आधुनिक भारत के शिल्पकार नेहरू part 1

dr. j k garg
नेहरूजी असंदिग्ध रूप से हमारे स्वतंत्रता संघर्ष के महानतम से एक प्रमुख नेता थे और वे ही स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्हें नौ बार जेल में डाला गया और उन्होंने 3359 दिन जेल में बिताएं। उन नौ वर्षों में उन्होंने कई किताबें लिखी, जिन्हें आज तक करोडों लोगों ने पढ़ा है | सच तो यह है कि आजाद भारत को उस वक्त जब भारत मे मामूली सूही तक नहीं बनाई जाती थी उस वक्त एक ऐसे बूद्धिमान, विचारशील कर्मशील वैयानिक नेता चाहिए था, जिसका दुनिया में अत्यधिक सम्मान हो। गांधीजी के अनुसार नेहरू में यह सब बातें मोजूद थी। उन दिनों में भारत को गरीब जादू टोन को मानने वाला देश माना जता था उस समय भारत को दुर्बल देश के रूप में देखा जाता था । आज विरोधी लोग जवाहरलाल पर भारत पर परिवार वाद वंशवाद थोपने का आरोप लगाते हैं वे भूल जाते हैं कि नेहरूजी ने अपने जीवन काल में अपनी इकलौती बेटी इंदिरा को ना तो मंत्री बनाया और ना ही ऍमपी | इंदिरा मात्र एक साल के लिये 1959 में कांग्रेस अध्यक्ष बनी | नेहरूजी को भारतीयों का अभूतपूर्व स्नेह और प्यार मिला | उस जमाने में उनको ना तो कोई वी आई पी और कमांडो का कवच प्राप्त था वो लाखों लोगो के बीच निडर होकर जाते थे और उनसे मिलते थे | जनता ने उनकी खुशमिजाजी और बदमिजाजी को समान रूप से सहेजा | उस वक्त देश के करोड़ों युवा उनके जैसे वस्त्र पहनने लगे,उनकी तरह बोलने और लिखने लगे| अयोध्या पर नेहरू ने तब जो कहा था, आज हू-ब-हू वही हो रहा है | 1949 में जब चुपचाप बाबरी मस्जिद में मूर्तियां रख दी गईं, तब नेहरू ने कहा था- हम गलत नजीर पेश कर रहे हैं. इसका सीधा असर पूरे भारत पर पड़ेगा | उन्होंने यह भी कहा था कि हम हमेशा के लिए एक फसाद खड़ा कर रहे हैं मैं देखता हूं कि जो लोग कभी कांग्रेस के स्तंभ हुआ करते थे, आज सांप्रदायिकता ने उनके दिलो-दिमाग पर कब्जा कर लिया है |.साम्प्रदायिकता एक किस्म का लकवा है, जिसमें मरीज को पता तक नहीं चलता कि वह लकवाग्रस्त है | मस्जिद और मंदिर के मामले में जो कुछ भी अयोध्या में हुआ, वह बहुत बुरा है. लेकिन सबसे बुरी बात यह है कि यह सब चीजें हुईं और हमारे अपने लोगों की मंजूरी से हुईं और वे लगातार यह काम कर रहे हैं.’’. (पीयूष बबेले की किताब “नेहरू मिथक और सत्य” के कुछ अंश)

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