dr. j k gargहोली को मनाने के तरीके अनेक फिर भी सन्देश सिर्फ भाईचारे,प्रेम परस्पर विश्वास एवं सौहार्द का पार्ट 5 मणिपुर के अंदर होली योंगकांग के नाम से मनाई जाती है। योंगकांग उस नन्हींझोपड़ी का नाम है जो पूर्णिमा के दिन प्रत्येक नगर ग्राम में नदी अथवा सरोवर के तटपर बनाई जाती है यहां धुलेंडी वाले दिन को पिचकारी कहा जाता है। इस दिन योंगकांगके अंदर चैतन्य महाप्रभु की प्रतिमा स्थापित की जाती है और पूजन के बाद इस झोपड़ीको अलाव की भांति जला दिया जाता है। इस झोपड़ी में लगने वाली सामग्री को बच्चोंद्वारा चुराकर लाने की प्रथा है। इसकी राख को लोग मस्तक पर लगाते हैं एवं इस राख का ताबीज भी बनाया जाता है। पिचकारी के दिन सभी एक दूसरे को रंगलगाते हैं । बच्चे घर घर जाकर चावल,सब्जी इत्यादि इकट्ठा करते हैं और फिर विशाल भोज का आयोजन कियाजाताहै। , गोविन्द की प्रतिमा का निर्माण होताहै। एक वेदिका पर16 खम्भों से युक्त मंडप में प्रतिमा रखी जाती है। इसे पंचामृत सेनहलाया जाता है एवं,कई प्रकार के कार्य किये जाते हैं फिर मूर्ति या प्रतिमा को इधरउधर सात बार डोलाया जाता है।
होली मनाने के तरीके अनेक हो सकतेहैं किन्तु इनमें संदेश भाईचारे परस्पर प्रेम सौहार्द सामाजिक एकता और परस्पर विश्वास का ही होता है| याद रखें कि होली खेलनेकी सार्थकता तभी होगी जब हम परमात्मा में श्रद्धा रखते हुए सात्विक विचार स्नेह, प्रेम, सौहार्द, सहिष्णुता,सहृदयता करुणा और सकारात्मकता, के रंग में अपनीअंतरात्मा को रंग देंगे |