मकर सक्रांति —- सूर्य संवत्सर का सबसे महत्वपूर्ण बड़ा दिन part 3

j k garg
वैज्ञानिकों के अनुसार 21-22दिसंबर के आसपास से ही दिन का बढ़ना शुरू होता हैं। इसलिए वास्तविक शीतकालीन संक्रांति 21 दिसंबर या 22 दिसंबर जब उष्णकटिबंधीय रवि मकर राशि में प्रवेश करती है इसलिए वास्तविक उत्तरायण 21दिसंबर को होता है। यही मकर संक्रांति की वास्तविक तारीख भी थी। एक हजार साल पहले मकर संक्रांति 31 दिसंबर को मनाया गया था वर्तमान समय में साधारणतया 14जनवरी को मकर संक्रांति बनाई जाती है। वैज्ञानिक गणनाओं के अनुसार पांच हजार साल बाद मकर संक्रांति का पर्व फरवरी के अंत तक हो सकता है,जबकि 9000 वर्षों बाद में यह जून में आ जाएगा।
खगोलीय अवधारणा के मुताबिक सूर्य के धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करने को मकर संक्रांति कहा जाता है। दरअसल हर साल सूर्य का धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश 20 मिनट की देरी से होता है। इस तरह हर तीन साल के बाद सूर्य एक घंटे बाद और हर 72 साल एक दिन की देरी से मकर राशि में प्रवेश करता है। इस तरह 2080 के बाद मकर संक्रांति 16 जनवरी को पड़ेगी। इसी संदर्भ यह उल्लेखनीय है कि राजा हर्षवर्धन के समय में यह पर्व 24 दिसंबर को पड़ा था। मुगल बादशाह अकबर के शासन काल में 10 जनवरी को मकर संक्रांति थी। शिवाजी के जीवन काल में यह त्योहार 11 जनवरी को पड़ा था।

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