महाना छठी पर शिरकत की सैकड़ों जायरीन ने

अजमेर। सन् 1434 हिजरी में ईस्लामी साल के पहले और मुबारक माह मोहर्रम की 6 तारीख होने के सबब बुध के रोज मशहुर सूफी दरवेज हजरत ख्वाजा मोईनद्दीन चिश्ती की दरगाह में उनकी महाना छठी की फातेहा इन्तहाई मजहबी अकीदत और एहतराम के साथ मनाई गई। छठी में शिरकत के लिए मिनी उर्स के मौके पर हजारों जायरीन अजमेर आये। सुबह के वक्त तकरीबन 9 बजे दस्तूर के मुताबिक दरगाह शरीफ  के अहाताये नूर में सिजरा ख्वानी के बाद फातेहा पढ़ी गई और मुल्क में अमन की दुआएं की गई।
हर जायरीन ने अकीदत और एहतराम के साथ हजरत बाबा फरीद गंजशकर के चिल्ले की जियारत भी की। चिल्ले की जियारत के लिए जायरीन की लम्बी कतारें बुध के रोज भी देखी गई। गौरतलब है कि बाबा फरीद का चिल्ला साल में सिर्फ  एक मर्तबा मोहर्रम के मौके पर चांद की 4 तारीख से लेकर 7 तारीख को अलफज्र तक खोला जाता है।
जुमेरात के रोज आशिकाने इमाम हुसैन, एहले बेयत शोहदाये करबला से अपनी मोहब्बत का इजहार करते हुए इमाम बाड़े से अन्दरकोट हथाई तक सद्दों का जुलूस निकलेंगे। यह जुलूस जौहर बाद शुरू होगा और मगरीब से पहले अन्दरकोट पहुंचेगा। घरों मेंं नियाज दिलाई जायेगी, शरबत बनाया जायेगा, साथ ही मुसलमान अपने बाजुओं पर ईमाम जामिन बांधकर इमाम हुसैन की फकीरी पहनेंगे।
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