भाई बहन का त्‍योहार भाई दूज आज

राजेन्द्र गुप्ता
6 नवम्बर यानी कि शनिवार के दिन भाई दूज मनाया जायेगा। भाई दूज का पावन त्यौहार यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है। भाई दूज के दिन हर भाई अपनी बहन के घर जाता है और शुभ मुहुर्त देखकर बहन भाई के माथे पर तिलक लगाकर स्‍वागत करती है। इस दिन बहन अपने हाथों से भाइयों लिए खाना बनाती है और खिलाती है। कहा जाता है कि इससे भाई की उम्र लम्बी होती है।

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भाई दूज मनाया जाता है।
दीपावली के दूसरे दिन यानि गोवर्धन पूजा के अगले दिन भाई दूज मनाई जाती है। यह त्यौहार भी राखी की तरह भाई बहन के प्रेम का त्यौहार है। दीपावली के दो दिन बाद भाईदूज मनाने की परंपरा है। भाई बहन के स्नेह के इस पर्व का महत्व भी रक्षाबंधन से कहीं कम नहीं माना जाता है. भाईदूज के दिन बहन जहां भाई की लंबी उम्र की कामना करती है वहीं भाई अपनी बहन को सुख समृद्धि का आर्शीवाद देता है।

भाई दूज शुभ मुहूर्त
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इस साल भाई दूज का त्यौहार 6 नवम्बर शनिवार के दिन मनाया जायेगा। इस दिन भाईयों को तिलक लगाने का शुभ मुहूर्त दोपहर 1.10 बजे से लेकर 3.21 बजे तक रहेगा। इस बार द्वितिया तिथि 5 नवंबर को रात्रि 11 बजकर 14 मिनट से लगेगी जो 6 नवम्बर को शाम 7 बजकर 44 मिनट तक बनी रहेगी।

पौराणिक कथाओं के अनुसार यम और यमुना भगवान सूर्य और उनकी पत्नी संध्या की संतान हैं। बहन यमुना की शादी के बाद भाई दूज के दिन ही यमराज अपनी बहन के घर गए थे। इस अवसर पर यमुना ने उनका आदर-सत्कार किया और उनके माथे पर तिलक लगाकर यमराज को भोजन कराया था। अपनी बहन के इस व्यवहार से खुश होकर यमराज ने बहन यमुना से वरदान मांगने को कहा। इस पर यमुना जी ने कहा कि मुझे ये वरदान दो कि इस दिन जो भी भाई अपनी बहन के घर जाकर तिलक लगवायेगा और बहन के हाथ का भोजन करेगा उसको अकाल मृत्य का भय नहीं होगा। यमराज ने उनकी ये बात मान ली और खुश होकर बहन को आशीष दिया। माना जाता है तब से ही भाई दूज मनाने की परंपरा चली आ रही है।

इस त्योहार से जुड़ी एक और पौराणिक कथा के अनुसार भाई दूज के दिन ही भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर राक्षस का वध किया था और वापस द्वारिका लौट कर आये थे। तब भगवान श्री कृष्ण की बहन सुभद्रा ने उनका स्वागत किया था और माथे पर तिलक लगाकर उनके दीर्घायु होने की कामना की थी।

राजेन्द्र गुप्ता,
ज्योतिषी और हस्तरेखाविद
मो. 9611312076
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