महाराजा दाहरसेन देश भर में एक प्रेरणा का केन्द्र-अटलाणी

IMG_6537DSC_0508अजमेर – सिन्धुपति महाराजा दाहरसेन समारोह समिति के तत्वावधान में स्वामी कॉम्पलेक्स में आयोजित विचार गोष्ठी के मुख्य वक्ता राजस्थान सिन्धी अकादमी के पूर्व अध्यक्ष भगवान अटलाणी ने कहा कि किसी भी समाज की पहचान संस्कृति, ईष्टदेव के साथ वीर  महापुरूषों के संस्मरण से होती है सिन्धी समाज में ईष्टदेव झूलेलाल, शहीद हेमू कालाणी, महाराजा दाहर हैं यह हमारे समाज के लिए सबसे बडी पहचान है और हम इन महापुरूषों की जयन्ती व बलिदान मनाकर गौरव महसूस करते हैं, महाराजा दाहर ने अपना ही नहीं बल्कि अपने परिवार का बलिदान देकर हमे अपने प्रति ऋणी कर दिया हे और हम उन्हें याद कर अपने कर्ज को चुका सकते हें । महाराजा द्ाहरसेन का स्मारक केवल स्मारक न होकर देश भर में एक प्रेरणा का केन्द्र है जहां सिन्धु संस्कृति का विशाल संग्रहण किया हुआ है । उन्होने कहा कि ओंकार सिंह लखावत ने अपने समय में यह स्मारक बनाकर हमें नई दिशा दी है ।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुये वरिष्ठ साहित्यकार श्याम सुन्दर भट्ट (उदयपुर) ने सम्बोधन में कहा कि हिन्दुस्तान में संस्कार, शिक्षा, व्यापार की प्रेरणा सिन्ध है । सिन्ध का इतिहास ठीक ढंग से लिखने व अध्ययन करने की आवश्यकता है और युवा पीढी को शोध के लिए अवसर देना चाहिये जिससे सिन्धु सभ्यता, संस्कृति व बलिदान की गाथाओं का सही चित्रण प्रस्तुत हो सके । महाराजा द्ाहरसन, बप्पा रावल, महाराणा प्रताप सभी को महाराज हरित ने ही प्रेरणा दी और उनके बलिदान का कभी मिटना सम्भव नहीं है ।
इस अवसर पर वरिष्ठ साहित्यकार एम.टी भाटिया ने महाराजा दाहरसेन के बलिदान में वर्तमान समय में महत्व व भारतीय सिन्धु सभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नवलराय बच्चाणी ने सिन्धी भाषा की महता बताते हुये इतिहास से जोडने की अपील की ।
गोष्ठी में अजमेर उतर के विधायक प्रो. वासुदेव देवनाणी ने अपने आप को सिन्धी होने पर गर्व की बात कही । पूर्व सांसद श्री ओंकार सिंह लखावत ने विचार प्रकट करते हुये कहा कि 1947 के पश्चात् 1965, 1971 के युद्ध के पश्चात व  आज तक सिन्ध से आये हिन्दु बन्धुओं को भी जोडकर स्मारक पर आयोजित कार्यक्रम में सम्मिलित करना चाहिये । देश की रक्षा एवं वित्त की चर्चा करने से पहले हमें सिन्ध की व्यवस्था को जरूर समझना पडेगा और उस समय के  सिन्ध के व्यापार, धार्मिक और आर्थिक व्यवस्था प्रेरणादायी है । इसर्स पूर्व अतिथियों द्वारा सिन्धुपति महाराजा दाहरसेन के चित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्जवलन कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया गया । श्री देवीदास दीवाना व अशोक मंगलाणी ने वीर रस के गीत व कविता प्रस्तुत किये। कार्यक्रम संयोजक कंवल प्रकाश किशनाणी ने गोष्ठी के बारे में जानकारी व स्वागत भाषण दिया व आभार महेन्द्र कुमार तीर्थाणी ने किया । संचालन शिक्षाविद् श्रीमति शान्ता भिरयाणी व भग्वान कलवाणी ने किया । इस अवसर पर समाज के सभी वर्ग, साहित्यकार व संगठनों के पदाधिकारी उपस्थित थे ।
कार्यक्रम के अन्त में 25 अगस्त को सुबह 9 बजे से होने वाले मुख्य कार्यक्रम में हिंगलाज माता पूजा अर्चना, देश भक्ति पर आधारित संास्कृतिक कार्यक्रम सिन्धुपति महाराजा दाहरसेन स्मारक पर आयोजित किये जाने पर चर्चा की गई ।
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