तुम्हारी आत्मा गवाही न दे, उस कार्य को मत करो

IMG-20170724-WA0015मदनगंज-किशनगढ़। आचार्य 108 विद्यासागर जी महाराज के परम शिष्य मुनि पुंगव 108 सुधासागर जी महाराज ने कहा कि तुम स्वयं की दृष्टि में ईमानदार बनो। चाहे तुम भगवान के साथ बेईमानी कर लेना, गुरू के साथ बेइमानी कर लेना अपने माता-पिता के साथ बेईमानी कर लेना। लेकिन ये नियम ले लो कि जिस कार्य के लिए तुम्हारी आत्मा गवाही न दे बस उस कार्य को मत करना। मुनिश्री ने कहा कि जिसने गुरू की बात नहीं मानी उसका कल्याण हो सकता है लेकिन जिसने अपनी आत्मा की बात भी नहीं मानी उसका कभी कल्याण नहीं सकता। ये बात मुनिश्री ने आर.के. कम्यूनिटी सेन्टर में चल रहे प्रवचन के दौरान कही।
उन्होंने कहा कि हर चीज को बुरा व बदनाम हम ही करते है। अगर शराब पीने के बाद अच्छा व्यवहार करे, नेक काम करने लग जाए हर आदमी इसके लिए लाइन लगाना शुरू कर दे। मगर शराब पीकर नाली में गिर रहे हो, गालियों दे रहे, परिवार का सत्यानाश कर रहे है इसलिए शराब बदनाम हो गई। इसलिए कहते है कि नशा शराब में होता तो नाचती बोलत। शराबी सुधार जाओं अगर नहीं सुधर सकते हो तो व्यसन पाप था, पाप है और पाप रहेगा। गुटखा खाने वालों गुटखे में ऐसा करों कि किसी को केंसर नहीं हो, ऐसा कुछ करों की केंसर वाले का केंसर ठीक हो जाए। अगर ऐसा कर दिया तो मैं गुटखे को मेडिकल पर बिकवाउँ, मंदिर के बाहर स्टॉल लगवाउंगा। अगर ऐसा नहीं है तो फिर तुम क्यों खाते हो इस जहर को इसको।
मुनिश्री ने कहा कि कई दुकाने ऐसी होती है जो खुली हुई है फिर भी कोई ग्राहक नहीं आ रहा है। और कुछ दुकाने ऐसी भी होती है जिसको ग्राहक दुकान खुलाकर समान लेने के लिए लाइन लगा लेता है। ऐसे ही मेरे गुरूदेव आचार्य विद्यासागर है जिनसे दीक्षा लेने के लिए लोग लाइन लगाए खड़े है और वो मना कर रहे है। जब मैं दीक्षा लेने वालों से पूछता हँू कि गुरूदेव से ही क्यों दीक्षा लेना चाहते हो किसी और से ले लो। दीक्षा ही तो लेनी है। तब वो कहते है महाराज दवाई का महत्व नहीं है डॉक्टर का महत्व होता है। दवाई तो मेडिकल स्टोर में भरी पड़ी होती है।
मुनिश्री ने कहा कि तुम्हारा भगवान को अभिषेक करना, प्रवचन सुनना तभी सफल है जब तुम्हारी चर्या देखकर, तुम्हारा प्रभाव देखकर, तुम्हारी बुराईयां जाती देखकर, तुम्हारे में अच्छाईयां आती देखकर दूसरे भी ये करने को मचल जाए सही मायने में तभी तुम्हारा अभिषेक करना और प्रवचन सुनना सफल है।
मुनिश्री ने आज प्रवचन के दौरान एक वात्सल्य अनाथाल्य में आर्थिक सहयोग देने को कहा। मुनिश्री ने कहा कि जो लोग अनाथाल्या के नाम से जो पैसा निकालते है, सरकार से टेक्स बचाते है, ऐसे पवित्र स्थानों के नाम से निकले पैसा का दुरूपयोग मत करना और वो पैसा वहां पर भेज देना। साथ मुनिश्री ने यह भी कहा कि जिस जगह आप दान दे रहे एक बार आप वहां जाकर देखकर भी आइए क्या वाकई आपके पैसे का सदुपयोग हो रहा है। अगर हो रहा है तो वहां अपने तन के कपड़े भी खोल दीजिए बहुत पुण्य मिलेगा।
ये रहे श्रावक श्रेष्ठी
श्री आदिनाथ दिगम्बर जैन पंचायत के प्रचार प्रसार मंत्री विकास छाबड़ा ने बताया कि प्रथम अभिषेक एवं शांतिधारा, चित्र अनावरण, दीप प्रज्ज्वलन, शास्त्र भेंट, पाद प्रक्षालन का सौभाग्य प्रेमचंद प्रकाशचंद हुकमचंद रमेशचंद सुमेरचंद निर्मलकुमार गंगवाल परिवार को मिला।
इस अवसर पर आर.के. परिवार के सुरेश पाटनी, एम.के. जैन, संदीप चौधरी, रमेशचंद गंगवाल, अचलेन्द्रकुमार अजमेरा, निर्मलकुमार पाटोदी, प्रकाशचंद अजमेरा, निर्मलकुमार गंगवाल, प्रमोद दोषी, प्रमोदकुमार लुहाडिय़ा, सुरेन्द्रकुमार जैन आदि लोग मौजूद थे।

error: Content is protected !!