वस्तुनिष्ठ मूल्यांकन आज के दौर की महत्ती आवष्यकता- डॉ.वर्मा

p s verma 2अजमेर। बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. पी.एस.वर्मा ने कहा है कि वस्तुनिष्ठ मूल्यांकन आज के दौर की महत्ती आवष्यकता है । मूल्यांकन आत्मनिष्ठ होता है तो परीक्षक और प्रषासन की कठिनाईयां बढ जाती है । परीक्षार्थियों की बढती संख्या, सूचना का अधिकार और परीक्षाओं के मूल्यांकन के संबंध में बढते न्यायिक प्रकरणों के कारण परीक्षा लेने वाली संस्थाओं के सामने सटीक व प्रखर मूल्यांकन के लिए वस्तुनिष्ठ मूल्यांकन एकमात्र विकल्प के रूप में उभर कर सामने आ रहा है । वैष्विक स्तर पर ऑनलाइन परीक्षा आयोजन विष्वविद्यालय की परीक्षाओं के लिए भी इसलिए अपनाया जा रहा है क्योंकि यह पारदर्षी है । बोर्ड अध्यक्ष डॉ वर्मा माध्यमिक षिक्षा बोर्ड राजस्थान के तत्वावधान में एकेडमिक स्टाफ ट्रेनिंग कॉलेज के द्वारा आयोजित मूल्यांकन में वस्तुनिष्ठता- बोर्ड परीक्षाओं के संबंध में दो दिवसीय कार्यगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे । डॉ वर्मा ने कहा है कि षिक्षा एवं परीक्षा एक ही सिक्के के दो पहलू है । षिक्षार्थी को षिक्षक द्वारा जो कुछ भी पढाया -सिखाया जाता है उस अर्जित ज्ञान को परीक्षा के माध्यम से जांचने पर ही षिक्षा जगत की उपयोगिता परिलक्षित होती है । परीक्षा लेने वाली संस्थाओं की साख इसी बात पर निर्भर करती है कि उसके मूल्यांकन की विष्वसनीयता समाज में कितनी है । बोर्ड सचिव मिरजू राम षर्मा ने कहा है कि राजस्थान बोर्ड देष का ऐसा पहला बोर्ड है जिसने एकेडमिक स्टाफ ट्रेनिंग कॉलेज की स्थापना की है । राजस्थान बोर्ड ही अध्यापन में श्रेष्ठता के लिए अपने से संबद्व विद्यालयों के षिक्षकों के लिए विभिन्न प्रकार के ट्रेनिंग प्रोग्राम्स का सतत् आयोजन करता रहा है । बोर्ड की इच्छा है कि परीक्षा में बेैठने वाले स्कूली विद्यार्थीयों को मूल्यांकन में अध्यापक की गलती का खामियाजा न भुगतना पडे इस दृष्टि से परीक्षकों को उत्तरपुस्तिका मूल्यांकित करने के लिए प्रषिक्षित किया जाए । बोर्ड के मुख्य परीक्षा नियंत्रक आर.बी गुप्ता ने ‘मूल्यांकन प्रणाली को वस्तुनिष्ठ बनाने की आवष्यकता एवं औचित्य ’ विषय पर बोलते हुए कहा है कि उत्तरपुस्तिका में मार्किंग की दृष्टि से किसी भी परीक्षार्थी को कोई भी परीक्षा लेने वाली संस्था संतुष्ट नहीं कर सकती है। सूचना के अधिकार लागू होने के बाद परीक्षा आयोजन करने वाली संस्थाओं के दायित्व भी बढ गए है । मूल्यांकन में पारदर्षिता आज की महत्ती आवष्यकता बन गयी है । राजस्थान बोर्ड में इस वर्ष 1,00,000 से भी अधिक परीक्षार्थियों ने अपनी उत्तरपुस्तिकाओं की संवीक्षा के लिए आवेदन किया । यह दूसरा तथ्य है कि मात्र कुछ परीक्षार्थियों की ही उत्तरपुस्तिकाओं में त्रुटि पायी गयी । मूल्यांकन को त्रुटि रहित बनाना जरूरी हो गया है । बोर्ड इस दृष्टि से मूल्यांकन की कमियों को दूर करने की दृष्टि से माध्यमिक स्तर पर कुछ विषयों में प्रयोग के तौर पर ओ.