अधर्म पर धर्म अहंकार पर विनम्रता असत्य पर सत्य की विजय का पर्व विजयादशमी Part 4

j k garg
अत: आज हम सभी अपने सच्चे मन से स्वयं से यह वादा करें कि अपने भारत को प्रगतिशील, उन्नत, सर्वश्रेष्ठ राष्ट्र बनाने हेतु परस्पर स्नेह,सौहार्द, सामंजस्य स्थापित करने हेतु क्रोध, अभिमान, लालच- लोभ, मद, मोह, अहंकार, हिंसा चोरी-डकेती ,ईर्ष्या-डाह का परित्याग कर आपस में सद्भावनापूर्ण सम्बन्ध बना कर रहेगें |एक दुसरे की मदद करेगें | बहन बेटियों के सम्मान की रक्षा करेगें |अगर ऐसा हो पाया तो सही अर्थों में हम श्री राम के आदर्शों को अंगीकार कर विजयदशमी के पर्व को सार्थक बना सकेंगे |

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