हिंदू धर्म में क्यों है एकादशी का इतना महत्व

राजेन्द्र गुप्ता
एकदशी के व्रत की महिमा बहुत निराली है। यह व्रत करने नष्ट होते हैं सारे बुरे कर्म नष्ट हो जाते हैं। यहां तक की पिछले जन्म के पाप कर्मों से भी मुक्ति मिलती है। साल में 24 एकादशी पड़ती हैं। अधिक मास होने पर 26 एकादशी के व्रत पड़ते हैं। एकादशी के व्रत में जगत के पालन कर्ता श्री हरि विष्णु की पूजा का प्रावधान है। एकादशी का व्रत पूरे नियमों के साथ करने से व्यक्ति के सारे संकट दूर होते हैं। परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है। धन और अन्न की कोई कमी नहीं रहती है।

एक माह में दो एकादशी के व्रत पड़ते हैं। चैत्र माह में कामदा और वरुथिनी एकादशी पड़ती हैं। वरुथिनी एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। सौभाग्य में वृद्धि होती है। कामदा एकादशी का व्रत करने से आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

मोहिनी और अपरा एकादशी का व्रत वैशाख माह में रखा जाता है। मोहिनी एकादशी का व्रत करने से विवाह से संबंधित परेशानिया दूर होती है, वैवाहिक जीवन सुखमय रहता है। अपरा एकादशी पापों से मुक्ति प्रदान करने वाली है। इससे आपके जीवन में खुशियां आती हैं।

ज्येष्ठ माह की निर्जला एकादशी का बहुत महत्व माना गया है। इस व्रत के बारे में कहा जाता है कि यह व्रत रखने से सारे व्रत पूर्ण हो जाते हैं। हर कार्य में सिद्धि प्राप्त होती है। इस माह में योगिनी एकादशी का व्रत भी पड़ता है यह व्रत करने से पारिवारिक सुख की प्राप्ति होती है।

आषाढ़ माह में भी दो एकादशी पड़ती हैं एक का नाम देवशयनी और दूसरी का नाम कामिका है। देवशयनी का व्रत रखने पर परिवार में किसी तरह की कोई कलह नहीं रहती है।कामिका एकादशी का व्रत करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। अगले जन्म में भी कुयोनि प्राप्त नहीं होती है।

श्रावण माह में पड़ने वाली पुत्रदा एकादशी का व्रत पुत्र की कामना रखने वालों के लिए बहुत शुभ फलदायक रहता है। इस व्रत को करने से पुत्र और संतान की मनोकामना पूर्ण होती है। इसी माह पड़ने वाली अजा एकादशी का व्रत करे से घन संबंधित परेशानियां दूर होती हैं।

भादो मास में पड़ने वाली परिवर्तिनी एवं इंदिरा एकादशी भी बहुत शुभ फलदायक मानी गई हैं। परिवर्तिनी एकादशी के व्रत से सभी दु:खो का नाश होता है, इंदिरा एकादशी का व्रत करने पितरों को मुक्ति मिलती है, और उन्हें स्वर्ग की प्राप्ति होती है।

आश्विन माह में पड़ने वाली पापांकुशा के व्रत से मनुष्य के सभी तरह के पाप नष्ट हो जाते हैं। यह एकादशी धन, संपदा प्रदान करने वाली है। इसी माह की रमा एकादशी व्रत करने से हर तरह के सुख और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।

प्रबोधिनी और उत्पन्ना एकादशी कार्तिक माह में पड़ती हैं। प्रबोधिनी एकादशी को देवउठनी एकादशी भी कहा जाता है। इसका व्रत करने से दुर्भाग्य से मुक्ति मिलती है और आपके भाग्य में वृद्धि होती है। उत्पन्ना एकादशी व्रत करने से पितरों को तृप्ति प्राप्त होती है। इस एकादशी का व्रत एक हजार वाजपेय यज्ञ के समान फल देने वाला होता है।

मार्गशीर्ष माह में पड़ने वाली मोक्षदा एकादशी और सफला एकादशी के नाम के समान ही इनका फल प्राप्त होता है। मोक्षदा एकादशी का व्रत करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है तो वहीं सफला एकादशी सभी कार्यों में सफलता प्रदान करने वाली होती हैं। इस एकादशी का व्रत करने से अश्वमेध यज्ञ के समान फल की प्राप्ति होती है।

सावन माह की तरह पौष माह में भी पुत्रदा एकादशी का व्रत पड़ता है। यह व्रत भी पुत्र की प्राप्ति के लिए किया जाता है। षटतिला एकादशी व्रत करने से दुर्भाग्य दूर होता है, दरिद्रता से मुक्ति मिलती है। व्यक्ति सभी प्रकार के कष्टों से मुक्त हो जाता है।

माघ के माह जया एवं विजया एकादशी का व्रत पड़ता है। ऐसा मान्यता है कि जया एकादशी का व्रत करने से ब्रह्महत्या जैसे पापों से भी मुक्ति प्राप्त होती है। मृत्यु के बाद व्यक्ति को प्रेत योनि में नहीं रहना पड़ता है। विजया एकादशी पर जो लोग व्रत करते हैं उन्हें हर तरह की बड़ी से बड़ी परेशानियों से भी मुक्ति मिल जाती है।

फाल्गुन माह में आमलकी एवं पापमोचिनी एकादशी का व्रत किया जाता है। आमलकी एकादशी का व्रत करने से हर तरह के रोगों से मुक्ति प्राप्त होकर निरोगी काया की प्राप्ति होती
है। पापमोचिनी एकादशी अपने नाम की तरह सभी पापों का नाश करने वाली है।

हर तीसरे वर्ष पर अधिकमास पड़ता है, तब दो एकादशी ज्यादा होती हैं। जिन्हें पद्मिनी (कमला) एवं परमा एकादशी के नाम से जाना जाता है, पद्मिनी एकादशी पर व्रत करने से सभी मनोकामनाए पूरी होती हैं। इसका व्रत करने से यश कीर्ति प्राप्त होती है। परमा एकादशी पर व्रत रखने से धन-वैभव की कोई कमी नहीं रहती है।

राजेन्द्र गुप्ता,
ज्योतिषी और हस्तरेखाविद
मो. 9611312076
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