‘‘भक्तों की सेवा से प्रसन्न होते हैं हनुमान‘‘-स्वामी चैतन्यचरण

उमेश चैरसिया के बाल उपन्यास ‘हनुमान‘ पर हुई सार्थक चर्चा
अखिल भारतीय साहित्य परिषद की ओर से हुआ कृतिसंवाद व काव्य गोष्ठी का आयोजन

अखिल भारतीय साहित्य परिषद की अजमेर ईकाई द्वारा रविवार सांयकाल बीकेकौल स्थित हनुमान वाटिका में वरिष्ठ साहित्यकार उमेश कुमार चौरसिया के बाल उपन्यास ‘हनुमान‘ पर कृतिसंवाद एवं काव्य गोष्ठी का आयोजन हुआ। पुस्तक पर चर्चा करते हुए सारस्वत अतिथि इस्काॅन के स्वामी चैतन्यचरण ने कहा कि चाणक्य कहते हैं कि व्यक्ति अपने पद से नहीं गुणों से प्रतिष्ठा पाता है और हनुमानजी के चरित्र से हमें यही सीखने को मिलता है। ईश्वर स्वयं की पूजा से नहीं वरन् उनके भक्तों की सेवा से प्रसन्न होते हैं। मुख्य वक्ता कुलदीपसिंह रत्नू ने श्रीराम संग हनुमान के प्रेरक प्रसंगों का उल्लेख करते हुए कहा कि यह उपन्यास नयी पीढ़ी को सरल और सरस शैली में हनुमानजी के सभी गुणों को स्पष्ट करते हुए उन्हें अपनाने की प्रेरणा देता है। पौराणिक विषयों के विद्वलेखक देवदत्त शर्मा ने कहा कि लेखक ने इस कृति में अनेक छुपे हुए विशेष प्रसंगों को भी उजागर किया है। मुख्यअतिथि डाॅ छाया शर्मा ने कृति को वर्तमान समय की आवश्यकता बताते हुए कहा कि हनुमान की तरह ईश्वर प्रदत्त गुणों को सद्कार्याें में लगाने का प्रयत्न करना चाहिए। बनवारी लाल, देशवर्द्धन रांकाव सुरेश वर्मा व विजय शर्मा ने भी पुस्तक पर अपने विचार रखे। अतिथियों ने बगीचे में वृक्षारोपण भी किया। डाॅ के के शर्मा ने सार्थक सेवा में प्रभु के सहयोग अद्भुत घटना के बारे में बताया और चौरसिया का अभिनन्दन भी किया।
इस अवसर पर आयोजित काव्य गोष्ठी में संयोजक व महानगर अध्यक्ष गंगाधर शर्मा हिन्दुस्तान ने पृथ्वीराज चैहान की शौर्य गाथा का गीत तथा सरस संचालन कर रहे बाल साहित्यकार गोविन्द भारद्वाज ने मोहब्बत का जादू असन में नहीं था ग़ज़ल सुनायी। विनीता बाड़मेरा ने औरतें क्यूं हो जाती हैं बीमार, उमेश चौरसिया ने ओ अहिल्या कैसे हो जाने दिया अन्याय तुम पर, सुमन शर्मा ने तुम साथ न दो और बात है, रामावतार यादव ने दर्द की आबरू बचाने को, भावना शर्मा ने मर्यादा का नाम कहो जयश्रीराम कहो, देवदत्त शर्मा ने वृक्ष लगाओ अमर हो जाओ कविताएं सुनायी तथा मीनू यादव ने अंजनीपुत्र पर तीन हाईकू और कुलदीपसिंह रत्नू ने चामुण्डा आराधना श्लोक सुनाए।

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