अजमेर। सूफी संत हजरत ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती के वंशज एवं सज्जादनशीन मुस्लिम धर्म प्रमुख दरगाह दीवान सैय्यद जैनुल आबेदीन अली खान ने कहा कि भारत सहित दुनियां के 78 राष्ट्र आतंकवाद की चपेट में है इस कारण विश्वभर में अशान्ति का माहौल है। वैष्विक स्तर पर अमन और शान्ति की स्थापना तभी संभव है जब दुनियां के सभी मुल्क आतंकवाद के खिलाफ सामुहिक प्रयास कर धरती के इस अभिषाप के जड़ से खात्मे के लिऐ निर्णायक सघर्ष का ऐलान करें।
मुस्लिम धर्म प्रमुख सैय्यद जैनुल आबेदीन अली खान ने गुरूवार 5 रजब को अपने पुर्वज ख्वाजा साहब के 801 वें उर्स के समापन की पूर्व संध्या पर खानकाह शरीफ (मठ) जहां से ख्वाजा साहब अपने जीवन काल में उपदेश देते थे। इस अवसर पर देश भर की चिश्तिया खानकाहों एवं प्रमुख दरगाहों के सज्जादानशीनों की मौजूदगी में पोराणिक परंपरा के मुताबिक ख्वाजा साहब के अनुयायियों और देश वासियों के लिऐ पैगामे अमन जारी किया।
उन्होने कहा कि आर्थिक असमानता, बेरोजगारी, जनसंख्या विस्फोट, सामाजिक बहिष्कार अतिवाद, नस्लीय अल्पसंख्यकों का दमन, जनजातीय वाद और धार्मिक व राजनीतिक दमन आतंकवाद की मुल जड़ है सामाजिक स्तर पर साकारात्मकता के साथ इन समस्याओं का समाधान खोजना होगा। यदी इसे नहीं सुलझाया गया तो हथियारबंद हिंसा जन्म लेती रहेगी चाहे हम इसे उग्रवाद, अतिवाद, आतंकवाद या अलगाववाद कुछ भी कहें अगर अमन पसंद मुमालिक इस जटिल समस्या के समाधान के लिये समय रहते आगे नही आऐ तो सम्पूर्ण दक्षिण ऐशिया महाद्वीप में गृह युद्ध जैसे हालात से इंकार नहीं किया जा सकता है।
इस्लामी जिहाद और हिन्दुत्तव की आड़ में आंतकवादी वारदातें अंजाम देकर मासूम बेगुनाहों की जाने लेने वाले कथित धार्मिक संगठनों को इंसानियत का दुश्मन करार देते हुऐ दरगाह दीवान ने कहा कि कट्टरपंथी ताकतें आतंकवाद को इन्सानियत के खिलाफ अपनी नाजायज सियासी महत्वकांक्षाओं की पूर्ती के लिऐ इस्तेमाल करके अमन शान्ति को नुकसान पहुंचा रही है। उन्होने कहा कि महज ओसामा बिन लादेन को मार कर अमरीका यह मान रहा है कि आतंकवाद का खात्मा हो चुका है तो यह उसकी गलत फहमी है यदी आतंकवाद को जड़ से समाप्त करना है तो कई मुल्कों में खुलेआम चल रहे आतंकी ट्रेनिंग केम्पो को खत्म करना होगा चाहे इसके लिऐ दुनियांभर के अमन पसंद देशों को युद्ध स्तर पर अभियान क्यों न चलाना पड़े। वर्तमान में लगभग 78 मुल्क आतंकवाद की चपेट में हैं जिन मे से अनेक राष्ट्रों में कानून व्यवस्था पूर्णतः विफल हो चुकी हैं तथा वहां की लोकतांत्रिक सरकारें चैपट हैं। भारत के पड़ोसी देशों में पाकिस्तान तालिबानी आतंकवाद के चलते अस्थिरता के दौर से गुजर रहा है वहीं नेपाल माओ उग्रवाद से परेशान है