एम.आर पद्वति से परीक्षा आयोजन पर विचार कर रहा है । सब्जेक्टिव प्रष्नों के लिए विद्यालय परीक्षाओं को आधार बनाकर सत्रांक दिए जा सकते है । उन्होने कहा है कि मूल्यांकन में एक परीक्षक की गलती का खामियाजा सम्पूर्ण षिक्षक समुदाय व बोर्ड को भुगतना पडता है । सबसे बडा खामियाजा उस विद्यार्थी को भी भुगतना पडता है जिसका भविष्य बोर्ड प्राप्तांकों के आधार पर भावी प्रतियोगी परीक्षाओं से जुडा हुआ हो । इसलिए मूल्यांकन को त्रुटि रहित बनाने के लिए बोर्ड कई विकल्पों पर मंथन कर रहा है, जिनमें ओ.एम.आर पद्वति से परीक्षा आयोजन भी एक विकल्प है ।
बोर्ड के निदेषक गोपनीय जी.के माथुर ने कहा कि इंटरनेट के इस युग में ज्ञान का भण्डार सबके लिए सुगम उपलब्ध हो गया है । यहीं कारण है कि विषयपरक मूल्यांकन में मानवीय स्वभावगत हो रही .त्रुटियां परीक्षार्थी को असहज कर देती है । पारदर्षिता के तराजू पर सूचना के अधिकार ने परीक्षार्थी को अत्यन्त सजग बना दिया है । वर्तमान समय मे ंउच्च षिक्षा ,आई.आई.टी ,मेडिकल, नौकरी आदि में अभ्यर्थी के अर्जित ज्ञान का मूल्यांकन वस्तुपरक पद्वति से किया जाता है । क्योंकि यह पद्वति पारदर्षी और मानवीय भूल रहित है । बोर्ड की षैक्षिक निदेषक श्रीमती नीरजा गुप्ता ने कहा है कि षिक्षा के क्षेत्र में आज जितने नए सुधार व नवाचार देखने को मिलते है वे प्रारम्भ में कई बार अटपटे व असमंजस पैदा करने वाले लगते है किन्तु उनके परिणाम प्रायः सुखद होते है । ऐसा ही कुछ ऑनलाइन परीक्षा आयोजन के प्रारम्भ काल में हुआ । अनेक स्तरों पर ऑनलाइन परीक्षाओं का विरोध हुआ परन्तु आज ऑनलाइन परीक्षा विष्व में सभी देषों की जरूरत बन गई है । आधुनिक इलेक्ट्रोनिक मीडिया और सोषल नेटवकिंग साइट्स ने षिक्षा के क्षेत्र में एक नई क्रांति को जन्म दिया है । इसकी त्वरित गति ,तत्काल निर्णय व विष्वसनीय परिणाम सभी अभूतपूर्व है । बोर्ड के वरिष्ठ सहायक निदेषक अनिल षर्मा ने कहा है कि वर्तमान परिपेक्ष्य में जबकि परीक्षाओं की उत्तरकुंजी नेट पर उपलब्ध करायी जाती है और सूचना के अधिकार के तहत उत्तरपुस्तिका की फोटो प्रति प्राप्त की जाती हो तो मूल्यांकन में वस्तुनिष्ठता की उपायदेयता स्वयंसिद्व है । उत्तरमाला को इसलिए जारी किया जाता है कि मूल्यांकन में समानता रहे और वस्तुनिष्ठ मूल्यांकन संभव बन सके । विभिन्न स्तरों पर भी बोर्ड परीक्षाओं में विष्वसनीयता व पारदर्षिता की दृष्टि से ओ.एम.आर पद्वति से परीक्षा आयोजन की मांग उठ रही है । षिक्षक समुदाय को यह तय करना है कि प्रदेष के षैक्षिक जगत के माहौल में इस पद्वति को किस स्तर पर और किस प्रकार लागू किया जाए । इस दो दिवसीय कार्यषाला में पूरे प्रदेष से पचास षिक्षाविद् षिरकत कर रहे है।
-राजेन्द्र गुप्ता, उप निदेशक(जनसम्पर्क)

error: Content is protected !!