dr. j k gargगांधीजी का मानना था कि धर्म और जाति के आधार पर पृथक निर्वाचिका हिंदू समाज कीभावी पीढ़ी को हमेशा- हमेशा के लिये विभाजित कर देगी। किन्तु 1932 मे जब अग्रेंजों ने अम्बेडकर केसाथ सहमति व्यक्त करते हुये अछूतों के लिए पृथक निर्वाचिका देने की घोषणा कर दी तबगांधी ने इसके विरोध मे पुणे की यरवदा सेंट्रल जेल में आमरण अनशन प्रारम्भ करदिया। अनशन के कारण गांधीजी मरणासन्न हो गये थे अत: उस वक्त के वातावरण को देखतेहुए अंबेडकर ने अपनी पृथक निर्वाचिका की माँग तो वापस ले ली किन्तु इसके बदले मेअछूतों के लिये सीटों में आरक्षण तथा मंदिरों में उनके एवं पूजा के अधिकार की मांगस्वीकार कर ली जो छुआछूत खत्म करने की दिशा में पहला महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ | उन्होने अपनी पुस्तक ‘हू वर द शुद्राज़?’ के द्वारा हिंदू जाति व्यवस्थाके पदानुक्रम में सबसे नीची जाति यानी शुद्रों के अस्तित्व मे आने की व्याख्या की | 1951 मे संसद में अपने हिन्दू कोडबिल के मसौदे को रोके जाने के बाद अंबेडकर ने मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया इसमसौदे मे उत्तराधिकार, विवाह और अर्थव्यवस्था के कानूनों में लैंगिक समानता की मांग कीगयी थी। मार्च 1952 मे उन्हेंसंसद के ऊपरी सदन यानी राज्य सभा के लिए नियुक्त किया गया |निसंदेह डा. अम्बेडकर विश्व की एकबहुत बड़ी आबादी यानी दलितों के प्रेरणा स्रोत हैं इसलिए उन्हें विश्व भूषण कहनाभी अतिशयोक्ति पूर्ण नहीं है। समूचा देश बाबा साहब के 131वें जन्म दिन पर श्रद्धासुमन अर्पित करता है