्रावण पूर्णिमा के दिन कई हिस्सों में कजरी पूनम का पर्व भी मनाया जाता है। इसमें महिलाएं नवमीं के दिन पेड़ के पत्तों से बने पात्र में मिट्टी डालकर जौ बोती हैं और पूर्णिमा के दिन धूमधाम के साथ जौ के इन पात्रों को लेकर नदी में विसर्जित करने जाती हैं। इतना ही नहीं, महिलाएं इस दिन व्रत रखकर अपने पुत्र की लंबी आयु और उसके सुख की कामना करती हैं।श्रावण पूर्णिमा के दिन व्रती सुबह स्नान करके भगवान शिव, पार्वती, श्रीकृष्ण, हनुमानजी, चंद्रमा, विष्णुजी और माता लक्षमीजी की पूजा की जाती है।

श्रावण पूर्णिमा के दिन करें ये 5 कार्य-
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1. बता दें कि श्रावण पूर्णिमा के दिन राखी बांधने पर अधिक महत्व दिया जाता है। इसलिए पूजा शुरू करने से पहले इस दिन लाल या पीले रेशमी वस्त्र में सरसों, अक्षत रखकर उसे लाल धागे में बांधकर पानी से सींचकर तांबे के बर्तन में रखें।
2. भगवान विष्णु और शिव सहित देवी-देवताओं, कुलदेवताओं की पूजा कर ब्राह्मण से अपने हाथ पर पोटली का रक्षासूत्र बंधवाना चाहिए। ब्राह्मण देवता को भोजन करवाकर दान-दक्षिणा देकर उन्हें संतुष्ट करना चाहिए।
3. श्रावण पूर्णिमा के दिन देव, ऋषि, पितर आदि का तर्पण भी किया जाता है। इस दिन किसी पवित्र नदी में नहाकर पित्तरों का तर्पण अवश्य करें।
4. श्रावण पूर्णिमा के दिन गाय को चारा, चिटियों को बूरा और मछलियों को आटे की गोली बनाकर डालना अत्यंत शुभ माना जाता है।
5. इस दिन किसी निर्धन व्यक्ति या किसी ब्राह्मण को दान अवश्य दें। विधि विधान से यदि पूर्णिमा व्रत का पालन किया जाए तो सालभर वैदिक कर्म न करने की भूल भी माफ हो जाती है।

राजेन्द्र गुप्ता,
ज्योतिषी और हस्तरेखाविद
मो. 9611312076
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