जारौली को तुरंत बर्खास्त करें, जांच सीबीआई को सौंपें

-पूर्व शिक्षा मंत्री व अजमेर उत्तर के विधायक देवनानी ने सरकार व बोर्ड के खिलाफ खोला मोर्चा
-रीट परीक्षा निरस्त कर दोबारा परीक्षा कराएं, साथ ही रीट परिणाम के आधार पर नियुक्ति देने की प्रक्रिया पर भी तुरंत रोक लगाएं
-26 सितंबर, 2021 को हुई रीट शुरू से ही संदेह के घेरे में रही है, इसके बावजूद सरकार और बोर्ड ने परिणाम निकालने में बहुत जल्दबाजी की
-रीट का पेपर 24 सितंबर, 2021 को आउट हुआ था। उस रात जारौली व जयपुर के को-आॅर्डिनेटर प्रदीप पाराशर जयपुर स्थित शिक्षा संकुल में क्या रहे थे
-जयपुर में एक प्राइवेट काॅलेज से रिटायर्ड व्यक्ति प्रदीप पाराशर को किस हैसियत से जिला को-आॅर्डिनेटर नियुक्त किया गया

प्रो. वासुदेव देवनानी
अजमेर, 28 जनवरी। पूर्व शिक्षा मंत्री और अजमेर उत्तर के विधायक वासुदेव देवनानी ने कहा है कि यदि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत में जरा-सी भी नैतिकता है, तो वे राजस्थान शिक्षक पात्रता परीक्षा (रीट-2021) पेपर लीक मामले में राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष डाॅ. डी.पी. जारौली को तुरंत प्रभाव से बर्खास्त करें, उनके, उनकी टीम और बोर्ड के सभी जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराएं तथा निष्पक्ष जांच के लिए मामला सीबीआई को सौंपें। रीट परीक्षा निरस्त कर दोबारा परीक्षा कराएं, साथ ही रीट परिणाम के आधार पर नियुक्ति देने की प्रक्रिया पर भी तुरंत रोक लगाएं।
शुक्रवार को यहां अपने निवास पर पत्रकारों से बात करते हुए देवनानी ने कहा कि 26 सितंबर, 2021 को रीट हुई थी। वैसे तो शुरू से ही यह परीक्षा संदेह के घेरे में है। इसके बावजूद सरकार और परीक्षा कराने वाले एजेंसी राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने परिणाम निकालने में बहुत जल्दबाजी की। बोर्ड के अध्यक्ष और रीट के को-आॅर्डिनेटर जारौली शुरू से ही अपनी कार्यशैली और निर्णयों के कारण कटघरे में रहे हैं। जारौली ने दावा किया था कि यदि एसओजी की जांच में रीट का पेपर लीक होने की पुष्टि हो जाती है, तो वे ना केवल अपने पद से इस्तीफा दे देंगे, बल्कि अपनी सारी कमाई और पेंशन आदि भी सरकार को समर्पित कर देंगे। देवनानी ने कहा कि अब तो एसओजी की जांच में सब-कुछ साफ हो गया है, तो जारौली को तुरंत अपने दावे और वादे पर कायम रहते हुए तुरंत इस्तीफा देकर घर चले जाना चाहिए और अब तक बोर्ड से जितना भी कमाया है, वह सब सरकार को समर्पित कर देना चाहिए।
देवनानी ने कहा कि एसओजी की जांच के अनुसार रीट का पेपर 24 सितंबर, 2021 को आउट हुआ था। जानकारी के अनुसार उस रात जारौली व जयपुर के को-आॅर्डिनेटर प्रदीप पाराशर जयपुर स्थित शिक्षा संकुल में थे। सवाल यह है कि जारौली व पाराशर उस रात शिक्षा संकुल में क्या कर रहे थे, लेकिन इस सवाल का जवाब आज तक नहीं मिल पाया है। उन्होंने कहा कि जब सभी जगह जिला प्रशासन के अधिकारियों को जिला स्तर पर रीट का को-आॅर्डिनेटर बनाया गया था, तो फिर जयपुर में एक प्राइवेट काॅलेज से रिटायर्ड व्यक्ति प्रदीप पाराशर को किस हैसियत से जिला को-आॅर्डिनेटर नियुक्त किया गया। देवनानी ने सवाल किया, जब शिक्षा संकुल बोर्ड का ही परिसर है, वहां स्ट्रांग रूम की चाबी भी बोर्ड के पास ही रहती है और अधिकारी व कर्मचारी भी बोर्ड के ही नियुक्त होते हैं, तो पेपर लीक होने का मामला सामने आने के बाद आज तक बोर्ड ने सभी संबंधित अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज क्यों नहीं कराई।
