तन के साथ आत्मा को भी सवारें

केकड़ी:- प्रभु परमात्मा की कृपा से मानव जीवन मिला है इसमें अगर संतों का संग हुआ,जीवन में सद्गुरु का आगमन हुआ तो समझो मानव जीवन में आना हमारा सार्थक हुआ।उक्त उद्गार संत गोपाल ने अजमेर रोड स्थित सन्त निरंकारी सत्संग भवन पर आयोजित सत्संग के दौरान व्यक्त किए।
मंडल प्रवक्ता राम चंद टहलानी के अनुसार संत गोपाल ने कहा कि संत हमेशा अपना जीवन मानव कल्याण को समर्पित करते हैं स्वयं जगे हुए होते हैं तो दूसरों को भी जगाने का प्रयास करते हैं।क्योंकि आज इंसान दुनिया की मोह माया में उलझ कर सोया हुआ है मानव जीवन में जिसने सबर और शुकर रहना सीख लिया वह दूसरों के लिए भी प्रेरणा स्रोत बनता है।
निद्रा जानवर भी करते हैं इंसान भी करते हैं,भोजन जानवर भी करते हैं इंसान भी करते हैं,भोग जानवर भी करते हैं इंसान भी करते हैं, भय जानवर को भी लगता है इंसानों को भी लगता है इससे अलग परमात्मा ने मानव को ज्ञान दिया है,समझ दी है जिसमें वह संतो महापुरुषों संग कर परमपिता परमात्मा की जानकारी प्राप्त कर उसको अंग सब जानकर उसका स्मरण कर सकता है इसलिए मानव योनि उत्तम योनी मानी गई है।
झुकता वही है जिसमें जान होती है,अकड़ना मुर्दों की शान होती है जो इंसान झुक कर सबका आदर सत्कार करता है सब के साथ समानता वाला व्यवहार करता है तो वह सबको भाता है और वही इंसान ऊंचाइयों को प्राप्त करता है वह इंसान गंगा की तरह निर्मल पावन होकर जीवन जीता है मानव योनि अंतिम सीढ़ी मानी गई है जिसमें इंसान परमात्मा की जानकारी प्राप्त कर उसका स्मरण कर आवागमन के चक्कर से छुटकारा पा सकता है।इंसान अपने तन को तो खूब संवारता है सजाता है पर आत्मा को भी सँवारे तो ही वह भवसागर से पार पा सकता है।
सत्संग के दौरान विवेक, गौरव,रेखा,शीतल,आरती, रोहित,जया,निशा,समृद्धि, माया,अशोका रंगवानी आदि ने गीत विचार भजन प्रस्तुत किए संचालन नरेश कारिहा ने किया।

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