एड्स के प्रति रहे जागरूक

img_20161130_094918अजमेर 30, नवम्बर। एचआईवी के संक्रमण से होने वाले एड्स रोग के प्रति जागरूकता आवश्यक है। इससे बचने के लिए व्यक्ति को स्वयं जागरूक होने के साथ ही समाज को भी इस बारे में सावधान करना चाहिए। एड्स का उपचार करने से बेहतर है कि इससे बचा जाए। ये विचार विश्व एड्स दिवस की पूर्व संध्या पर उपमुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डाॅ. लाल थदानी ने रखे।
उन्होंने बताया कि एड्स (इम्यून डेफिसिएंसी सिंड्रोम या एक्वायर्ड इम्यूनों डेफिसिएंसी सिंड्रोम) एचआईवी (हयूमन इम्यूनो वायरस) की वजह से होता है, जो मानव शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली पर हमला करता है। इस रोग को पहली बार 1981 में मान्यता मिली। ये एड्स के नाम से पहली बार 27 जुलाई 1982 को जाना गया। एचआईवी संक्रमण आसानी से एक व्यक्ति से दूसरे में प्रेषित हो जाता है। यदि उन्होंने शारीरिक द्रव या रक्त श्लेष्मा झिल्ली के माध्यम से कभी सीधे संपर्क किया है। अनुमान के मुताबिक लगभग 33 लाख लोग एचआईवी से संक्रमित हैं और 2 लाख लोगों का हर साल इसकी वजह से निधन हो जाता है।
उन्होंने बताया कि एचआईवी एक वायरस है यह रोग प्रतिरक्षा प्रणाली की टी-कोशिकाओं पर हमला करता है। इसके कारण जो रोग होता है वह एड्स के रूप में जाना जाता है। यह मानव शरीर के तरल पदार्थों में पाया जाता है जैसे संक्रमित व्यक्ति के रक्त, वीर्य, योनी तरल पदार्थ, जो दूसरों में सीधे सम्पर्क जैसे, रक्त आदान, सेक्स या दूषित सुई का इंजेक्शन लगाने से फैलता है। यह प्रसव के दौरान या स्तनपान के माध्यम से गर्भवती महिलाओं से बच्चो में भी फैल सकता है। यह पश्चिम-मध्य अफ्रीका के क्षेत्रा में 19वीं और 20 वीं सदी में हुआ था। असल में इसका कोई भी इलाज नहीं है लेकिन हो सकता है कि कुछ उपचारों के माध्यम से कम किया जा सके।
उन्होंने बताया कि एचआईवी एड्स से संक्रमित व्यक्ति में कई प्रकार के प्रारम्भिक लक्षण और संकेत दृष्टिगोचर होते हैं। इनमें मुख्य रूप से बुखार, ठंड लगना, गले में खराश, रात के दौरान पसीना, बढ़ी हुई ग्रंथियां, वनज घटना, थकान, दुर्बलता, जोड़ो का दर्द, मांसपेशियों का दर्द, लाल चकत्ते आदि लक्षण होते है। संक्रमित व्यक्ति इस अवधि के दौरान एड्स के किसी भी लक्षण को महसूस नहीं करता है और स्वस्थ दिखाई देता है। इस दौरान वह व्यक्ति अन्य लोगों को संक्रमित कर सकता है। एचआईवी संक्रमण वायरस इसके खिलाफ लड़ने के लिए प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करते है। आखिरी चरण में व्यक्ति एड्स की बीमारी से ग्रसित हो जाता है। आखिरी चरण में संकमित व्यक्ति में धुंधली दृष्टि, स्थायी थकान, बुखार, रात को पसीना, दस्त, सूखी खंासी, जीभ और मुंह पर सफेद धब्बे, ग्रंथियों में सूजन, वजन घटना, सांसों की कमी, ग्रासनली शोथ, कपोसी सार्कोमा, गर्भाशय ग्रीवा, फेफड़ों, मलाशय, जिगर, सिर, गर्दन के कैंसर और प्रतिरक्षा प्रणाली (लिम्फोमा) का कैंसर, मेनिनजाइटिस, इन्सेफेलाइटिस और परिधीय न्यूरोपैथी, टोक्सोप्लाज़मोसिज (मस्तिष्क का संक्रमण), यक्ष्मा एवं निमोनिया के लक्षण नजर आते है। एड्स हाथ मिलाने, गले लगने,छींकने, त्वचा को छूने या एक ही शौचालय के उपयोग के माध्यम से कभी नहीं फैलता है।

उन्होंने बताया कि बुधवार को प्रातः 9 बजे मेडिकल काॅलेज से काॅलेज के विद्यार्थियों ने सूचना केन्द्र चैराहा होते हुए कलेंक्ट्रेट तक जागरूकता रैली निकाली तथा प्रदर्शनी एवं विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। पूर्व संध्या पर बजरंगगढ़ चैराहा स्थित शहीद स्मारक पर दीपदान का आयोजन किया गया। साथ ही हस्ताक्षर अभियान के माध्यम से सामूहिक दायित्व का निर्वहन करने तथा एड्स पीड़ितों की सेवा करने के साथ ही इसे रोकने का संकल्प उपस्थित चिकित्साकर्मियों एवं गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधियों ने लिया। दीपदान के अवसर पर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डाॅ. के.के.सोनी तथा आरसीएचओ डाॅ. रामलाल चैधरी सहित विभाग के समस्त चिकित्साकर्मी उपस्थित थे।
उन्होंने बताया कि विश्व एड्स दिवस के अवसर पर प्रातः 9 बजे आशा सहयोगिनियों, चिकित्सकर्मियों एवं केन्द्रीय रिजर्व पुलिस के जवानों के द्वारा मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के कार्यालय से कलेक्ट्रेट होते हुए मेडिकल काॅलेज तक एक रैली का आयोजन किया जाएगा। मेडिकल काॅलेज सभागार में प्रातः 11 बजे चिकित्सकों के लिए सीएमई आयोजित की जाएगी। इस दिन दोपहर 12 बजे सीआरपीएफ समूह दो में चिकित्सा विभाग द्वारा एड्स के प्रति जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा।

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