दरगाह दीवान ने कहा कि यदि इस समय आतंकवाद को किसी निष्पक्ष नजरिये से देखे तो सबसे पहले यहाँ यह विचार करना होगा की आखिर आतंकवाद क्या है ? किसी व्यक्ति या किसी देश को हिंसा, युद्ध या छदम युद्ध के माध्यम से अनावश्यक रूप से एवं अपनी स्वार्थपूर्ति हेतु भयभीत करना आतंकवाद है और जो इस समय आतंकी कर रहे है किन्तु यहाँ पर यह देखना भी आवश्यक हो जाता है की कुछ संगठनो के अलावा क्या कोई देश भी आतंकवादी हो सकता है, जैसे इस समय प्रत्यक्ष रूप से पाकिस्तान को ले लिया जाए तो उसे आतंकवादी देश की संज्ञा देना अनुचित न होगा। भारत सदा ही पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद से परेशान रहा लाखो लोगो की जाने गई यही कारण है कि अनगिनत सिपाही आतंक की आग में जले और दुनियां की जन्नत कहलाऐ जाने वाले कश्मीर ने आतंक को ही अपना नसीब बना लिया है ।
आज सम्पूर्ण विश्व आतंकवाद की समस्या से ग्रसित है इस संघर्ष में अमरीका जैसे विकसित राष्ट्र से लेकर अफरीका जैसे निर्धन राष्ट्र तक शामिल हैं। आतंकवाद से से लड़ने मे भारत जैसे विकासशील राष्ट्र अपने सकल घरेलू उत्पाद का एक बड़ा हिस्सा प्रतिवर्ष खर्च करना पड़ रहा है। हाल ही में प्रकाशित एक आर्थिक सर्वेक्षण रिर्पोट के अनुसार जो धन राशी भारत द्वारा आतंकवाद से नपटने के लिये खर्च की जा रही है। यदी वह राशी गरीबी को मिटाने के लिऐ की जाऐ तो प्रतिवर्ष दो प्रतिशत लोगों को प्रतिवर्ष गरीबी रेखा से उपर लाया जा सकता है। उन्होने कहा कि जिन संसाधनों का इस्तेमाल आतंकी गतिविधियों, हथियारों के लिए शोध और निर्माण पर खर्च किया जा रहा है उनका इस्तेमाल दूसरे सकारात्मक कामों में किया जा सकता है आतंकी हमले न केवल जिंदगी छीनते हैं, बल्कि स्वास्थ्य, आशा और लोगों की उम्मीदों का भी कत्ल कर देते हैं।
कार्यक्रम के अंत में धर्म प्रमुख ने अपने दादा बुजुर्ग हजरत ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती के 801 वें सालाना उर्स के मोके पर देश व दुनियां में अमन शान्ति भाईचाारे के लिये दुआ करते हुऐ कहा कि चिश्तिया सूफीमत के तमाम प्रर्वतकों, बुजुर्गों ने अपने अपने दौर में अमन शान्ति मानव सेवा ओर आपसी प्रेम भाईचारे का पैगाम देकर दुनियां में शान्ति स्थापित करने में अहम भूमिका अदा की, जब तक दुनियां इन बुजुर्गों के पैगाम पर अमल करती रही अमन पूरी तरह कायम रहा जब से बुर्जुगाने दीन के पैगाम को नजरअंदाज किया गया हर तरफ अशान्ति और आतंकवाद का बोलबाला है। इस पारंपरिक आयोजन में देश प्रमुख चिश्तिया दरगाहों के सज्जादगान व धर्म प्रमुखों में शाह हसनी मियां नियाजी बरेली शरीफ, मोहम्मद शब्बीरूल हसन गुलबर्गा शरीफ कर्नाटक, अहमद निजामी दिल्ली, सैयद तुराब अली हलकट्टा शरीफ आध्र प्रदेश, सैयद जियाउद्दीन अमेटा शरीफ गुजरात, बादशाह मियां जियाई जयपुर, सैयद बदरूद्दीन दरबारे बारिया चटगांव बंगलादेश,सहित भागलपुर बिहार, फुलवारी शरीफ यु.पी., गंगोह शरीफ उत्तरांचल प्रदेश के सज्जादगान मौजूद थे