केवल इतनी ही है सुल्तान-उल-हिंद की दौलत

Dargaah 35दुनियाभर के गरीब और अमीर को नवाजने वाले, दुनियाभर के दौलतमंदों की झोलियां भरने वाले ख्वाजा गरीब नवाज की दौलत के बारे में जान कर आप चकित रह जाएंगे। जैन दर्शन का एक सिद्धांत है अपरिग्रह, वह ख्वाजा साहब के जीवन दर्शन में इतना कूट-कूट कर भरा है कि आप उसकी दूसरी मिसाल नहीं ढूंढ़ नहीं पाएंगे। वे भारत आते वक्त जो सामान लाए थे, वही सामान उनके पास आखिर तक रहा। उसमें तनिक भी वृद्धि नहीं हुई।
बुजुर्गवार बताते हैं कि उनके व्यक्तिगत सामान में दो जोड़ी कपड़े, एक लाठी, एक तीर-कमान, एक नमकदानी, एक कंछी और एक दातून थी। हर वक्त वे इतना ही सामान अपने पास रखते थे। उन्होंने कभी तीसरी जोड़ी अपने पास नहीं रखी। यदि कपड़े फटने लगते तो उसी पर पैबंद लगा कर साफ करके उसे पहन लेते थे। यह काम भी वे खुद ही किया करते थे। पैबंद लग-लग कर उनके कपड़े इतने वजनी हो गए थे कि आखिरी वक्त में उनके कपड़ों का वजन साढ़े बारह किलो हो गया था।
केवल सामान के मामले में ही नहीं अपितु खाने-पीने के मामले में भी बेहद सीमित जरूरत रखते थे। पूरे दिन में वे दो बार कुरान पाठ कर लिया करते थे। इस दौरान इबादत में वे इतने व्यस्त हो जाते थे कि उन्हें खाने-पीने की ही खबर नहीं रहती थी। वे लगातार चार-पांच दिन रोजा रख लिया करते थे। यदि रोटी सूख जाती तो उसे फैंकते नहीं थे, बल्कि उसे ही भिगो कर खा लेते थे।

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