तन मन धन परमात्मा की देन- संत किशनचंद

केकड़ी:- दुनिया की माया, भौतिकता की चकाचौंध का सुख क्षणिक होता है संतो के संग में, परमात्मा के स्मरण में,परमात्मा की भक्ति में सच्चा सुख है तन, मन,धन परमात्मा की देन है उसी का समझकर उपयोग करने से सफलता मिलती है।उक्त उद्गार बूंदी से आए ज्ञान प्रचारक संत किशनचंद ने अजमेर रोड स्थित संत निरंकारी सत्संग भवन पर आयोजित सत्संग के दौरान व्यक्त किए।
मंडल प्रवक्ता राम चंद टहलानी के अनुसार सन्त किशन चन्द ने कहा कि अंधेरा चाहे जग में हो या मनों में ठोकरें ही ठोकरे हैं मन में, सोच में उजाला भरपूर रखने पर आनंद ही आनंद है सत्य एक परमपिता परमात्मा है इसका आधार लेने पर,जीवन में धारण करने पर जीव के समस्त दुख कलेश समाप्त होते हैं।सेवा सत्कार करना वचन मानने के समान है हर सेवा सत्कार गुरु की ओर से आती है सतवचन कहकर निभाऐं कभी परेशानी नहीं होगी। सेवा का आदेश आ जाए तो अक्षरस पालन करना,अवसर मिल जाए तो गुरु की रहमत बख्शीश समझना जब तक शरीर में जान है सेवा सत्कार करते रहने पर इंसान पुण्य ही कमाता है गुरु का वचन मानने वाला मंगता नहीं दाता बनता है वहीं वचन नहीं मानने पर अपनी चालाकियां चतुराईयां करने पर दुख कलेश परेशानियां घेर लेती है सतगुरु ही परमात्मा का ज्ञान देकर भक्ति से जोड़ते हैं दुनिया के तमाम सुख परमात्मा की भक्ति में है,सद्गुरु की शरण में है जब भी मौका आए तैयार रहना चाहिए।
सत्संग के दौरान दया,हरिशंकर, त्रिलोक चंद,पूरणप्रकाश,रामचंद्र, दीपक,संगीता,पूजा,मुकेश,नरेश, आशा आदि ने गीत विचार भजन प्रस्तुत किए संचालन केकड़ी ब्रांच मुखी अशोक रंगवानी ने किया संत जी का स्वागत नरेश कारिहा ने किया

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