देवनानी ने कहा कि जब गोपनीयता बनाए रखने के लिए बोर्ड दसवीं और बारहवीं की परीक्षा के परिणाम राजस्थान से बाहर की एजेंसी से तैयार कराता है, तो फिर ऐसी क्या मजबूरी रही, जो रीट का परिणाम अजमेर की ही एजेंसी से तैयार कराया गया। इससे यह जाहिर होता है कि रीट पेपर लीक मामले के तार अजमेर से लेकर जयपुर तक जुडे़ हुए हैं। उन्होंने कहा कि यदि मुख्यमंत्री गहलोत बोर्ड के अध्यक्ष जारौली को तुरंत प्रभाव से बर्खास्त नहीं करते हैं, तो यह कहने में कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी कि इस मामल के तार मुख्यमंत्री आवास तक पहुंच जाएं। देवनानी ने कहा कि रीट पेपर लीक मामला कोई साधारण विषय नहीं है। यह प्रदेश के 16 लाख विद्यार्थियों के जीवन से जुड़ा मामला है। सरकार और बोर्ड ने एसओजी की जांच रिपोर्ट आने तक भी इंतजार नहीं किया और आनन-फानन में परिणाम निकाल दिया। साथ ही नियुक्ति देने की प्रक्रिया भी शुरू करने वाली है।
देवनानी ने कहा कि एसओजी द्वारा गिरफ्तार भजनलाल व उदाराम के नाम तो पेपर लीक करने वाले खिलाड़ी के रूप में सामने आए हैं। भजनलाल ने उदाराम से पेपर खरीदा। एसओजी की जांच में सात लोगों को पेपर बेचने की बात सामने आई है, लेकिन अभी तक यह पता नहीं चला है कि बाकी छह लोग कौन हैं। यह भी संदेह हो रहा है कि इस मामले में बोर्ड अध्यक्ष जारौली, उनकी टीम और पाराशर भी जिम्मेदार हैं। अभी तक एसओजी की टीम जांच के लिए बोर्ड व रीट कार्यालय पहुंची है। वह दिन दूर नहीं, जब जारौली, पाराशर व उनकी टीम भी एसओजी की गिरफ्त में होगी।
देवनानी ने कहा कि वैसे तो कांग्रेस सरकार अपराधों की जनक है। जब से कांग्रेस सत्ता में आई है, तब से पेपर लीक होने की घटनाएं बढ़ गई हैं। इसलिए यह संदेह होता है कि रीट पेपर लीक मामले में मन्त्री, आईएएस अधिकारी, बोर्ड अध्यक्ष व उनकी टीम का कहीं ना कहीं जुड़ाव रहा है। उन्होंने सवाल किया कि किस मंत्री, आईएएस अधिकारी या अन्य अधिकारी के कहने से कोलकाता की फर्म को पेपर छापने का टेंडर मिला। इस फर्म ने मालिक ने जयपुर आकर किस मंत्री से मुलाकात की। भले ही कोई मुंह नहीं खोले, लेकिन यही जाहिर होता है कि उस फर्म के मालिक ने उस वक्त तत्कालीन शिक्षामंत्री से ही मुलाकात की होगी। यह भी जाहिर होता है कि इस पूरे मामले के तार बड़े-बड़े लोगों से जुड़े होंगे। देवनानी ने कहा कि मुख्यमंत्री गहलोत इस मामले को प्रतिष्ठा का प्रश्न नहीं बनाएं और जांच तुरंत सीबीआई को सौंपें। उन्होंने कहा कि एसओजी राज्य सरकार की ही एजेंसी है, तो यह भी जाहिर है कि कहीं ना कहीं उस पर भी बड़े लोगों को बचाने के लिए सरकार का दबाव रहा होगा। यही कारण है कि बड़े-बड़े लोगों के नाम सामने नहीं आ पा रहे हैं।
देवनानी ने कहा कि राजस्थान सरकार को उत्तर प्रदेश सरकार से सीख लेनी चाहिए, जिसने पेपर लीक होने पर ना केवल शिक्षक पात्रता परीक्षा तुरंत प्रभाव से निरस्त कर दी, बल्कि दो माह के भीतर परीक्षा भी करा दी। यही नहीं, पेपर लीक के सभी आरोपी सींखचों के अंदर हैं। जब उत्तर प्रदेश सरकार इतना बड़ा कदम उठा सकती है, तो राजस्थान सरकारयह सब कदम उठाने में हिचक क्यों रही है। उन्होंने कहा, सरकार को सबसे पहले तो बोर्ड अध्यक्ष जारौली को बर्खास्त कर उनके, उनकी टीम और पाराशर के खिलाफ एफआईआर दर्ज करानी चाहिए। पिछली रीट से जुड़े सभी अधिकारियों को हटाकर उनकी जगह नए अधिकारियों व कर्मचारियों को जिम्मेदारियां दी जानी चाहिए। आखिर ऐसी क्या मजबूरी है, जो सरकार अभी तक यह शुरूआती कदम भी नहीं उठा पा रही है।

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