इजरायल मॉडल से नई कृषि क्रांति से राजस्थान होगा सरसब्ज

a gehlot-गोपेन्द्र नाथ भट्ट- मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत के नेतृत्व में गये उच्च स्तरीय दल की एक सप्ताह की इजरायल यात्रा का राजस्थान को दीर्घकालीन और व्यापक लाभ मिलने के साथ ही उम्मीद है कि आने वाले वर्षों में इजरायल मॉडल को अंगीकार करने से राजस्थान जैसे विषम परिस्थितियों वाले विशाल प्रदेश के किसानों को बेहतर एवं दूरगामी परिणाम मिलेंगे और विश्व की सबसे बड़ी परियोजनाओं में शामिल राज्य की इंदिरा गांधी नहर परियोजना के साथ ही नर्मदा सिंचित क्षेत्र परियोजना में अपनाई जा रही है ”फव्वारा और बूंद-बंूद सिंचाई पद्घतिÓÓ को और अधिक लोकप्रिय बनाया जा सकेगा।
कृषि विकास और फल-सब्जियां उगाने की संभावनाओं के द्वार खोले
श्री गहलोत की इजरायल यात्रा ने राजस्थान में कृषि विकास और फल-सब्जियां उगाने की अमिट संभावनाओं के द्वार भी खोल दिए हैं। मुख्यमंत्री ने इस दौरे के जरिए इजरायल तकनीकों से प्रदेश में खेतों की नई क्रांति लाने की जमीन तैयार की है। इससे राज्य में इजराइली तकनीक से ट्रीटेड पानी में खजूर, खारे पानी से फल और लवणीय व क्षारीय जमीन में खारे पानी से बीज रहित ग्राफ्टेड तरबूज, जैतून और आडू की आर्गोनिक खेती हो सकेगी। साथ ही राज्य में बिना मिट्टी के सिर्फ पानी में पोषक तत्व डालकर हरी सब्जी के अत्याधुनिक उत्पादन भी हो सकेगा और कृषि और पेयजल के क्षेत्र में कई तकनीकों का आदान-प्रदान किया जाएगा। इसके लिए इजराइली विशेषज्ञों के दल जल्द राजस्थान आएंगें। यही नहीं राज्य के हजारों गांवों व ढाणियों में निम्न गुणवत्ता के खारे पानी तथा नाइट्रेट और फ्लोराइड से मुक्ति दिलाने के लिए इजराइल मैकरोल कंपनी जल्द दौरा कर राज्य सरकार के साथ एमओयू करेगी।
उल्लेखनीय है कि विगत 7 मार्च ,2013 को भारत में इजरायल के राजदूत श्री आलोन उसपीज बस्सी में सेन्टर ऑफ एक्सीलेन्स की स्थापना हेतु आये थे तथा मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत के साथ उनकी अनौपचारिक भेंट हुई थी, जिसमें उन्हें इजरायल में तकनीकी का अवलोकन करने हेतु आमंत्रित किया था।
यात्रा का उद्देश्य :
मुख्यमंत्री श्री गहलोत के छह दिवसीय इजरायल दौरे का मुख्य उद्देश्य इजरायल के सहयोग से राजस्थान में जल संसाधन, कृषि, बागवानी एवं अन्य क्षेत्रों मे तकनीकी आधारित प्रयोगों की संभावनाओं का आंकलन करने के साथ ही इजरायल में अपनाई जा रही खारे पानी द्वारा फलों की खेती तथा कृषि कार्य में उच्च तकनीकी के प्रयोग से पैदावार बढ़ाने के लिए किये जा रहे सामग्रिक प्रयासों का अध्ययन करना था। साथ ही इजरायल में सीवरेज तथा निम्न गुणवत्ता के पानी के शुद्घीकरण के साथ खेती कार्य में जिस प्रकार पानी का उपयोग किया जा रहा है ,उस तकनीकी एवं कार्य प्रणाली का राजस्थान में प्रयोग करने के लिए संभावनों का आंकलन,खारा पानी को मीठा पानी बनाने के लिए इजरायल की विश्व प्रसिद्घ तकनीक को इजरायल सरकार के सहयोग से राजस्थान में लागू करने की सम्भावना की तलाश, राज्य में जल प्रबन्धन एवं जल विज्ञान को स्थाई रूप से जमाने के लिए विशेष वैज्ञानिक संस्थान की स्थापना और राज्य में जापानिक जोन की सफलता के बाद अब उत्तर कोरिया जोन की स्थापना होने जा रही है। इस परिप्रेक्ष्य मे इजरायली उद्योगों के लिए भी राजस्थान में एक विशेष जोन स्थापित करने की सम्भावना के बारे में विचारों का आदान -प्रदान करना भी शामिल था।
खारे पानी एवं सीवरेज जल को साफ कर कृषि एवं उद्यानिकी कार्य
मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत को अपने इजरायल के छह दिवसीय भ्रमण में इन उद्देश्यों की पूर्ति में आशातीत सफलता हासिल हुई है। विशेषकर इजरायल के सुदूर दक्षिण प्रान्त में नेगेव मरूभूमि मे स्थित अरावा क्षेत्र, जो अत्यन्त शुष्क एवं गर्म जलवायु का है, वहां जाकर धरातल पर खारे पानी एवं शहर के सीवरेज जल को साफ कर कृषि एवं उद्यानिकी कार्य का अवलोकन करने से उन्हें यह सुखद आश्चर्य हुआ कि कैसे तकनीकी के प्रयोग से खेती व उद्यानिकी का कार्य और अद्यिक समृद्घ हो सकता है। इजरायल में किसान समुदाय को किबुटज कहते हैं। अरावा में लवणीय व क्षारीय भूमि में खारे पानी से बीज रहित ग्राफ्टेड तरबूज की खेती देखकर यह महसूस किया कि यह तकनीक राजस्थान के लिए वरदान साबित हो सकती है व इस तकनीक से राजस्थान के मरू जिलों के किसानों को लाभ पहुंच सकता है।
बिना मिट्टी के हाईटेक खेती
श्री गहलोत के नेतृत्व में इजरायल गए दल ने बिना मिट्टी के केवल पानी में पोषक तत्व डालकर अत्याधुनिक तरीके से हरी सब्जी का उत्पादन कर निर्यात करने की प्रभावी व्यवस्था भी देखी। इस तरह की हाईटेक खेती नई पीढ़ी को आकर्षित कर सकती है। दक्षिण अरावा के आरएंडडी केंद्र पर बूंद-बूंद सिंचाई में आटोमशन से ऐसी व्यवस्था की गई है कि पौधों की जड़ों को जब भी पानी चाहिए, वे खुद पानी खींचकर उपयोग कर सकती हैं। इजरायल के वैज्ञानिकों ने यक तकनीक विकसित कर नई मिसाल कायम की है।
बछड़ों के लिए एम्ब्रोय ट्रांसफर तकनीक
इजरायल वैज्ञानिकों की ओर से विकसित एम्ब्रोय ट्रांसफर तकनीक से एक साल में तीन उन्नत गायों के डिंबाणु से 120 बछड़े पैदा किए जा सकते हैं। दल ने इस प्रोजेक्ट का गंभीरता से परीक्षण कर अपनाने की सिफारिश की।
इजरायल ने दिया पूर्ण सहयोग का आश्वासन
इजरायल के कृषि एवं ग्रामीण विकास मंत्री येर समीर ने राजस्थान में एक अत्याधुनिक अनुसंधान एवं विकास केन्द्र की स्थापना के लिए सभी पहलुओं का अध्ययन कर राजस्थान के किसानों की मांग के अनुरूप अनुसंधान व विकास की रूपरेखा तय करने के लिए एक विशेषज्ञ दल तुरंत इजरायल भेजने का सुझाव दिया। साथ ही अनार, संतरा व खरबूज के लिए स्थापित सेंटर ऑफ एक्सीलेंस को ज्यादा सुदृढ़ करने के लिए पूरे सहयोग का आश्वासन दिया। इजरायल की सर्वोच्च सरकारी संस्था मसाब के मुखिया श्री डनियल ने इजरायल उद्यमियों के सहयोग से राजस्थान में स्वतंत्र जोन की स्थापना करने के लिए पूरे सहयोग देने का आश्वासन एवं मसाब के ज्ञान कौशल का भंडार राजस्थान को स्वावलंबी बनाने में लेने का सुझाव भी दिया।
राजस्थान एक कृषि प्रधान प्रदेश है और कृषि यहां के लोगों की आजीविका का प्रमुख साधन है, लेकिन राज्य के असिंचित क्षेत्रों की खेती-बाड़ी पूरी तरह से वर्षा पर ही निर्भर है। मानसून की असफलता इस प्रदेश के किसानों को कई मुसीबतों से घेर लेती है। वर्षा के अभाव में यहां के कृषकों को एक फसल नसीब भी नहीं हो पाती और सूखा एवं अकाल की पीड़ा बढऩे पर कई बार उन्हें अपने पशुओं के साथ पलायन की पीड़ा भी झेलनी पड़ती है। राज्य सरकार को अभावग्रस्त क्षेत्रों के लोगों को रोजगार मुहैया करवाने के साथ ही पेयजल की व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए विशेष प्रयास करने पड़ते है तथा पानी के टेंकरों और विशेष रेल वेेगन्स के माध्यम से प्रदेश के अभावग्रस्त क्षेत्रों के वांशिदों की प्यास बुझाने के लिए अतिरिक्त धन खर्च करना पड़ता है।
इस पृष्ठभूमि में राजस्थान के मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत को राजस्थान जैसी विषम परिस्थितियों वाले देश इजरायल की अपनी छह दिवसीय यात्रा में एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल के साथ कम पानी से बेहतर खेती-बाड़ी के तौर तरीके, उन्नत कृषि तकनीक और बेहतर जल प्रबंधन के प्रयोग और उपायों का अध्ययन करने में आशातीत कामयाबी मिली है। मुख्यमंत्री ने इजरायल यात्रा से लौटने के बाद इसे एक सफल दौरा बताया एवं आशा व्यक्त की कि इजरायल मॉडल से राजस्थान और भी अधिक सरसब्ज होगा।

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